स्वर्गलोक, धरतीलोक और पाताल लोक सहित 7 लोक हैं, जिनका वर्णन पौराणिक धर्म-ग्रंथों में विस्तार से किया गया है। पाताल लोक हिंदू धरती (भूलोक) के नीचे स्थित माना जाता है। यह एक रहस्यमयी लोक है जो नाग, दानव और असुरों का निवास स्थान है। पाताल लोक को सात हिस्सों में विभाजित किया गया है: अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल और पाताल।
किसने की तिथि पाताल लोक की स्थापना?
पौराणिक कथा के अनुसार, पाताल लोक की स्थापना स्वयं भगवान विष्णु ने की थी, जब उन्होंने अपने भक्त प्रह्लाद के पुत्र बलि को वरदान देकर वहां का अधिपति बनाया। यह कथा ‘वामन अवतार’ से संबंधित है। जब राजा बलि ने तीन लोकों पर विजय प्राप्त कर ली थी, तब वामन रूप में भगवान विष्णु ने उससे तीन पग भूमि का दान मांगा। उन्होंने अपने विराट रूप में एक पग से स्वर्ग और दूसरे से पृथ्वी को नाप लिया। तीसरा पग रखने के लिए स्थान न होने पर बलि ने अपना सिर अर्पित कर दिया। भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर बलि को पाताल लोक का स्वामी बना दिया।
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धर्म ग्रंथों के अनुसार, पाताल लोक को कई अद्भुत खजानों, चमचमाते रत्नों और नागों के देवता वासुकी के निवास के लिए जाना जाता है। यह लोक रहस्य और भव्यता का प्रतीक है, जो आज भी हमारी पौराणिक कथाओं में अद्वितीय स्थान रखता है।
नाग वासुकि कैसे बने पाताल लोक के देवता
पौराणिक कथाओं में वासुकी नाग का विशेष स्थान है। वे नागों के राजा और शिवभक्त माने जाते हैं। वासुकी का नाम विभिन्न पौराणिक घटनाओं और कथाओं से जुड़ा हुआ है, जो उनके महत्व को और भी बढ़ाता है। उनकी पौराणिक कथा न केवल रोमांचक है, बल्कि धर्म और आस्था के कई पहलुओं को भी उजागर करती है।
वासुकी नाग को नागलोक के देवता और पाताल लोक के शासक के रूप में जाना जाता है। वे अनंत, तक्षक और शेषनाग के भाई हैं। वासुकी नाग की सबसे प्रसिद्ध कथा समुद्र मंथन से जुड़ी है। जब देवता और असुर अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने के लिए एकत्र हुए, तो मंथन की प्रक्रिया में वासुकी नाग को रस्सी के रूप में प्रयोग किया गया। वासुकी ने खुद की इच्छा से देवताओं की सहायता के लिए अपने शरीर को मंथन की रस्सी बनाने की अनुमति दी।
मंथन की घटना ने वासुकी नाग को भगवान शिव के प्रति समर्पण और निस्वार्थता का प्रतीक बना दिया। इसके कारण देवताओं ने उन्हें सम्मान दिया और पाताल लोक का देवता घोषित किया।
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शिवभक्ति में वासुकी नाग
वासुकी नाग भगवान शिव के परम भक्त माने जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि वासुकी ने हिमालय में घोर तपस्या की और भगवान शिव को प्रसन्न किया। शिव ने उन्हें वरदान दिया कि वे नागलोक के अधिपति बनेंगे और पाताल लोक के सभी नागों की रक्षा करेंगे। वासुकी को भगवान शिव के गले की माला के रूप में भी दर्शाया जाता है, जो उनकी भक्ति और शिव के प्रति उनकी निष्ठा को दर्शाता है।
पाताल लोक का धार्मिक महत्व
वर्तमान समय में भी वासुकी नाग की पूजा विशेष रूप से नागपंचमी के दिन की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वासुकी नाग की पूजा से जीवन में समृद्धि, सुरक्षा और कल्याण की प्राप्ति होती है। साथ ही राजा बलि से जुड़ी यह मान्यता है कि वह ओणम के दिन धरती पर अपनी प्रजा से मिलने आते हैं। यह त्योहार दीपावली पर्व के अगले दिन मनाई जाती है।