राजा भैया vs भानवी सिंह: आखिर सड़क पर कैसे आई राजा-रानी की लड़ाई?
राजा भैया और उनकी पत्नी भानवी सिंह की लड़ाई अब घर से निकलकर सोशल मीडिया पर आ गई है। पढ़िए इस विवाद की पूरी कहानी।

राजा भैया और भानवी सिंह, Photo Credit: Khabargaon
‘अदालतों को सरकारें बनाती हैं और सरकार को लोग चुनते हैं, इस तरह अदालतों को भी लोगों से ही शक्ति मिलती है। मेरे साथ भी यही है- लोग मेरे पास आते हैं, मुझसे न्याय मांगते हैं और इस तरह वे मुझे अधिकार देते हैं कि मैं न्याय कर सकूं। सम्मान करने वालों को हमेशा डर होता ही है। आप अदालतों की इज्जत करते हैं, इसमें भी तो डर होता ही है, सजा पाने का डर होता है।’
ये शब्द थे रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के। साल 2002 के विधानसभा चुनाव में व्यस्त राजा भैया से पूछा गया था कि उन्हें क्या अधिकार है कि वह अदालत लगाकर फैसले सुनाते हैं? 3 दशक से अदालतें लगाते आ रहे भदरी रियासत के कुंवर रघुराज अब खुद अदालत में हैं। मामला बेहद निजी है और सामने हैं उनकी पत्नी भानवी कुमारी।
पिछले 3 साल से चर्चा में चल रहा यह मुकदमा अब सिर्फ एक केस नहीं रह गया है। अब इस केस में ड्रामा है, राजनीति है, पैसों का झगड़ा है और आरोप हैं जान से मारने की धमकी देने के, अवैध हथियार रखने के, कंपनी हथियाने के और शादीशुदा होने के बावजूद अफेयर रखने के। पति-पत्नी का यह झगड़ा अब सार्वजनिक मंच पर हो रहा है। इस केस में अब पति और पत्नी के अलावा बेटे और बेटी भी उतर आए हैं। रोचक बात है कि राजा भैया के दोनों बेटे उनके पाले में हैं और दोनों बेटियां अपनी मां भानवी के साथ हैं।
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राजा भैया का परिवार
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले का नाम अक्सर कुंडा विधानसभा के विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के नाम से भी जोड़ा जाता है। लगभग 3 दशक से किसी न किसी वजह से चर्चा में रहने वाला यह नाम पिछले कुछ साल से पारिवारिक कलह की वजह से चर्चा में है। लगातार 7 बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके राजा भैया की लड़ाई इस बार अपनी ही पत्नी और दो बेटियों से है।
अब मामला निजी रिश्ते से इतर होकर बिजनेस में हिस्सेदारी, पैसों की मांग, अवैध हथियारों के आरोप और नाजायज संबंधों तक पहुंच गई है। इस बीच सोशल मीडिया पर मुखर भानवी कुमारी ने राजा भैया के बेहद करीबी अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल पर भी आरोप लगाए थे। कुछ दिनों पहले जब भानवी कुमारी ने कुछ हथियारों के फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किए तब से यह मामला खूब चर्चा में है।
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इस चर्चा को और हवा दे दी है, मां भानवी के साथ खड़ी दो बेटियों और पिता रघुराज के साथ खड़े दो बेटों ने। अब लगभग हर दिन दोनों तरफ से बयानबाजी हो रही है और संभवत: कई छिपे हुए राज खुलते जा रहे हैं।|
आइए उनकी पूरी कहानी समझते हैं…
18 अक्टूबर- भानवी सिंह का ट्वीट
18 अक्तूबर को भानवी कुमारी एक ट्वीट करती हैं। इस ट्वीट में 3 तस्वीरें और एक ऑडियो था। भानवी के मुताबिक, यह ऑडियो उनकी और राजा भैया की बातचीत का है। सुना जा सकता है कि इसमें राजा भैया कहते हैं कि फिर से गोली चला दूंगा। हालांकि, खबरगांव इन तस्वीरों या वीडियो की पुष्टि नहीं करता है। इसमें पहली तस्वीर कुछ हथियारों की है जिन्हें ब्लर किया गया था। दूसरी तस्वीर में राजा भैया एक महिला के साथ हैं। चौथी तस्वीर में राजा भैया के बच्चे भी दिखाए दे रहे हैं।
