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वेद, पुराण और उपनिषद में क्या अंतर है?

हिंदू धर्म में वेद, पुराण और उपनिषद तीन ऐसे स्तम्भ हैं, जो धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। आइए जानते हैं वेद, पुराण और उपनिषद में क्या अंतर है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर: Photo Credit: AI

हिंदू धर्म के प्राचीन ग्रंथों में वेद, उपनिषद और पुराण तीन ऐसे स्तंभ हैं, जो धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। वेदों को ऋषियों के जरिए प्रत्यक्ष अनुभव और दिव्य दृष्टि से प्रकट किए गए ज्ञान का संग्रह माना जाता है। इन ग्रंथों में मंत्र, यज्ञ, अनुष्ठान और देवताओं की स्तुति का विस्तार से वर्णन किया जाता है, जो प्राचीन समाज में धार्मिक और सामाजिक जीवन का आधार माना जाता था। उपनिषदों को वेदों का अंतिम और दार्शनिक भाग माना जाता है। इन ग्रंथों में कर्मकाण्ड से ऊपर उठकर आत्मा, ब्रह्म और मोक्ष की गहन शिक्षाएं दी गई हैं। 

 

उपनिषद व्यक्ति को जीवन के उच्चतर उद्देश्य की ओर मार्गदर्शन देते हैं और आध्यात्मिक चिंतन और ध्यान के महत्व को स्पष्ट करते हैं। पुराण स्मृति ग्रंथों में आते हैं और इनमें देवताओं की लीलाएं, विश्व और व्यक्ति की रचना, पौराणिक कथाएं, नीतिशिक्षा और राजाओं के जीवन का विवरण मिलता है। पुराण आम आदमी तक धर्म, भक्ति और नैतिक मूल्यों को पहुंचाने का प्रमुख साधन माने जाते हैं।

 

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वेद 

वेद हिन्दू धर्म के सबसे प्राचीन ग्रंथ हैं। इन्हें श्रुति माना जाता है, यानी ये ज्ञान ऋषियों को दिव्य दृष्टि या अनुभव से प्रकट हुआ और मानवता तक पहुंचा।

 

वेद चार होते हैं

  • ऋग्वेद - मंत्र और स्तुति का संग्रह।
  • सामवेद - मंत्रों का गीतात्मक रूप।
  • यजुर्वेद - यज्ञ और अनुष्ठान की विधियां।
  • अथर्ववेद - घर और जीवन के साधारण कार्यों के लिए मंत्र और जादुई उपाय।

वेद का मूल उद्देश्य यज्ञ, अनुष्ठान और देवताओं की स्तुति है। वेदों में प्राकृतिक और ब्रह्मांडीय शक्तियों का स्मरण किया गया है। इनके चार भाग होते हैं-

  • सामहिता - मंत्रों का संग्रह।
  • ब्राह्मण - यज्ञ और अनुष्ठानों का विवरण।
  • अरण्यक - वनवासियों के लिए ध्यान और साधना।
  • उपनिषद - दार्शनिक ज्ञान और आत्म-बोध।

वेदों में कर्मकाण्ड और अनुष्ठान पर जोर दिया गया है लेकिन उनमें जीवन, धर्म और ब्रह्मांड की संरचना के तत्व भी निहित हैं।

उपनिषद 

  • उपनिषद वेदों का अंतिम भाग (वेदांत) माने जाते हैं। इन्हें भी श्रुति ग्रंथों में रखा गया है।
  • उपनिषदों का उद्देश्य कर्मकाण्ड से ऊपर उठकर आध्यात्मिक ज्ञान, आत्म-बोध, ब्रह्म और मोक्ष का ज्ञान देना है।
  • उपनिषदों में आत्मा (आत्मन्), परमात्मा (ब्रह्म), मोक्ष, पुनर्जन्म और कर्म को विस्तार से बताया गया है।
  • उपनिषद गुरु-शिष्य संवाद, चिंतन और रहस्यमय कथाओं के माध्यम से ज्ञान प्रदान करते हैं।
  • उदाहरण - कठ उपनिषद, मुण्डक उपनिषद, ईशा उपनिषद।
  • उपनिषदों में कर्मकाण्ड की अपेक्षा दार्शनिक और आध्यात्मिक तत्व महत्वपूर्ण माने गए हैं। उपनिषद व्यक्ति को जीवन के उद्देश्य तक पहुंचने का रास्ता दिखाते हैं।

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पुराण

  • पुराण स्मृति ग्रंथों में आते हैं। इसका अर्थ है, वह जो स्मरण किया गया हो।
  • पुराणों में धार्मिक, नैतिक और सांस्कृतिक कथाएं होती हैं।
  • इसमें देवताओं की लीलाएं, विश्व और व्यक्तियों का इतिहास, राजा-महाराजाओं की कथाएं और धर्म-नैतिक शिक्षा दी गई है।
  • पुराणों का उद्देश्य आम जनता को धर्म की जानकारी देना और भक्ति भावना जगाना है।
  • उदाहरण - भागवत पुराण, शिव पुराण, विष्णु पुराण।
  • पुराण सरल कथाओं के जरिए धर्म और नैतिकता की शिक्षा देते हैं, इसलिए पुराणों से जुड़ी जानकारी आम आदमी तक आसानी से पहुंचाई जा सकती है।
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