हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं की उपासना के लिए तरह-तरह के सामग्रियों का इस्तेमाल किया जाता है। इन्हीं में से एक ‘माला’ का बहुत गहरा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। माला का प्रयोग भगवान का नाम जपने, मंत्रों का जाप करने और ध्यान साधना के लिए किया जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि माला केवल एक पूजा सामग्री नहीं है, बल्कि यह साधक को मानसिक शांति, एकाग्रता और आत्मिक उन्नति की ओर ले जाने वाला माध्यम भी है।
माला का इतिहास
मालाओं का प्रयोग प्राचीन काल से ही होता आ रहा है। वेद, पुराण और उपनिषदों में माला के उपयोग और उसके महत्व का उल्लेख मिलता है। खासकर अथर्ववेद में जाप और माला के उपयोग का संकेत मिलता है। महाभारत में भी योग और ध्यान के समय माला के उपयोग का वर्णन है। इसके अलावा, पद्म पुराण, गरुड़ पुराण, विष्णु पुराण तथा योगसूत्र जैसे शास्त्रों में माला से जाप करने की विधियां और उसके लाभ बताए गए हैं।
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प्राचीन काल में ऋषि-मुनि, तपस्वी और साधक जंगलों में रहकर जप और ध्यान करते थे। वे माला के माध्यम से विभिन्न मंत्रों का जाप करते थे ताकि उनकी साधना में निरंतरता बनी रहे। माला गिनती का भी एक साधन है ताकि निश्चित संख्या में मंत्र जाप हो सके।
माला के प्रकार
हिन्दू धर्म में कई प्रकार की मालाएं होती हैं और प्रत्येक का अपना विशेष महत्व होता है। यहां प्रमुख मालाओं का विवरण है
- रुद्राक्ष माला: यह भगवान शिव को प्रिय मानी जाती है। इसे पहनने और जाप करने से शांति, स्वास्थ्य और शक्ति प्राप्त होती है। रुद्राक्ष की माला आमतौर पर 108 दानों की होती है।
- तुलसी माला: यह भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण को समर्पित होती है। तुलसी की माला से जप करने से पवित्रता बढ़ती है और मन में भक्ति भाव उत्पन्न होता है।
- स्फटिक माला: यह शीतलता और शुद्धता का प्रतीक है। इसे मां दुर्गा की उपासना में उपयोग किया जाता है। इससे मानसिक तनाव कम होता है।
- कमल गट्टा माला: यह लक्ष्मी माता को प्रिय है। इससे जप करने से धन, वैभव और समृद्धि मिलती है।
- चंदन माला: यह भगवान विष्णु, भगवान गणेश और श्री राम की पूजा के लिए उपयुक्त होती है। इससे शरीर में शीतलता और मन में शांति आती है।
- लाल मूंगा, हकीक, मोती माला: इनका ज्योतिषीय और तांत्रिक महत्व होता है। विशेष साधनाओं में इनका प्रयोग होता है।
माला से जप करने के नियम
कहा जाता है कि माला से जाप करते समय कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है ताकि साधना सफल हो और पुण्य प्राप्त हो। इसमें सबसे पहला नियम माला को हमेशा दाहिने हाथ में रखना चाहे और मध्यमा (मध्य उंगली) और अंगूठे से घुमाना चाहिए। तर्जनी यानी इंडेक्स फिंगर का उपयोग मना है क्योंकि इसे अशुद्ध माना जाता है। इस बात का ध्यान रखें कि जाप करते समय माला को नीचे न गिराएं और गले में पहनकर जप करें या माला पाउच में रखें।
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माला में 108 दाने होते हैं और एक "मेरु" या "सुमेरु" दाना होता है, जिससे आगे जाप नहीं किया जाता। जाप पूरा होने पर माला को उल्टा घुमाकर दोबारा जप करें। जप के समय मन एकाग्र और शांत रखें, मंत्र स्पष्ट उच्चारण के साथ बोलें। माला को किसी के साथ साझा न करें, खुद की माला का प्रयोग करें।
माला से जुड़ी खास बातें
- माला का नियमित प्रयोग व्यक्ति को तनावमुक्त और मानसिक रूप से मजबूत बनाता है।
- माला से जप करने से व्यक्ति की ध्यान शक्ति बढ़ती है और मन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
- हिन्दू धर्म के अलावा, बौद्ध, जैन और सिख धर्म में भी माला का महत्व है और वहां भी विभिन्न प्रकार की मालाएं उपयोग की जाती हैं।
- 108 संख्या का विशेष महत्व है क्योंकि इसे ब्रह्मांडीय संख्या माना गया है, जिसमें जीवन और ब्रह्मांड के रहस्य छिपे हैं।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।