इस ट्वीट के साथ उन्होंने उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग करके मांग उठाई कि इस मामले की जांच CBI और फॉरेंसिक जांच कराई जाए। उन्होंने यह भी मांग की कि उन्हें और उनकी बेटियों को सुरक्षा दी जाए।
सालों तक मैंने चुप रहकर अपने परिवार की इज़्ज़त बचाने की कोशिश की। बहुत अन्याय सहा, बहुत उत्पीड़न सहा। पर हाल ही में अक्षय प्रताप ने मीडिया इंटरव्यू में मेरे बारे में झूठ फैलाकर मुझे “पागल” कहा। यही वह आख़िरी चोट थी जिसने मुझे मजबूर कर दिया कि अब सच्चाई सबके सामने रखूँ।
— Bhanvi Kumari Singh Bhadri (@BhanviKumari) September 18, 2025
मैं इस… pic.twitter.com/6EXYFOKsT4
20 अक्तूबर 2025- राजा भैया के बड़े बेटे शिवराज प्रताप सिंह का ट्वीट
राजा भैया ने इस मामले पर कभी खुद से बयानबाजी नहीं की है। इस बार हथियारों की तस्वीरें और ऑडियो जारी होने के 2 दिन बाद राजा भैया के बड़े बेटे शिवराज प्रताप सिंह ने अपनी मां को आड़े हाथ लिया। शिवराज ने लिखा कि उनकी मां महिला कार्ड और विक्टिम कार्ड खेल रही हैं। यह भी लिखा कि उनकी मां को बेटियों की शादी की चिंता तक नहीं है और उनका एजेंडा कुछ और है। एक लंबी-चौड़ी पोस्ट में शिवराज ने यह भी लिखा कि उनकी मां के पास राजा भैया से भी ज्यादा संपत्ति है तो उन्हें कहीं ठोकर खाने की जरूरत नहीं है। आखिर में नसीहत भी दे डाली कि भानवी अपनी ऊर्जा मुकदमा लड़ने में लगाएं, सोशल मीडिया पर नहीं।
जय सियाराम
— Shivraj Pratap Singh (@shivrajpsbhadri) September 20, 2025
मैं पहली बार सोशल मीडिया पर इस विषय में पोस्ट कर रहा हूं और चाहूंगा कि इसके बाद इस विषय पर कुछ न लिखना पड़े।
इस प्रकार बदनाम करने के लिए फ़र्जी पोस्ट करना कोई बहादुरी का काम नहीं है।
हमारे माता पिता( मम्मा और दाऊ) गत करीब 10 वर्ष से अलग रह रहे हैं, उसके पहले कुछ…
कमोबेश ऐसा ही कुछ ट्वीट छोटे बेटे बृजराज प्रताप सिंह ने भी किया। बृजराज ने लिखा, 'जिस समय हमारी आजी अस्पताल में हैं, उन्हें हार्ट अटैक आया है, गत 3 दिनों में 2 सर्जरी हो चुकी है और अभी भी अस्पताल में हैं, वही समय हमारी मम्मा ने चुना परिवार की इज़्ज़त को सड़क पर अच्छे से उछालने के लिए, सोचा दाऊ परेशान हैं उन्हें और धक्का दिया जाए।'
बृजराज ने भी अपने पिता और अपने ‘काका’ अक्षय प्रताप उर्फ गोपाल का भी बचाव किया और मां पर तमाम आरोप लगाए।
जय सिया राम, मां हैं ये सोचकर अब तक चुप रहे लेकिन अब पानी सिर के ऊपर जा चुका है।
— Brijraj Pratap Singh (@brijraj_bhadri) September 20, 2025
जिस समय हमारी आजी अस्पताल में हैं, उन्हें हार्ट अटैक आया है, गत 3 दिनों में 2 सर्जरी हो चुकी है, और अभी भी अस्पताल में हैं, वही समय हमारी मम्मा ने चुना परिवार की इज़्ज़त को सड़क पर अच्छे से उछालने…
24 अक्टूबर- भानवी सिंह का ट्वीट
भानवी सिंह ने इस बार हथियारों के फोटो और वीडियो डालने के साथ-साथ एक चैनल की पत्रकार आशिका सिंह और यश शेट्टी नाम के एक शख्स का नाम भी लिखा और बंदूक के साथ आशिका की फोटो शेयर की। उन्होंने सवाल उठाए कि क्या इस तरह के हथियार किसी को रखने की अनुमति है? उन्होंने फिर से सीएम योगी, पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह के साथ-साथ रक्षा मंत्रालय, सीबीआई, NIA और संयुक्त राष्ट्र तक को टैग किया है और जांच की मांग की है।
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24 अक्टूबर- शिवराज सिंह का ट्वीट
