logo

ट्रेंडिंग:

भगवान विष्णु ने नारद ऋषि को क्यों बना दिया था बंदर?

पुराणों में ऐसी मान्यता है कि देवर्षि नारद, भगवान विष्णु को बहुत प्रिय हैं। वे भगवान के मन कहे जाते हैं, वे तीनों लोकों में घूमते रहत हैं। ऐसा क्या हुआ था विष्णु ने नारद को बंदर बना दिया था? पढ़ें कहानी।

Narad

देवर्षि नारद को पुराण भगवान ब्रह्मा का पुत्र कहते हैं। (तस्वीरें AI जनरेटेड हैं। क्रेडिट-www.freepik.com)

एक बार देवर्षि नारद को हिमालय की कंदराओं में तपस्या करने लगे। देवराज इंद्र को लगा कि वे भगवान से स्वर्ग लोक मांग लेंगे, इसलिए उन्होंने कामदेव को बुलाकर उनके पास भेज दिया। कामदेव ने नारद की परीक्षा ली और असफल हो गए। 

नारद को अपनी तपस्या पर अहंकार हो गया। उन्होंने कैलाश पर्वत जाकर यह कथा भगवान शिव को सुना दी। उन्होंने कहा कि आपने मुझसे तो कह दिया लेकिन भगवान विष्णु से कामदेव पर विजय पाने की कथा मत सुनाइएगा। नारद ने भगवान विष्णु से भी ये बात कह दी। 

जब देवर्षि नारद को हुआ अभिमान
नारद अभिमान में थे। उन्होंने विष्णु भगवान से कहा कि उन्होंने कामदेव को जीत लिया है। भगवान विष्णु ने कहा कि आप तपस्वी हैं, कामदेव आपका क्या बिगाड़ सकता है। अब भगवान विष्णु ने नारद की परीक्षा लेने की ठान ली। जिस ओर नारद जा रहे थे, वहीं उन्होंने एक नगर रच दिया।

नगर इतना सुंदर था कि कैलाश, ब्रह्मलोक और बैकुंठ लोक भी उस लोक के आगे फीके पड़ गए। इस नगर के राजा का नाम शीलनिधि था। उन्होंने अपनी पुत्री के लिए एक स्वयंवर का आयोजन किया था। उनकी पुत्री का नाम श्रीमति था। नारद, उनकी पुत्री को देखकर प्रेम में पड़ गए।

भगवान विष्णु से मांग लिया था उनका रूप
नारद सीधे वैष्णव लोक चले गए। उन्होंने भगवान से कहा कि उन्हें 'हरि रूप' मिल जाए। उनका कहना था कि वे भगवान विष्णु जैसे ही सुंदर हो जाएं। उन्होंने तथास्तु कह दिया। हरि का एक अर्थ बंदर भी होता है। भगवान ने नारद मुनी का मुंह बंदर का बना दिया और सारे शरीर के अंग अपने तरह ही आकर्षक कर दिए। 

नारद

भगवान ने नारद को बनाया बंदर
नारद ने सोचा कि वे बहुत रूपवान हो गए हैं, इसलिए सीधे स्वयंवर चले गए। वे राज्य सभा में पहुंचे। उनका वानर रूप केवल उस कन्या को दिखाई दे रहा था। जब कन्या आई तो उनका रूप देखकर वह वहां से चली गई। वजह ये थी कि उनका मुंह ही बंदर जैसा था। भगवान विष्णु राजा बनकर आए थे और उसने उन्हीं के गले में माला डाल दिया। 

स्वयंवर में उड़ा नारद का मजाक
विष्णु भगवान अपनी पत्नी को लेकर बैकुंठ चले गए और नारद का उपहास उड़ा। वहां लोगों ने कहा कि आपका मुंह बंदर जैसा है, आप कैसे राजकुमारी से विवाह की सोच सकते हैं। मजाक उड़ाने वाले लोगों को नारद ने श्राप दे दिया। नारद तालाब गए तो देखा कि उनका मुंह सच में बंदर जैसा है। 
नारद ऋषि

भगवान नारद के श्राप की वजह से हुआ था सीता हरण
वे विष्णुलोक गए और भगवान विष्णु को ही श्राप दे दिया। उन्होंने कहा कि हरि तुम दुष्ट हो, तुमने स्त्री के लिए मुझे व्याकुल किया है, तुम्हें भी स्त्री वियोग से जूझना पड़ेगा, तुम्हारी सहायता यही बंदर करेंगे। तुम मानवों की तरह दुख भोगोगे। नारद के श्राप के भगवान ने स्वीकार कर लिया। भगवान ने नारद के मन से जब माया का प्रभाव उतारा तो उन्हें अपनी गलती का एहसास हो गया। उन्होंने भगवान से क्षमा मांगी। भगवान विष्णु ने नारद मुनि के श्राप को स्वीकार किया और त्रेता में उनके दिए गए श्राप को राम बनकर भोगा। 

(डिस्क्लेमर: यह कथा, शिव महापुराण के चौथे अध्याय से ली गई है।खबरगांव इस धार्मिक कथा की पुष्टि नहीं करता है।)

Related Topic:#Religious Story

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap