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करणी माता मंदिर: जहां हैं 25000 से ज्यादा चूहे और की जाती है उनकी पूजा

राजस्थान के बीकानेर में स्थित करणी माता मंदिर को चूहों का मंदिर भी कहा जाता है। जानें क्या है इसके पीछे वजह और इस स्थान से जुड़ी मान्यताएं।

Image of Karni Mata Mandir

करणी माता मंदिर का प्रवेश द्वार।(Photo Credit: Wikimedia Commons)

भारत में कई मंदिर ऐसे हैं जो अपनी अनोखी परंपराओं के कारण पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो जाते हैं। ऐसा ही एक मंदिर राजस्थान, बीकानेर में स्थित करणी माता मंदिर, जिसे चूहों के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर इसलिए लोगों को अपनी ओर आकर्षित क्योंकि यहां हजारों चूहे रहते हैं जिन्हें ‘काबा’ कहा जाता है और श्रद्धालु इन्हें पवित्र मानकर पूजा करते हैं।

करणी माता कौन थीं?

स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, करणी माता को देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि 14वीं सदी में राजस्थान के चारण वंश में उनका जन्म हुआ था और उन्हें सिद्ध योगिनी माना जाता है। उन्होंने अपना पूरा जीवन जनसेवा, तप और चमत्कारों में बिताया। कहा जाता है कि करणी माता ने अपने जीवनकाल में कई असंभव कार्य किए, जिसकी वजह से उनके भक्त उन्हें साक्षात देवी मानते हैं।

 

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चूहों की पूजा क्यों होती है?

मंदिर में हजारों की संख्या में जो चूहे रहते हैं, उनके पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार, एक दिन करणी माता का पुत्र लक्ष्मण एक जल स्रोत में डूब गया और उनकी मृत्यु हो गई। माता ने मृत्यु के देवता यमराज से उसे जीवित करने की प्रार्थना की लेकिन यमराज ने कहा कि यह नियमों के विरुद्ध है। तब करणी माता ने अपने तप और शक्ति से यह वरदान लिया कि उनके वंश के लोग मरने के बाद मानव रूप में जन्म लेने के बजाय चूहे बन जाएं और इसी मंदिर में निवास करें। इस मान्यता के अनुसार, यहां रहने वाले सभी चूहे उनके वंशजों की आत्माएं माने जाते हैं।

मंदिर की विशेषताएं

मंदिर में लगभग 25,000 से अधिक चूहे रहते हैं, और इनमें से कुछ सफेद चूहे भी हैं जिन्हें बहुत पवित्र माना जाता है। साथ ही सफेद चूहे को देखना शुभ संकेत माना जाता है। मंदिर में चूहों के लिए विशेष रूप से दूध, अनाज और मिठाई रखी जाती है और श्रद्धालु उसी प्रसाद को बड़े श्रद्धा से ग्रहण करते हैं।

 

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इस मंदिर में आने वाले भक्त मानते हैं कि चूहों को प्रसन्न करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। मंदिर के अंदर चूहों के ऊपर पैर रखना पाप माना जाता है। यदि किसी से अनजाने में कोई चूहा मर जाए तो उसे सोने का चूहा बनवाकर मंदिर को दान देना पड़ता है।

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