रामायण के सबसे चर्चित और विवादास्पद पात्र रावण का जीवन आज भी लोगों के लिए रोमांच और प्रेरणा का स्रोत है। वाल्मीकि रामायण और अलग-अलग पुराणों के अनुसार, रावण ब्राह्मण कुल का विद्वान था और भगवान शिव का परम भक्त माना जाता है। जन्म से ही उसकी प्रतिभा और विद्या सबसे अलग थी। माता कैकेसी की राक्षसी प्रवृत्ति और ब्रह्मा से प्राप्त वरदान ने उसे असाधारण शक्तिशाली बना दिया था। उसे कोई भी देवता, दानव या यक्ष नहीं मार सकते थे। केवल मनुष्य ही उसे मार सकते थे। यही वजह थी कि भगवान राम ने अवतार लेकर रावण का वध किया।
रावण के जीवन और उसके शक्तियों की यह कथा दशहरे के दिन विशेष रूप से याद की जाती है। यह कहानी न केवल उसकी विद्या और शक्ति को दर्शाती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि अहंकार और अधर्म का परिणाम कितना विनाशकारी हो सकता है। आज भी रावण की यह कथा पौराणिक कथाओं में नायक और विरोधी दोनों रूपों में अध्ययन और चर्चा का विषय बनी हुई है।
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रावण का जन्म और वंश
- रावण का जन्म ऋषि विश्रवा और राक्षसी कैकेसी के यहां हुआ था।
- विश्रवा महर्षि पुलस्त्य के पुत्र थे, इसलिए रावण ब्राह्मण वंश का था।
- उसकी माता कैकेसी राक्षस कुल की थी, वह राक्षस कुल के सुमाली की पुत्री थी।
- इस वजह से रावण को विद्वत्ता और तपस्या का संस्कार पिता से मिला, जबकि राक्षसी प्रवृत्ति और दैत्यकुल का प्रभाव माता से मिला।
रावण का असली नाम
- जन्म के समय उसका नाम दशग्रीव या दशानन रखा गया था, क्योंकि उसके दस सिर माने जाते हैं (जो विद्या और शक्तियों का प्रतीक थे)।
- बाद में उसने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी।
- कथा है कि उसने अपना सिर एक-एक करके भगवान शिव को अर्पित कर दिया था। जब भगवान शिव ने उसे वरदान देकर दोबारा जीवित किया, तभी से उसका नाम रावण पड़ा (अर्थ – जो रुद्र को रुला दे)।
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रावण राक्षस कैसे बना?
- रावण मूल रूप से वह ब्राह्मण था लेकिन राक्षसी वंश और दैत्य संस्कार की वजह से उसका झुकाव असुर प्रवृत्तियों की ओर हुआ।
- उसकी माता कैकेसी ने अपने पुत्रों (कुंभकर्ण, रावण, विभीषण आदि) को तपस्या करने के लिए प्रेरित किया था।
- रावण ने भगवान ब्रह्मा से वरदान मांगा कि देवता, दानव, गंधर्व, यक्ष उसे न मार सकें। उसने मनुष्य को तुच्छ समझ कर वरदान में शामिल नहीं किया था। यही उसकी भूल थी।
- प्रचलित कथा के अनुसार, इस वरदान के बाद रावण बहुत शक्तिशाली हो गया और अहंकारी बन बैठा।
उसने अधर्म करना शुरू किया
- देवताओं और ऋषियों को प्रताड़ित किया।
- स्त्रियों का हरण करने लगा।
- त्रिलोक पर अत्याचार करने लगा।
- इसी अधर्म और अहंकार की वजह से वह राक्षस की श्रेणी में आ गया।
रावण से जुड़ी प्रमुख पौराणिक कथा
- पुर्वजन्म की कथा (जया-विजया शाप कथा)
- भगवान विष्णु के द्वारपाल जया और विजय को सनकादिक ऋषियों ने शाप दिया कि वे तीन जन्म तक असुर कुल में जन्म लेंगे और विष्णु के हाथों मारे जाएंगे।
- पहले जन्म में वे हिरण्याक्ष-हिरण्यकशिपु,
- दूसरे जन्म में रावण-कुंभकर्ण,
- और तीसरे जन्म में शिशुपाल-दंतवक्र बने।
- इस तरह प्रचलित पौराणकि कथा के अनुसार, रावण वास्तव में भगवान विष्णु का ही द्वारपाल जया था, जो शाप की वजह से राक्षस के रूप में जन्मा था।