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10 महाविद्या कौन हैं, इनसे जुड़ी मान्यता क्या है?

देवी आदिशक्ति के 10 अद्भुत स्वरूप जिसे महाविद्या के नाम से जानते हैं। आइए जानते हैं 10 महाविद्या से जुड़ी मान्यताएं क्या हैं?

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प्रतीकात्मक तस्वीर: Photo Credit: AI

हिंदू धार्मिक परंपराओं में देवी शक्ति की महिमा के रूप में दश महाविद्या का एक अद्भुत महत्व बताया गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जब भगवान शंकर तपस्या के लिए माता पार्वती से दूर जाना चाहते थे, तब माता ने उन्हें रोकने के लिए अपने दस भयानक और अद्भुत स्वरूप प्रकट किए। इन्हीं स्वरूपों को दश महाविद्या कहा गया। काली से लेकर तारा, त्रिपुरा सुंदरी से लेकर बगलामुखी और कमला तक ये सभी देवियां शक्ति की चरम अभिव्यक्ति हैं। कहा जाता है कि ये सभी देवियां शक्ति के विशिष्ट आयामों की प्रतीक हैं।

 

मान्यता के अनुसार, देवी काली समय और मृत्यु पर नियंत्रण का संदेश देती हैं। वहीं देवी तारा जीवन की कठिन परिस्थितियों से पार पाने की प्रेरणा देती हैं। देवी बगलामुखी शत्रु पर विजय का वरदान देती हैं और देवी कमला धन और समृद्धि की अधिष्ठात्री मानी जाती हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार महाविद्याओं की आराधना केवल सांसारिक लाभों के लिए ही नहीं बल्कि आत्मज्ञान, वैराग्य और मोक्ष की प्राप्ति के लिए भी की जाती है।

 

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10 महाविद्या से जुड़ी मान्यता

काली

महत्व: समय और मृत्यु की अधिष्ठात्री।

पूजा का फल: भक्त को भय, अकाल मृत्यु और असुर शक्ति से मुक्ति मिलती है। आध्यात्मिक साधना में काली की उपासना से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

तारा

महत्व: दया और करुणा की देवी, मार्गदर्शक शक्ति।

पूजा का फल: यह देवी संकट से उबारने वाली मानी जाती हैं। देवी तारा की आराधना से कठिन परिस्थितियों से मुक्ति और जीवन में स्थिरता मिलती है।

त्रिपुरा सुंदरि (शोडशी)

महत्व: सौंदर्य, समृद्धि और आनंद की देवी।

पूजा का फल: देवी त्रिपुरा सुंदरि की पूजा करने से शृंगार, कला, प्रेम और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। साधक को दिव्य सौंदर्य और आत्मिक आनंद मिलता है।

भुवनेश्वरी

महत्व: सृष्टि और ब्रह्मांड की अधिष्ठात्री।

पूजा का फल: देवी भुवनेश्वरी की उपासना से व्यक्ति को आत्मविश्वास, शक्ति और ब्रह्मांडीय चेतना की अनुभूति होती है। भूमि और भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।

भैरवी

महत्व: रौद्र शक्ति का स्वरूप।

पूजा का फल: देवी भैरवी की पूजा करने से साधक को आत्म-शक्ति, साहस और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। भय और असुर ऊर्जा से रक्षा होती है।

 

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छिन्नमस्ता

महत्व: आत्मत्याग और आत्म-नियंत्रण की देवी।

पूजा का फल: देवी छिन्नमस्ता काम, क्रोध और अहंकार पर नियंत्रण प्रदान करती हैं। साधना से साधक को आत्मसंयम और गहन ध्यान की सिद्धि मिलती है।

धूमावती

महत्व: विधवा और वैराग्य का स्वरूप।

पूजा का फल: देवी धूमावती की आराधना से साधक को वैराग्य, आत्मज्ञान और जीवन की अस्थिरता को स्वीकारने की शक्ति मिलती है। असफलताओं और दुर्भाग्य से रक्षा करती हैं।

बगलामुखी

महत्व: शत्रु नाश करने वाली देवी।

पूजा का फल: देवी बगलामुखी की उपासना से शत्रु की वाणी और शक्ति खत्म हो जाती है। मुकदमे, विवाद और शत्रु से मुक्ति के लिए देवी की पूजा विशेष मानी जाती है।

मतंगी

महत्व: वाणी, संगीत और कला की देवी।

पूजा का फल: देवी मतंगी की पूजा करने से ज्ञान, वाणी की शक्ति, कला और संगीत में निपुणता मिलती है। यह देवी बुद्धि और सृजनशीलता प्रदान करती हैं।

कमला (लक्ष्मी का स्वरूप)

महत्व: धन और समृद्धि की देवी।

पूजा का फल: देवी कमला की उपासना से सुख-समृद्धि, वैभव और भौतिक ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। यह देवी परिवार और समाज में सौहार्द बढ़ाती हैं।

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