मां भानवी के पोस्ट के जवाब में एक बार फिर शिवराज सिंह ने ट्वीट किया और मां के बारे में लिखा कि वह कई बार कोर्ट में अपनी फजीहत करवा चुकी हैं। शिवराज ने आगे लिखा, 'मेरे नाना की चार बेटियां हैं और वे अपनी संपत्ति चारों में बराबर बांटना चाह रहे हैं। जो कि उचित ही है लेकिन यह नाना-नानी की पूरी संपत्ति अकेले हथियाना चाहती हैं, जिसे लेकर मुकदमे भी चल रहे हैं लेकिन सिर्फ मुकदमों से हमारी मम्मा का मन नहीं भरता है, इसलिए कई बार यह हिंसक होकर उन पर हमला भी कर चुकी हैं।'
मैंने पहले ही कहा थी कि आशा करता हूं कि इस विषय में दोबारा पोस्ट न करना पड़े तो अच्छा रहेगा, लेकिन जब बेहूदगी की सारी हदें पार हो जायें तो जवाब देना तो बनता है। जन सामान्य और सोशल मीडिया पर तो लोग इन्हें गाली दे ही रहे हैं, इन्हें सिर्फ paid ‘ट्रोल सेना’ का ही भरोसा है।
— Shivraj Pratap Singh (@shivrajpsbhadri) September 24, 2025
कोर्ट… pic.twitter.com/SverUCuidN
शिवराज ने आरोपों की झड़ी लगाते हुए एक वीडियो शेयर किया और लिखा कि भानवी अपनी ही वृद्ध मां पर जूते बरसा रही हैं। उन्होंने आगे भी लिखा, 'माता जी की भाड़े की ‘ट्रोल सेना’ हमें ‘दूध का कर्ज़’ याद दिलाने का प्रयास करेगी लेकिन उनको यह ‘कर्ज’ हमारी ‘जूतेबाज़’ माता जी को याद दिलाना ज़्यादा ज़रूरी है।'
24 सितंबर- राघवी और विजयराजेश्वरी का जवाब
शिवराज और बृजराज की बहनों ने भी यहां से आरोप-प्रत्यारोप शुरू कर दिए। शिवराज के X पोस्ट के जवाब में राघवी ने एक फोटो पोस्ट करके लिखा, 'मम्मा के बजाय तुम इसे सपोर्ट कर रहे हो? मम्मा ने हम सब को बहुत प्यार किया है।'
दूसरी बेटी विजयराजेश्वरी ने लिखा, 'वीडियो को जरा ध्यान से देखो, यह किसी और का हाथ है, काले स्वेटर में, जिसे उसने वापस मारा। वह व्यक्ति साधवी सिंह है, पूरे शहर को उसके कारनामों के बारे में पता है, किसके साथ, यह भी सब जानते हैं। इसे पारिवारिक ड्रामा का रूप देने की कोशिश मत करो। अगर तुम्हें सच में लगता है कि मम्मा ने नानी को मारा है तो ड्राइंग रूम की कुछ सेकेंड पहले की CCTV रिकॉर्डिंग क्यों नहीं डालते? उससे सबको एकदम साफ तस्वीर मिल जाएगी लेकिन अफसोस यह तुम्हारे एजेंडे को सपोर्ट नहीं करेगी। कोई भी झूठा सीनारियो बनाने से पहले ठीक से रिसर्च कर लो।'
24 सितंबर- भानवी सिंह का 'पूत-कपूत' वाला ट्वीट
अब भानवी ने अपने बड़े बेटे शिवराज सिंह को जवाब दिया। भानवी ने लिखा, 'नवरात्रि का अवसर है। घर-घर में आरती हो रही है 'पूत कपूत सुने हैं पर न माता सुनी कुमाता।' मुझे यह भरोसा नहीं हो रहा है कि वाकई में मेरा कोई बेटा कपूत भी हो सकता है। मुझे मजबूरी में वह वीडियो जारी करना पड़ रहा है जिसमें मुझे पीटने का सच तुम्हारे नाना और मेरे पिता जी बयान कर रहे हैं।'
प्रिय बेटा बड़कू
— Bhanvi Kumari Singh Bhadri (@BhanviKumari) September 24, 2025
नवरात्रि का अवसर है । घर घर में आरती हो रही है “पूत कपूत सुने हैं पर न माता सुनी कुमाता “ । मुझे यह भरोसा नहीं हो रहा है कि वाकई में मेरा कोई बेटा “कपूत” भी हो सकता है। मुझे मजबूरी में वह वीडियो जारी करना पड़ रहा है जिसमें मुझे पीटने का सच तुम्हारे नाना और मेरे… https://t.co/5x1GylCxQp pic.twitter.com/CVKlihkAE4
भानवी ने इस वीडियो में अपने पिता के दो वीडियो शेयर किए। साथ में दो तस्वीरें शेयर की। एक तस्वीर पर 3 अक्तूबर 2020 की तारीख लिखी थी और रात के 11 बजकर 56 मिनट का समय था। तस्वीर पर लिखी जानकारी के मुताबिक, यह फोटो लखनऊ में खींचा गया था। इसके साथ भानवी सिंह ने लिखा, 'मुझे उम्मीद है तुम्हें सद्बुद्धि भी आएगी और सोचोगे कि तुम्हारी मां के साथ क्या किया गया था और मां ने कितनी प्रताड़ना एक व्यक्ति की अय्याशी और आपराधिक प्रवृत्ति की वजह से झेली है। किस मजबूरी में मां ने मुंह खोला। फिर भी तुम बेटा अपने करियर के लिए और सुख सुविधाओं के लिए जो भी कर रहे हो उससे मुझे एतराज नहीं। मैं चाहती हूं कि दुनिया की सारी ख़ुशी तुम्हें मिले। बस तुम्हें दुनिया मेरा नालायक बेटा न कहे।'
25 सितंबर- राघवी का अक्षय प्रताप की पोस्ट पर जवाब
फिलहाल, इसके बाद से दोनों तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। राजा भैया के समर्थक लगातार सोशल मीडिया पर अपील कर रहे हैं कि इन गतिविधियों बहुत बदनामी हो रही है इसलिए ये बातें न की जाएं। यह खबर लिखे जाने तक दोनों पक्षों की ओर से जवाब नहीं आए हैं।
अक्षय प्रताप सिंह ने 9 मार्च को एक पोस्ट की थी, जिसमें भानवी सिंह पर कुछ आरोप लगाए थे। अब भानवी की बड़ी बेटी राघवी ने इसी के जवाब में एक तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा है, 'मां ने अपनी टाइमलाइन पर सच रख दिया है, उन्हें बदनाम करना बंद कर दो। एक आदमी ने 20 साल की लड़की से शादी, 5 बच्चे हुए और उसी महिला की बहन के साथ सालों तक अफेयर चलाया। इसके बाद आशिका जैसी एक महिला के लिए बंदूक की नोक पर मेरी मां को घर से बाहर निकाल दिया और फर्जी एफआईआर करवा दी। तुम्हारा कैंप मेरी मां को जितना परेशान करेगा, मैं उतना पोस्ट करूंगी। यह रामायण कैंट का एक बाथरूम है और इसमें आशिका सिंह हैं। मैं यहां एक फोटो शेयर कर रही हूं।'
कौन हैं भानवी सिंह?
अब आते हैं कि राजा भैया और उनकी पत्नी के रिश्ते और इनके परिवार की कहानी पर। उत्तर प्रदेश के बस्ती राजघराने के राजा के छोटे बेटे कुंवर रवि प्रताप सिंह की कुल 4 बेटियां हैं। इन्हीं में से तीसरे नंबर की बेटी हैं भानवी सिंह। उनकी मां का मंजूल सिंह है। 1974 में पैदा हुई भानवी सिंह और राजा भैया की शादी 1995 में हुई थी।
भानवी की दोनों बेटियां राघवी और विजयराजेश्वरी उनके साथ ही रहती हैं। बड़ी बेटी राघवी कुमार शूटिंग प्रोफेशनल हैं। स्टेट लेवल की चैंपियन रह चुकीं राघवी डबल ट्रैप शूटिंग में साल 2018 में गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं। फिलहाल दोनों बेटियां पढ़ाई कर रही हैं। दोनों बेटे शिवराज सिंह और बृजराज सिंह अब कुंडा में रहते हैं और अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभालने के कौशल सीख रहे हैं। दोनों बेटे सार्वजनिक कार्यक्रमों में जाते हैं और सैकड़ों लोग उनके पैर छूते नजर आते हैं। पैर छूने वालों में इन दोनों लड़कों की उम्र से दोगुनी उम्र के लोग भी शामिल होते हैं।
अक्षय प्रताप सिंह से विवाद
अक्षय प्रताप सिंह और भानवी कुमारी के बीच जिस कंपनी को लेकर विवाद हुआ उसका नाम 'श्री दा प्रॉपर्टीज लिमिटेड' है। 2007 में बनी इस कंपनी इंद्र देव पटेल, नरेश कुमार सिंह, उमेश कुमार निगम, हरिओम शंकर, रामदेव यादव और अनिल कुमार सिंह के अलावा अक्षय प्रताप सिंह, भानवी कुमारी और भानवी और राजा भैया की बेटी राघवी कुमारी भी डायरेक्टर थीं। फरवरी 2023 में भानवी कुमारी ने अक्षय प्रताप के खिलाफ जब शिकायत दर्ज कराई थी तो उसमें इन लोगों के नाम भी शामिल थे।
भानवी ने आरोप लगाए कि इन लोगों ने भानवी के फर्जी दस्तखत करके 26 जुलाई 2017 से खुद को डायरेक्टर बना लिया। उन्होंने यह भी कहा कि 26 जुलाई 2017 से पहले सिर्फ भानवी और राघवी ही इस कंपनी में डायरेक्टर थीं। उनका कहना है कि यह काम बिना उनकी मर्जी के हुआ। भानवी के आरोपों के मुताबिक, उनके साथ मारपीट अप्रैल 2015 में हुई थी।
