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विद्याशंकर मंदिर: 12 खंभों वाले इस मंदिर की खासियत क्या है?

कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले में स्थित विघाशंकर मंदिर अपनी स्थापत्य कला के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध है। इस मंदिर का प्रमुख आकर्षण केंद्र यहां पर स्थित बारह स्तंभ (पिलर) हैं।

Vidhyashankara mandir

विद्याशंकर मंदिर: Photo credit: Social Media

कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले में तुंगा नदी के तट पर स्थित श्रृंगेरी का विद्याशंकर मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि भारतीय स्थापत्य कला, दर्शन और ज्योतिष का संगम भी है। यह वही स्थान है जहां आदि शंकराचार्य ने दक्षिण भारत में अपने चार प्रमुख मठों में से एक शृंगेरी शारदा पीठ की स्थापना की थी। कहा जाता है कि यही वह भूमि है जहां उन्होंने अद्वैत वेदांत के सिद्धांतों का प्रचार किया था।

 

14वीं शताब्दी में बना यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे गुरु विद्यातीर्थ की स्मृति में बनाया गया था। मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता इसके बारह स्तंभ (पिलर) हैं, जिन पर बारह राशियों के चिह्न उकेरे गए हैं। खगोलशास्त्र के अद्भुत सिद्धांतों पर आधारित इन स्तंभों पर सूर्य की किरणें हर महीने अलग-अलग राशि पर पड़ती हैं। यही वजह है कि इसे सूर्य विज्ञान का मंदिर भी कहा जाता है।

 

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किस शैली में बना है विद्याशंकर मंदिर

द्रविड़ और होयसल शैली के मेल से बना यह मंदिर वास्तुकला की दृष्टि से भी बेमिसाल है। मंदिर के गर्भगृह में विद्याशंकर लिंग स्थापित है, जबकि इसके चारों ओर ब्रह्मा, विष्णु, महेश और देवी दुर्गा के छोटे-छोटे मंदिर बने हैं।

 

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मंदिर की विशेषता

  • यह मंदिर 14वीं सदी (1338 ई.) में बनाया गया था और इसमें द्रविड़ और होयसल शैली के स्थापत्य का सुंदर मेल देखने को मिलता है। 
  • मंदिर के मंडप में बारह स्तंभ (पिलर) हैं, जिन पर हिन्दू राशि के चिह्न उकेरे गए हैं और धूप में सूर्य की किरण इन स्तंभों पर एक-एक करके पड़ती है।
  • मंदिर का गर्भगृह पश्चिम दिशा में है जहां मुख्य रूप से विद्याशंकर लिंग विराजमान हैं। 
  • कहा जाता है कि यह स्थान आदि शंकराचार्य के जरिए स्थापित शृंगेरी शारदा पीठम् का प्रमुख मठ है, जो अद्वैत वेदांत के प्रसार के लिए बनाया गया था। 

इस में मंदिर किसकी पूजा होती है?

  • मंदिर में मुख्य देवता के रूप में विद्या शंकर लिंग (शिवलिंग) हैं, जो कि गुरु विद्यातीर्थ के समाधि स्थान पर स्थापित है। 
  • इसके अलावा मंदिर में छोटे-छोटे उप-मंदिर बनाए गए हैं, जहां ब्रह्मा, विष्णु, माहेश्वर (शिव) और देवी दुर्गा की मूर्तियां भी पूजा के लिए मौजूद हैं। 

मंदिर की खासियत

  • मंदिर के स्थापत्य में होयसल और द्रविड़ शैली का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है, जो मंदिर को विशिष्ट आकार देता है।
  • मंदिर का ऊंचा प्रांगण और विस्तृत शिल्प-कृति हिन्दू पुराण, दशावतार और अन्य देवताओं को दर्शाती हैं। 

मंदिर तक कैसे पहुंचे

सड़क मार्ग: बेंगलुरु से लगभग 320 किमी की दूरी पर स्थित है, मंगलूरू से करीब 111 किमी है। 

नजदीकी रेलवे स्टेशन: सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन मंगलूरू और शिमोगा हैं। उसके बाद फिर सड़क मार्ग से जाना होता है। 

नजदीकी एयरपोर्ट: मंगलूरू अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा इस मंदिर से सबसे करीब है, जो यहां से लगभग 100 किमी की दूरी पर है।

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