मखाने को मिला HS कोड क्या है, कैसे और कितना होगा फायदा? पूरी ABCD
एचएस कोड एक ऐसा सिस्टम है जो किसी भी प्रोडक्ट का वर्गीकरण करता है और इसके जरिए किसी भी प्रोडक्ट की मार्केटिंग और निर्यात में काफी मदद मिलेगी।

प्रतीकात्मक तस्वीर । Photo : AI Generated
बिहार के मखाने को हाल ही में हार्मोनाइज्ड सिस्टम कोड (एचएस कोड) प्राप्त हुआ है, जो इसके वैश्विक व्यापार और पहचान को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम है। मखाना, जिसे मिथिला का 'सफेद मोती' भी कहा जाता है, बिहार की सांस्कृतिक और आर्थिक विरासत का अभिन्न हिस्सा है। यह सुपरफूड न केवल अपने न्यूट्रीशनल वैल्यू के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह बिहार के लाखों किसानों की आजीविका का आधार भी है। हाल के वर्षों में इसकी पौष्टिकता और स्वास्थ्य लाभों के कारण वैश्विक स्तर पर इसकी मांग तेजी से बढ़ी है। फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोजपुर जिले में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान इसे ‘सुपरफूड’ की संज्ञा दी थी और इसके वैश्विक प्रचार के लिए व्यापक योजनाओं की घोषणा की थी। वर्तमान में अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप जैसे देश भारतीय मखाने के प्रमुख आयातक बन चुके हैं।
दुनिया के 80-90% मखाने का प्रोडक्टशन बिहार के मिथिलांचल और कोसी क्षेत्रों में होता है, और इसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक विशिष्ट पहचान दिलाने के लिए एचएस कोड दिया जाना एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह कदम न केवल मखाना उद्योग को बल्कि बिहार की अर्थव्यवस्था को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। इस आर्टिकिल में खबरगांव इसी बात की पड़ताल करेगा कि इसके क्या फायदे हैं और इससे क्या फर्क पड़ने वाला है।
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क्या होता है एचएस कोड?
हार्मोनाइज्ड सिस्टम कोड (एचएस कोड) एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त नुमेरिकल कोड प्रणाली है, जिसे विश्व सीमा शुल्क संगठन (World Customs Organization) द्वारा विकसित किया गया है। यह कोड व्यापार किए जाने वाले प्रोडक्ट को वर्गीकृत करने के लिए उपयोग किया जाता है, जिससे वैश्विक व्यापार में एकरूपता और पारदर्शिता सुनिश्चित होती है। एचएस कोड छह अंकों का होता है, जो प्रोडक्ट को उनके प्रकार, प्रकृति और उपयोग के आधार पर वर्गीकृत करता है। कुछ देश अतिरिक्त अंक जोड़कर इसे और विशिष्ट बनाते हैं।
बिहार के मखाने को एचएस कोड 19041090 प्राप्त हुआ है। यह कोड विशेष रूप से पॉप्ड और प्री-कुक्ड मखाने को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, मखाना पाउडर, फ्लेवर युक्त मखाना, जार में पैक्ड मखाना आदि के लिए भी अलग-अलग एचएस कोड निर्धारित किए गए हैं। एचएस कोड मिलने का अर्थ यह है कि अब यह प्रोडक्ट विश्व कस्टम प्रणाली में एक मान्यता प्राप्त श्रेणी में आता है, जिससे इसके निर्यात और व्यापार में पारदर्शिता तथा गति आती है। बिहार के मखाने को अलग पहचान मिलने से यह अन्य खाने-पीने की वस्तुओं से अलग विशिष्ट प्रोडक्ट के रूप में पेश किया जा सकता है। इस कोड की वजह से वैश्विक बाजार में इसकी स्वीकार्यता और आसान पहुंच सुनिश्चित हुई है।