खुद पर लगे आरोपों पर अक्षय प्रताप ने कहते हैं, ‘इनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। 4 बहनों में तीन का तलाक हो चुका है। बड़ी बहन का तलाक ही इसी ग्राउंड पर हुआ है कि मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। इन्होंने तलाक के जवाब में भी यही आरोप लगाए हैं। अगर वह संबंध ठीक करने को तैयार हों तो मैं दावा करता हूं कि मैं प्रतापगढ़ की तरफ जाऊंगा नहीं लेकिन ऐसा होगा नहीं। वह संबंध ठीक करना ही नहीं चाहती हैं। उनका एजेंडा ही कुछ और है।’
विवादों के राजा
राजा भैया जब राजनीति में आए तो उनके पिता इसके समर्थक नहीं थे। हालांकि, राजनीति में उतरे राजा भैया ने साल 1993 में पहला चुनाव समाजवादी पार्टी के ताहिर हसन, बीजेपी के शिव नारायण मिश्र, कांग्रेस के देवेश नारायण और जनता दल के जयराम यादव के खिलाफ लड़ा। इस चुनाव में राजा भैया को लगभग 70 प्रतिशत वोट मिले। 1996 में फिर चुनाव हुए तो राजा भैया को 80 प्रतिशत वोट मिले और बीजेपी के शिवनारायण मिश्र उनसे लगभग 80 हजार वोटों के अंतर से हार गए।
साल 1993 से कुंडा विधानसभा से लगातार चुनाव जीतते आ रहे रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया उत्तर प्रदेश की कल्याण सिंह सरकार, राम प्रकाश गुप्ता सरकार, राजनाथ सिंह सरकार, मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की सरकार में मंत्री रह चुके हैं।
दिलेरगंज कांड
साल 1996 में दिलेरगंज गांव के 5 घरों को आग लगा दी गई थी। आरोप लगे कि दिलेरगंज के कुछ मुस्लिमों ने राजा भैया का विरोध किया था और इसी के चलते उनके समर्थकों ने आग लगा दी। इतना ही नहीं, आरोप लगे कि जान बचाकर भाग रही तीन लड़कियों को मार पकड़कर मार डाला गया। इस घटना के बारे में रेडिफ के पत्रकार प्रेम पैनिकर ने खुद राजा भैया से ही साल 2002 में सवाल पूछा था। इस पर राजा भैया का जवाब था, 'यह घटना सत्य है लेकिन इससे मेरा कोई लेना-देना नहीं है। समाज में झगड़े होते रहते हैं, कई बार खून-खराबा भी होता है लेकिन इसके लिए मैं कैसे जिम्मेदार हूं? अगर ऐसा होता तो कुंडा में मेरे खिलाफ 10 लोग कैसे चुनाव लड़ रहे हैं? वे सब क्यों नहीं मार डाले गए?'
कल्याण सिंह का विरोध, फिर उन्हीं की सरकार में मंत्री
दिलेरगंज कांड जैसी घटनाओं और क्षेत्र में प्रचार के तरीकों की वजह से राजा भैया पहले ही चुनाव में चर्चा में आ चुके थे। पहले चुनाव में बीजेपी समेत सभी पार्टियों को उन्होंने बड़े अंतर से हराया था। ऐसे में जब 1996 के विधानसभा चुनाव में प्रचार करने बीजेपी के कल्याण सिंह प्रतापगढ़ पहुंचे तो उन्होंने कहा था कि कुंडा को गुंडा विहीन कर दो। नारा था- 'गुंडा विहीन कुंडा करो, भुज उठाइ प्रण कीन्ह', इसी से मिलता जुलता एक और नारा लिखा जाता है, 'गुंडा विहीन कुंडा करो, ध्वज उठाय दोउ हाथ।'
एक इंटरव्यू में खुद राजा भैया बताते हैं, 'कल्याण सिंह जी से कभी मेरी कोई दुश्मनी नहीं रही। चुनाव के बाद मैं कल्याण सिंह जी के पास गया और कहा कि आपने ऐसा कहा, मुझे अच्छा नहीं लगा और क्षेत्रवासियों को भी यह अच्छा नहीं लगा। इस पर उन्होंने कहा कि चलो आ गए जीतकर, अब बधाई हो।' बाद में उन्हीं कल्याण सिंह की सरकार में राजा भैया मंत्री बने। आगे चलकर जब मायावती ने कल्याण सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया तब राजा भैया ने सरकार बचाने में कल्याण सिंह की मदद की।
इस समर्थन के बारे में राजा भैया कहते हैं, ‘मैं नहीं चाहता था कि फिर से चुनाव हों और राज्य के संसाधन उस पर खर्च हों। इसलिए मैंने कल्याण सिंह की सरकार को समर्थन दिया और उनकी सरकार बनी।’
मंत्री कैसे बने राजा भैया?
