logo

ट्रेंडिंग:

कार्तिगई दीपम विवाद: आखिर क्या है अरुलमिगु सुब्रमण्य स्वामी मंदिर की कहानी?

तमिलनाडु के मशहूर त्योहार कार्तिकेय दीपम की वजह से जिस मंदिर को लेकर विवाद हुआ था वह मंदिर भगवान कार्तिकेय का है। आइए जानते हैं अरुलमिगु सुब्रमण्य स्वामी मंदिर से जुड़ा इतिहास क्या है।

Subramaniya Swamy Temple

अरुलमिगु सुब्रमण्य स्वामी मंदिर

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

तमिलनाडु के मदुरै जिले में स्थित थिरुप्परनकुंद्रम पहाड़ी पर बना अरुलमिगु सुब्रमण्य स्वामी मंदिर कार्तिगई दीपम त्योहार को लेकर सुर्खियों में है। यह मंदिर भक्तों और पर्यटकों के लिए श्रद्धा का केंद्र माना जाता है। पहाड़ को काटकर बनाई गई यह अनोखी गुफा-शैली का प्राचीन धरोहर स्थल सिर्फ धार्मिक महत्व की वजह से नहीं, बल्कि अपनी अनूठी ऐतिहासिक और पौराणिक विरासत की वजह से भी प्रसिद्ध है।

 

मान्यता के अनुसार, 6वीं–8वीं शताब्दी के पांड्य काल में निर्मित यह मंदिर आज भी अपने मूल रूप में मौजूद है और हर रोज हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर की खास बात यह है कि इसकी पूरी संरचना विशाल चट्टान को तराशकर बनाई गई है, जिसमें देवी–देवताओं की सुंदर नक्काशियां, गुफानुमा गर्भगृह और ऊंचा गोपुरम इसकी प्राचीन धरोहर का भव्य उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।

 

यह भी पढ़ें: 14 या 15 दिसंबर किस दिन मनाई जाएगी सफला एकादशी, जानें वैदिक मुहूर्त

मंदिर का इतिहास 

  • मदुरै के पास स्थित थिरुप्परनकुंद्रम पहाड़ी पर बना अरुलमिगु सुब्रमण्य स्वामी मंदिर तमिलनाडु के सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है।
  • यह मंदिर भगवान मुरुगन (कार्तिकेय) का माना जाता है, जिन्हें दक्षिण भारत में बहुत श्रद्धा से पूजा जाता है।
  • मंदिर की मान्यता है कि यही वह स्थान है जहां भगवान मुरुगन ने असुर सूरपद्म का वध किया था और इसके बाद भगवान शिव ने मुरुगन का विवाह देवसेना (इंद्र की पुत्री) से यहीं करवाया था।
  • मंदिर का निर्माण 6वीं से 8वीं शताब्दी के बीच पांड्य राजाओं के जरिए कराया गया माना जाता है।
  • यह मंदिर एक विशाल चट्टान को काटकर बनाया गया है, जो इसे वास्तुकला की दृष्टि से बेहद अनोखा बनाता है।

यह भी पढ़ें: कुक्के श्री सुब्रमण्य स्वामी मंदिर को सर्प दोष मुक्ति का केंद्र क्यों कहते हैं?

मंदिर की प्रमुख विशेषताएं

चट्टान को काटकर बना प्राचीन गुफावाला मंदिर

  • मंदिर पूरी तरह एक बड़ी पहाड़ी चट्टान को काटकर बनाया गया है। इसके अंदर की नक्काशी और मूर्तियां बहुत ही सुंदर और दुर्लभ हैं।

भगवान मुरुगन – देवसेना विवाह स्थल

  • कहते हैं कि भगवान मुरुगन का देवसेना से विवाह इसी स्थान पर हुआ था। इसलिए इसे विवाह का पवित्र स्थान (कल्याण स्थल) भी कहा जाता है।

जैन, हिंदू और मुस्लिम आस्था का संगम

  • थिरुप्परनकुंद्रम पहाड़ी कई धर्मों के लिए पवित्र मानी जाती है।
  • पहाड़ी पर जैन संतों की गुफाएं भी हैं।
  • पास ही एक मुस्लिम संत का दर्गाह है।
  • यह स्थान धार्मिक सद्भाव का प्रतीक भी माना जाता है।

अद्भुत वास्तुकला

  • पत्थरों में भगवान शिव, विष्णु, गणेश, सूर्य, देवी और अन्य देवताओं की नक्काशी है।
  • मंदिर का गर्भगृह चट्टान के अंदर बहुत गहराई में है।
  • मंदिर के विशाल गोपुरम (मंदिर टावर) और लंबे स्तंभ बेहद आकर्षक हैं।

मंदिर से जुड़ी मान्यताएं

विवाह और संतान प्राप्ति की मान्यता

  • यह मंदिर माना जाता है कि यहां विवाह की मनोकामना बहुत जल्दी पूरी होती है।
  • संतान सुख की इच्छा रखने वाले दंपति यहां विशेष पूजा करवाते हैं।

शत्रु बाधा दूर होती है

  • मुरुगन को सेनापति माना जाता है। भक्त विश्वास करते हैं कि यहां पूजा करने से शत्रु बाधा नकारात्मक ऊर्जा और भय दूर हो जाता है।
  • इस मंदिर में कर्ज मुक्ति के लिए विशेष पूजा होती है। 
  • यहां 'शत्रु सम्हार पूजा' और 'कर्ज मुक्ति पूजा' विशेष रूप से प्रसिद्ध है।

मंदिर तक कैसे पहुंचें?

रेल मार्ग

  • सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन मदुरै जंक्शन (लगभग 8–10 किमी दूर) है।
    मदुरै से मंदिर तक ऑटो/कैब आसानी से मिल जाती है।

नजदीकी एयरपोर्ट

  • सबसे पास का एयरपोर्ट मदुरै अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (लगभग 12 किमी दूर) है।

सड़क मार्ग

  • तमिलनाडु के हर बड़े शहर (चेन्नई, कोयंबटूर, त्रिची) से बसें उपलब्ध हैं।
  • मदुरै शहर से मंदिर तक लोकल बस, ऑटो और टैक्सी आसानी से मिल जाती है।

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap