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जब एक अधर्मी को भी मिला था सफला एकादशी व्रत का फल, जानिए पौराणिक कथा

आज सफला एकादशी व्रत का पालन किया जा रहा है। आइए जानते हैं, इस व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा और क्या है इसका महत्व।

AI Image of Bhagwan Vishnu

भगवान विष्णु का एआई चित्र। (AI)

हिन्दू धर्म में सफला एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत प्रत्येक वर्ष पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु की उपासना करने से व्यक्ति के सभी कष्ट और दुःख दूर हो जाते हैं और उन्हें सुख व समृद्धि की प्राप्ति होती है।

 

वैदिक पंचांग के अनुसार, आज के दिन सफला एकादशी का पालन किया जा रहा है। धर्म-ग्रंथों में प्रत्येक एकादशी व्रत की अपनी एक अलग मान्यता, कथा और महत्व का उल्लेख किया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस एकादशी व्रत का पालन करने से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए जानते हैं, क्यों रखा जाता है सफला एकादशी व्रत और इस व्रत का महत्व?

सफला एकादशी पौराणिक कथा

सफला एकादशी का महत्व हिंदू धर्म में बहुत अधिक है। इसे पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना गया है। इस एकादशी की पौराणिक कथा में राजा महिष्मत और उनके पुत्र का उल्लेख मिलता है।

 

प्राचीन समय में चंपावती नगर में महिष्मत नाम के एक धर्मपरायण राजा राज्य करते थे। राजा तो धर्म के मार्ग पर चलते थे, लेकिन उनका बड़ा पुत्र लुंभक अत्यंत अधर्मी और बुरे कर्मों में लिप्त था। वह माता-पिता और देवताओं का अनादर करता था। लुंभक के दुर्व्यवहार से तंग आकर राजा ने उसे अपने राज्य से निकाल दिया।

 

राज्य से निकाले जाने के बाद लुंभक एक जंगल में रहने लगा। वहां वह चोरी और अन्य पापपूर्ण कार्य करता और उसी से अपनी जीविका चलाता। जंगल में वह एक पेड़ के नीचे रहता था, जिसे लोग भगवान विष्णु का प्रिय वृक्ष मानते थे।

 

एक बार सफला एकादशी का दिन आया। संयोग से लुंभक उस दिन भूखा-प्यासा ही रहा। रात को ठंड के कारण वह सो नहीं पाया और पूरी रात जागता रहा। इस प्रकार उसने अंजाने में ही सफला एकादशी का व्रत कर लिया।

 

सुबह होते ही वह जंगल से कुछ फल तोड़कर लाया और एक वृक्ष के नीचे बैठकर कहने लगा, 'हे प्रभु! मैं ये फल आपको अर्पित करता हूं। कृपया इसे स्वीकार करें।'

 

भगवान विष्णु लुंभक की इस अनजाने में की गई पूजा और व्रत से प्रसन्न हुए। उन्होंने उसे पापों से मुक्त कर दिया और उसका जीवन बदल दिया। बाद में लुंभक अपने पिता के पास लौटा और धर्म के मार्ग पर चलकर जीवन व्यतीत करने लगा।

सफला एकादशी का महत्व

विष्णु पुराण अथवा स्कंद पुराण में इसका उल्लेख मिलता है कि सफला एकादशी व्रत का पालन करने से व्यक्ति के सभी पाप और कष्ट दूर हो जाते हैं व साधक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके साथ एकादशी व्रत को सबसे महत्वपूर्ण व्रत की श्रेणी में माना जाता है। मान्यता है कि सफला एकादशी नाम के अनुरूप इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति को सभी क्षेत्रों में सफलताएं मिलती हैं।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।

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