यह सब शुरू होता है, साल 1997 के अक्तूबर महीने से। कल्याण सिंह की बीजेपी सरकार से मायावती ने समर्थन वापस ले लिया और सरकार गिरने वाली थी। लग रहा था कि फिर से चुनाव ही कराने होंगे। इसी बीच राजा भैया की एंट्री हुई। 8 और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से कल्याण सिंह की सरकार बच गई।
नतीजा हुआ कि राजा भैया को मंत्री बना दिया गया। मंत्री भी उन्हीं कल्याण सिंह ने बनाया जिन्होंने कभी कहा था कि वह कुंडा में गुंडई खत्म कर देंगे।
MS गिल, जिला बदर और स्टे
बात 1999 के लोकसभा चुनाव की है। 1998 में जीते राम विलास वेदांती को राजा भैया का समर्थन था। सामने थीं क्रांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं राजकुमारी रत्ना सिंह। रत्ना सिंह के पीछे खड़े थे कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी। नामांकन के दिन राजा भैया और रत्ना सिंह के समर्थक आपस में भिड़ गए। रत्ना सिंह के काफिले पर हमला हुआ। मामला पुलिस तक पहुंचा तो उस समय के मुख्य चुनाव आयुक्त एम एस गिल ने राजा भैया को जिला बदर घोषित कर दिया। हालांकि, राजा भैया तुरंत हाई कोर्ट गए और इस फैसले पर स्टे ले आए। इस चुनाव में जीत रत्ना सिंह की हुई।
मायावती से अदावत
कहा जाता है कि कल्याण सिंह की सरकार बचाने में राजा भैया ने जो भूमिका निभाई उसने उन्हें मायावती की हिट लिस्ट में शामिल कर दिया था। इस लिस्ट को और पुख्ता करता है साल 1995 का गेस्ट हाउस कांड। हालांकि, राजा भैया इस केस में अपनी किसी भी भूमिका से सख्त इनकार करते हैं।
कल्याण सिंह के बाद बीजेपी ने राम प्रकाश गुप्ता और फिर राजनाथ सिंह को सीएम बनाया। आखिर में मार्च 2002 में राजनाथ सिंह की सरकार भी गिर गई और राष्ट्रपति शासन लागू हो गया और नए सिरे से चुनाव कराए गए। आगे 2002 के विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। बीजेपी को 88, मायावती की BSP को 98 , समाजवादी पार्टी को 143 और कांग्रेस को कुल 25 सीटें मिली थीं। कुल 16 निर्दलीय विधायक थे, जिनमें राजा भैया भी थे।
बीजेपी और बीएसपी के समर्थन से सरकार बनी और 3 मई 2002 को मायावती मुख्यमंत्री बनीं। शपथ लेने के तुरंत बाद मायावती ने कहा कि उन्होंने बीजेपी से हाथ मिलाया है क्योंकि वह नहीं चाहतीं कि राज्य में फिर से चुनाव हों। इस तारीख से ठीक 6 महीने बाद यानी 2 नवंबर 2002 को गैंगस्टर ऐक्ट में राजा भैया को गिरफ्तार कर लिया गया। कहा जाता है कि जब यह सब हो रहा था तब बीजेपी मायावती की सरकार का समर्थन कर रही थी। राजा भैया को उम्मीद थी कि बीजेपी कुछ करेगी लेकिन तब उन्हें वह समर्थन नहीं मिला।
इस सरकार को राजा भैया समेत 8 निर्दलीय विधायक भी समर्थन दे रहे थे। हालांकि, 5 महीने बाद यानी अक्टूबर महीने में राजा भैया ने आरोप लगाए कि मायावती निर्दलीय विधायकों को अपमानित कर रही हैं और वह किसी विधायक से मिलती ही नहीं हैं। इसकी बड़ी वजह थी कि अक्टूबर के ही महीने में मायावती ने अपनी कैबिनेट में 57 मंत्रियों को शामिल किया और इसी को लेकर कुछ विधायक नाराज थे। 2 नवंबर 2002 को राजा भैया को गिरफ्तार कर लिया गया।
मायावती का इस्तीफा और मुलायम की सरकार
दूसरी तरफ, मुलायम सिंह यादव अपनी सरकार बनाने में लगे हुए थे। वह अपना 10 साल का इंतजार खत्म करके फिर से सत्ता में आने की जुगत में लगे हुए थे। धीरे-धीरे दबाव बढ़ता जा रहा था। इस बीच मायावती ने 24 अगस्त 2003 को राज्यपाल विष्णुकांत तिवारी से कहा कि वह विधानसभा भंग कर दें और नए चुनाव कराए जाएं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया अभी उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया है और विधानसभा भंग होने के बाद ही वह ऐसा करेंगी। हालांकि, तुरंत ही बीजेपी ने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया। एक दावा मुलायम सिंह यादव ने भी पेश किया। उन्होंने कुल 210 विधायकों के समर्थन का दावा किया। इसमें सपा के 142 के अलावा, 19 विधायक ऐसे थे जिनके बारे में कहा जाता है कि वे जेल में बंद राजा भैया के समर्थक थे।
