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कैसे माता यशोदा को मिला भगवान श्रीकृष्ण की मां बनने का सौभाग्य?

माता यशोदा ने भगवान श्री कृष्ण का लालन-पालन किया था। आइए जानते हैं, देवी यशोदा की कथा और पूजा महत्व।

Image of Bhagwan Shri krishna and Mata Yashoda

सांकेतिक चित्र।(Photo Credit: AI Image)

जब-जब भगवान श्री कृष्ण के लीलाओं का वर्णन मिलता है, तब-तब माता यशोदा का नाम जरूर लिया जाता है। वे भगवान श्रीकृष्ण की पालक माता थीं। बता दें कि फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष षष्ठी को मां यशोदा जयन्ती मनाई जाती है। इस पर्व को मुख्य रूप से गुजरात, महाराष्ट्र तथा दक्षिण भारतीय राज्यों मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विशेष दिन पर माता यशोदा की उपासना करने से और कृष्ण लीला सुनने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।

यशोदा माता को यह सौभाग्य कैसे प्राप्त हुआ?

पौराणिक कथा के अनुसार, माता यशोदा और नंदराज ने पूर्व जन्म में भगवान विष्णु की घोर तपस्या की थी। वे अपने जीवन में ईश्वर को पुत्र रूप में प्राप्त करना चाहते थे। उनकी भक्ति और तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हें यह वरदान दिया कि वे अपने अगले जन्म में श्रीकृष्ण के माता-पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त करेंगे। यही कारण है कि जब भगवान श्रीकृष्ण ने पृथ्वी पर अवतार लिया, तो वे नंदबाबा और माता यशोदा के घर में बालक के रूप में आए।

 

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माता यशोदा को यह सौभाग्य इसलिए भी प्राप्त हुआ क्योंकि वे केवल प्रेम के रूप में भगवान को देखती थीं। उनके लिए कृष्ण भगवान नहीं, बल्कि उनकी गोद में खेलता हुआ नटखट बालक था। वे न तो श्रीकृष्ण से कोई वरदान मांगती थीं और न ही उनकी शक्ति को देखकर उनकी पूजा करती थीं। उनके प्रेम में केवल निश्छल स्नेह और ममता थी।

माता यशोदा की पूजा का महत्व

माता यशोदा की पूजा विशेष रूप से मातृत्व और वात्सल्य भाव से जुड़ी हुई है। कई स्थानों पर विशेष रूप से ब्रजभूमि में माता यशोदा को पूजनीय माना जाता है। यशोदा जयंती के दिन माता यशोदा की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। मान्यता है कि माता यशोदा की आराधना करने से निःसंतान स्त्रियों को संतान की प्राप्ति होती है।

 

जो माता-पिता अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं, वे माता यशोदा की भक्ति करते हैं। मान्यता है कि उनकी आराधना से संतान को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। माता यशोदा की पूजा यह सिखाती है कि ईश्वर को पाने के लिए केवल तपस्या नहीं, बल्कि प्रेम और स्नेह की भावना भी आवश्यक है। उनकी भक्ति यह संदेश देती है कि ईश्वर को प्रेम और भक्ति से ही जीता जा सकता है।

 

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माता यशोदा की उपासना करने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। गृहस्थ जीवन में प्रेम और संतोष की भावना जाग्रत होती है, जिससे परिवार में आपसी प्रेम बना रहता है। जो भक्त माता यशोदा की पूजा करते हैं, वे श्रीकृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त करते हैं। यह माना जाता है कि यशोदा माता की भक्ति करने से स्वयं भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं।

यशोदा जयंती पूजा की विधि

माता यशोदा की पूजा करने के लिए विशेष रूप से श्रीकृष्ण और माता यशोदा की मूर्ति या चित्र के समक्ष घी का दीपक जलाया जाता है। भक्तजन माखन और मिश्री का भोग लगाते हैं, क्योंकि श्रीकृष्ण को यह अति प्रिय था। ‘यशोदा-कृष्ण’ के भजन गाए जाते हैं और वात्सल्य भाव से भगवान की आराधना की जाती है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।

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