भारत में कई धार्मिक स्थल हैं लेकिन कुछ स्थानों को विशेष रूप से 'मोक्ष की नगरी' यानी 'मोक्षदायिनी पुरी' कहा गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन स्थानों पर मृत्यु होने पर व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है, यानी आत्मा जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाती है। बता दें कि गरुड़ पुराण में ऐसे सात स्थानों को 'सप्त मोक्षपुरी' कहा गया है। ये स्थान धार्मिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माने जाते हैं।
गरुड़ पुराण में सप्त मोक्षपुरी
'अयोध्या मथुरा माया काशी कांची अवंतिका।
पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायिका।।'
अर्थात- अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार (जिसे माया कहा गया है), काशी, कांचीपुरम, उज्जैन (अवंतिका), और द्वारका- ये सात नगर मोक्ष देने वाले हैं। जो व्यक्ति इन पवित्र स्थानों में पुण्य कर्म करता है या यहां मृत्यु को प्राप्त करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
यह भी पढ़ें: करणी माता मंदिर: जहां हैं 25000 से ज्यादा चूहे और की जाती है उनकी पूजा
अयोध्या (उत्तर प्रदेश)
अयोध्या भगवान श्रीराम की जन्मभूमि है और इसे धर्म और मर्यादा का प्रतीक माना जाता है। यह सरयू नदी के किनारे बसा है और त्रेतायुग की ऐतिहासिक गाथाओं से जुड़ा है। राम जन्मभूमि मंदिर, कनक भवन और हनुमानगढ़ी जैसे स्थान इस नगर को धार्मिक दृष्टि से और भी महान बनाते हैं। यहां मृत्यु को प्राप्त होने वाले को श्रीराम के चरणों में स्थान मिलने की मान्यता है।
मथुरा (उत्तर प्रदेश)
मथुरा भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि है और ब्रज क्षेत्र का सबसे प्रमुख स्थान है। यमुना नदी के किनारे स्थित यह नगर द्वापर युग की घटनाओं से जुड़ा है। जन्मभूमि मंदिर, द्वारकाधीश मंदिर और विशाल वृंदावन क्षेत्र मथुरा को बेहद धार्मिक बनाते हैं। यहां रहने और मरने वाला व्यक्ति भगवान कृष्ण के चरणों में मोक्ष पाता है, ऐसा विश्वास है।
माया (हरिद्वार, उत्तराखंड)
शास्त्रों में हरिद्वार को 'मायापुरी' के नाम से उल्लेखित किया गया है। यह गंगा नदी के तट पर स्थित है और चार धाम यात्रा का प्रवेश द्वार है। यहां हर की पौड़ी, मंसा देवी और चंडी देवी जैसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थल हैं। कहा जाता है कि गंगा स्नान और कर्मकांड के लिए हरिद्वार को श्रेष्ठ माना जाता है। यहां मृत्यु होने पर आत्मा को मुक्ति मिलती है।
काशी (वाराणसी, उत्तर प्रदेश)
काशी या वाराणसी को भगवान शिव की नगरी कहा जाता है और इसे 'मोक्ष की राजधानी' के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि गंगा के किनारे बसे इस नगर में मृत्यु होने पर स्वयं शिव तारक मंत्र देकर आत्मा को मुक्ति प्रदान करते हैं। यहां काशी विश्वनाथ मंदिर, गंगा घाट, और मणिकर्णिका घाट जैसी जगहें अत्यंत पूजनीय हैं।
कांची (कांचीपुरम, तमिलनाडु)
कांचीपुरम दक्षिण भारत का एक बहुत प्राचीन तीर्थस्थल है जिसे 'दक्षिण की काशी' भी कहा जाता है। यह शैव और वैष्णव दोनों परंपराओं के लिए पवित्र माना गया है। यहां एक ओर एक हजार शिव मंदिर हैं, वहीं विष्णु के भी प्रसिद्ध मंदिर जैसे वरदराज पेरुमल और एकंबरेश्वर मंदिर हैं। सप्त मोक्षपुरी में यह स्थान भी अहम है
यह भी पढ़ें: उत्तर से दक्षिण तक ये हैं रामायण से जुड़े 10 प्रसिद्ध हनुमान मंदिर
अवंतिका (उज्जैन, मध्यप्रदेश)
महाकाल कि नागरी उज्जैन को अवंतिका भी कहा जाता है और यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ‘महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग’ के लिए प्रसिद्ध है। यह क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित है और कालचक्र के सिद्धांत से जुड़ा हुआ माना जाता है। यहां हर 12 साल में सिंहस्थ कुंभ भी होता है और यहांं मृत्यु को मोक्षदायक माना गया है।
पुरी (ओडिशा)
पुरी भगवान जगन्नाथ की नगरी है, जो भगवान विष्णु के अनन्य नामों में से एक है। यह चार धामों में से एक है और यहां स्थित जगन्नाथ मंदिर श्री हरि के भक्तों में अत्यंत पूजनीय है। साथ ही इस स्थान पर हर साल होने वाली रथ यात्रा में लाखों की संख्या में भक्त हिस्सा लेते हैं। ऐसी मान्यता है कि पुरी में मृत्यु होने से आत्मा को भगवान जगन्नाथ की कृपा से मोक्ष मिलता है।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।