आखिरकार मायावती ने 28 अगस्त 2003 को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। मायावती ने एलान किया है कि वह बीजेपी के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगी। बीजेपी ने भी कह दिया कि वह मायावती की सरकार से समर्थन वापस ले रही हैं। अंतत: वह दिन आया और 29 अगस्त 2003 को मुलायम सिंह ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
मायावती की 14 महीने की इसी सरकार में राजा भैया के साथ बहुत कुछ हो चुका था। वह जेल गए तो उनकी पत्नी गर्भवती थीं। जुड़वा बेटे शिवराज और बृजराज पैदा हुए तब भी वह जेल में ही थे। बच्चों के जन्म के 10 महीने बाद राजा भैया पहली बार अपने बेटों को देख पाए। जब मायावती की सरकार गिरी और मुलायम सिंह यादव सत्ता में आए तो उन्होंने पहले ही राजा भैया के ऊपर से POTA हटाने का आदेश दे दिया। यह आदेश अगस्त 2003 में दिया गया लेकिन कानूनी दांवपेचों के चलते राजा भैया की रिहाई 19 मई 2004 को हुई।
मई के महीने में जेल से रिहा हुए राजा भैया जुलाई के महीने में मुलायम सिंह यादव की सरकार में मंत्री बन गए। इस बार खाद्य एवं रसद विभाग के साथ-साथ जेल मंत्रालय भी मिला। वह 2007 तक चली मुलायम सरकार में मंत्री रहे। 2007 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी की जीत हुई और मायावती एक बार फिर से सीएम बन गईं।
मायावती की वापसी और मुश्किल में राजा भैया
मायावती की वापसी होते ही राजा भैया की मुश्किलें फिर से बढ़ीं। मई 2007 में बेंती क्षेत्र की 427 हेक्टेयर जमीन को सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया। आरोप लगे कि राजा भैया ने वन्य भूमि पर अवैध कब्जा कर लिया था।
साल 2009 के मार्च महीने में उनका प्लेन क्रैश हुआ लेकिन जान बच गई। प्रतापगढ़ के आसमान में हवाई जहाज उड़ा रहे राजा भैया का ने प्लेन पर कंट्रोल खो दिया और हवाई जहाज सीधे जमीन पर आ गिरा। यह हादसा प्रतापगढ़ जिले के हथिगवां थाना क्षेत्र के धीमी गांव में हुआ। गनीमत रही कि राजा भैया की जान बच गई लेकिन उनके पैर में गंभीर चोट आई और वह लंबे समय तक चल फिर नहीं पाए। वह जिस प्लेन को उड़ा रहे थे, वह 2 सीटर था। इस केस में राजा भैया के खिलाफ कुछ मुकदमे भी दर्ज हुए।
अगली घटना साल 2010 के दिसंबर महीने की है। ब्लॉक प्रमुख के चुनाव हो रहे थे। इसी दौरान मनोज कुमार शुक्ला (BSP उम्मीदवार ब्लॉक प्रमुख चुनाव) की शिकायत पर एफआईआर दर्ज हुई और राजा भैया समेत 11 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। इस केस में भी वह 5 महीने जेल में रहे और आखिर में अप्रैल 2011 में उन्हें जमानत मिली। साल 2024 में खुद मनोज कुमार शुक्ला ने ही यह केस वापस ले लिया।
फिर मंत्री बने राजा भैया
साल 2012 में विधानसभा के चुनाव में समाजवादी पार्टी को बहुमत मिला और अखिलेश यादव मंत्री बने। उनकी सरकार में भी राजा भैया कैबिनेट मंत्री बने। मार्च 2013 में डीएसपी जियाउल हक की हत्या कर दी गई। यह घटना कुंडा के बलीपुर गांव में हुई। आरोप लगे कि इसमें राजा भैया की मिलीभगत है।
अखिलेश यादव की सरकार में ही मंत्री रहे आजम खां ने तब कहा कि इस घटना ने उनकी सरकार को शर्मसार कर दिया है। जाहिर है दबाव राजा भैया पर था। नतीजतन राजा भैया ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और घटना की सीबीआई जांच कराने की मांग की।
