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इस्लाम में शिया और सुन्नी की रमजान में क्या है अंतर? विस्तार से जानिए

इस्लाम में रमजान महीने को बहुत ही पाक माना जाता है और मुस्लिम समुदाय के लोग इस महीने रोजा रखकर ईश्वर की इबादत करते हैं।

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सांकेतिक चित्र(Photo Credit: Canva)

दुनियाभर में पवित्र रमजान का महीना चल रहा है। यह महीना 01 मार्च से शुरू हो चुका है और ईद पर्व के साथ 31 मार्च 2025 को खत्म हो जाएगा। बता दें कि इस्लाम में रमजान का महीना बहुत पाक माना जाता है और यह पूरे मुस्लिम समुदाय के लिए आध्यात्मिक उन्नति और आत्मसंयम का समय होता है। बता दें कि मुस्लिम समाज में शिया और सुन्नी दोनों इस्लाम के प्रमुख संप्रदाय हैं और दोनों ही रमजान को बहुत ही खास ढंग से मनाते हैं लेकिन कुछ प्रथाओं में मामूली अंतर देखे जाते हैं।

रमजान की समानताएं

शिया और सुन्नी, दोनों इस्लाम के अनुयायी हैं और दोनों के लिए रमजान समान रूप से महत्वपूर्ण है। दोनों ही समुदाय रोज़ा (उपवास) रखते हैं, नमाज़ अदा करते हैं, कुरआन की तिलावत यानी पढ़ते हैं और इफ्तार-सहरी जैसी परंपराओं का पालन करते हैं। इस महीने को आत्मा की शुद्धि, परहेजगारी और खुदा की इबादत का समय माना जाता है। इस दौरान गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करना, जकात (दान) देना और ज्यादा से ज्यादा नेकियां कमाने की अहमियत बताई गई है।

 

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शिया और सुन्नी रमजान में अंतर

रोजा खोलने (इफ्तार) का समय

सुन्नी मुस्लिम सूर्यास्त के तुरंत बाद अजान सुनते ही रोजा खोल लेते हैं, जबकि शिया मुस्लिम थोड़ी देर इंतजार करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि पूरी तरह से अंधेरा हो चुका हो, उसके बाद ही इफ्तार करते हैं।

तरावीह की नमाज

सुन्नी मुस्लिम रमजान के दौरान रात को खास नमाज, जिसे तरावीह कहते हैं, मस्जिदों में अदा करते हैं। यह 20 रकात की होती है, हालांकि कुछ जगहों पर 8 रकात भी पढ़ी जाती है। वहीं, शिया मुस्लिम तरावीह नहीं पढ़ते, बल्कि वे रमजान की रातों में विशेष नफिल (स्वेच्छिक) नमाज और इबादत करते हैं।

कद्र की रात (शब-ए-कद्र)

इस्लामी मान्यता के अनुसार, रमजान की आखिरी 10 रातों में से एक रात शब-ए-कद्र होती है, जब कुरान नाजिल (अवतरित) हुआ था। सुन्नी मुस्लिम इसे 27वीं रात को मानते हैं, जबकि शिया मुस्लिम इसे 19वीं, 21वीं और 23वीं रात को ज्यादा मान्यता देते हैं और उन रातों में खास इबादत करते हैं।

 

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इमाम अली (अ.स.) की शहादत

शिया मुस्लिम रमजान के दौरान इमाम अली की शहादत को खास तौर पर याद करते हैं। वे 19वीं रमजान को इमाम अली पर हमला किए जाने और 21वीं रमजान को उनकी शहादत का शोक मनाते हैं, जबकि सुन्नी समुदाय इस पर ज्यादा जोर नहीं देता।

ईद का चांद देखने की परंपरा

रमजान के अंत में शव्वाल का चांद देखने के बाद ईद मनाई जाती है। अक्सर, शिया और सुन्नी समुदायों में चांद देखने के तरीकों में अंतर के कारण, उनकी ईद एक दिन के अंतर से हो सकती है।

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।

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