इस मामले में सीबीआई जांच हुई और सिर्फ 5 महीने में सीबीआई ने इस केस में राजा भैया को क्लीन चिट दे दी। हालांकि, इस पर जियाउल हक का परिवार सवाल उठाता है। इस केस में लगे आरोपों पर राजा भैया कहते हैं, ‘हमारी सरकार थी, मैं मंत्री था, अगर मुझे जियाउल हक से इतनी समस्या होती तो मैं उनका ट्रांसफर करवा सकता था।’
खैर, क्लीन चिट मिलने के 2 महीने के बाद राजा भैया ने फिर से मंत्री पद की शपथ ले ली और 2017 में बीजेपी की जीत तक सत्ता में रहे और मंत्री पद पर रहे।
अखिलेश से दूरी और नई पार्टी
2017 में समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन करके विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन उसे जीत नहीं मिली। धीरे-धीरे समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की नजदीकियां बढ़ने लगीं। इसी बीच मार्च 2018 में गोरखपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में BSP ने सपा का समर्थन किया और यहां सपा के प्रवीण निषाद चुनाव जीत गए। इससे और बल मिला और दोनों दल साथ आ गए। इसी बीच मार्च के ही महीने में राज्यसभा के चुनाव हुए। राजा भैया किसी भी कीमत पर मायावती की पार्टी के उम्मीदवार को वोट देने को तैयार नहीं थे। राजा भैया ने कहा कि वह अखिलेश यादव के साथ हैं, बसपा के नहीं। उन्होंने बसपा उम्मीदवार को वोट नहीं दिया और उनकी हार हुई। मायावती ने इसकी शिकायत अखिलेश यादव से की और अखिलेश ने नाराजगी जाहिर की। यहीं से अखिलेश यादव और राजा भैया की राहें अलग होने लगीं।
इस बीच राजा भैया ने फैसला किया कि अब वह अपनी पार्टी बनाएंगे। नाम तय हुआ जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक), लखनऊ में विशाल रैली हुई और 30 नवंबर 2018 को पार्टी बन गई। 2019 के लोकसभा चुनाव में जब सपा और बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा। तब प्रतापगढ़ और कौशांबी दोनों ही लोकसभा सीटों पर जनसत्ता दल ने अपने उम्मीदवार उतारे। हालांकि, दोनों ही सीटों पर उन्हें कामयाबी नहीं मिली।
2022 का विधानसभा चुनाव
2022 के विधानसभा चुनाव में लंबे समय बाद ऐसा हुआ कि समाजवादी पार्टी ने राजा भैया के खिलाफ उनके ही पुराने सहयोगी गुलशन यादव को चुनाव लड़ा दिया। इसी चुनाव में अखिलेश यादव ने प्रतापगढ़ में बयान दिया, ‘कुंडा में कुंडी लगा देंगे।’ जमकर बयानबाजी हुई और राजा भैया चुनाव तो जीत गए लेकिन उनकी जीत का अंतर बेहद कम हो गया।
2022 में जब फिर से योगी आदित्यनाथ की सरकार फिर से बनी तो राजा भैया उनके करीब नजर आने लगे। कई मुद्दों पर वह खुलकर सरकार के समर्थन में बोलते भी नजर आए। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में राजा भैया ने जो किया, उससे कहा गया कि वह एक बार फिर से सपा के करीब आ रहे हैं।
दरअसल, राजा भैया के जनसत्ता दल ने 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रतापगढ़ और कौशांबी लोकसभा सीट पर उम्मीदवार ही नहीं उतारे। कौशांबी सीट से सपा के उम्मीदवार पुष्पेंद्र सरोज उनका समर्थन लेने पहुंचे और राजा भैया ने उनके समर्थन का एलान कर दिया। नतीजा यह हुआ कि बीजेपी प्रतापगढ़ और कौशांबी दोनों ही सीटें हार गई और दोनों ही सीटों पर सपा को जीत मिली।
इसके बाद राजा भैया ने अखिलेश यादव के बारे में कुछ सकारात्मक बयान भी दिए। हालांकि, अभी भी वह स्पष्ट तौर पर किसी पार्टी या गठबंधन के समर्थन या विरोध में नहीं हैं। फिलहाल, राजा भैया के परिवार की चर्चा सोशल मीडिया से लेकर चौक-चौराहों तक हो रही है और दोनों पक्षों से जमकर लानत-मलानत हो रही है।
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