एचएस कोड, जिसे हार्मोनाइज्ड सिस्टम कोड कहा जाता है, एक छह अंकों की संख्या होती है जिसे विश्व कस्टम्स संगठन ने विकसित किया है। यह प्रणाली लगभग 200 देशों द्वारा अपनाई गई है और इसका उपयोग आयात-निर्यात प्रक्रियाओं को सरल बनाने, टैरिफ निर्धारण, टैक्स स्लैब तय करने, व्यापार नीति तैयार करने और वैश्विक डेटा में किया जाता है। भारत में इस प्रणाली को HSN (Harmonized System of Nomenclature) के नाम से जाना जाता है। हर प्रोडक्ट का एक कोड होता है जो उसके प्रकार, उपयोग और प्रसंस्करण स्तर के अनुसार निर्धारित किया जाता है। उदाहरण के लिए, मखाना के लिए कोड 19041090 दर्शाता है कि यह एक ऐसा खाद्य प्रोडक्ट है जिसे पहले से तैयार और पॉप्ड (मखाने के बीज को भूनकर उसकी बाहरी खोल को अलग करना) किया गया गया है। यह कोड भारत में GST के तहत भी मान्य होता है और व्यापारियों को इसका सही उपयोग करके सरकारी लाभ योजनाओं का लाभ मिल सकता है। इसके अलावा, एचएस कोड के ज़रिए ऑटोमेटेड डेटा विश्लेषण, तेजी से ड्यूटी रिफंड इत्यादि भी संभव हो पाता है।
एचएस कोड का उपयोग मुख्य रूप से सीमा शुल्क के प्रोसेस, टैक्स को निर्धारित करने, ट्रेड डेटा को इकट्ठा करने और प्रोडक्ट की मॉनीटरिंग के लिए किया जाता है। यह कोड निर्यातकों और आयातकों को प्रोडक्ट की सटीक पहचान करने में मदद करता है, जिससे सीमा शुल्क की प्रक्रिया आसान हो जाती हैं।
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क्या होगा लाभ?
एचएस कोड मिलने के कई लाभ होते हैं। सबसे पहले, यह प्रोडक्ट को एक विशिष्ट व्यापारिक पहचान देता है जिससे वैश्विक बाजार में इसे सरलता से पहचाना और वर्गीकृत किया जा सकता है। इससे निर्यात प्रक्रिया सरल होती है क्योंकि कस्टम क्लियरेंस, टैक्स निर्धारण और डॉक्युमेंटेशन प्रक्रिया एचएस कोड के आधार पर ही होती है। इसके अतिरिक्त, व्यापारियों को सही टैक्स स्लैब में रखा जाता है जिससे उन्हें अनावश्यक टैक्स भुगतान से बचाया जा सकता है। सरकार भी इस कोड के माध्यम से आयात-निर्यात के आंकड़ों को ट्रैक कर सकती है और आवश्यक व्यापार नीतियां बना सकती है। यह कोड निर्यातकों को सरकारी योजनाओं जैसे MEIS, RoDTEP और ब्रांड प्रमोशन योजनाओं के तहत लाभ प्राप्त करने में भी मदद करता है। कुल मिलाकर, एचएस कोड एक प्रोडक्ट को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का सशक्त माध्यम बन गया है। इसके अतिरिक्त, व्यापार के दौरान बिलिंग, इनवॉइस और लॉजिस्टिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता आती है जिससे छोटे निर्यातक भी वैश्विक बाजार में भाग ले सकते हैं।
इसके अलावा एचएस कोड मखाने की ब्रांडिंग और मार्केटिंग को बढ़ावा देगा। वैश्विक बाजार में मखाने की मांग बढ़ने से बिहार के किसानों और उद्यमियों को अधिक लाभ होगा। यह कोड मखाने को नए बाजारों में पहुंचाने में भी मदद करेगा, जिससे बिहार की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। कुल मिलाकर, एचएस कोड मखाना उद्योग को संगठित, पारदर्शी और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
कितने प्रोडक्ट को मिल चुका है
एचएस कोड विश्व स्तर पर हजारों प्रोडक्ट को वर्गीकृत करने के लिए उपयोग किया जाता है। विश्व सीमा शुल्क संगठन के अनुसार, एचएस कोड प्रणाली में लगभग 5,000 से अधिक प्रोडक्ट समूह शामिल हैं, जो विभिन्न प्रकार के कच्चे माल, कृषि प्रोडक्ट, औद्योगिक वस्तुओं, और तैयार माल को कवर करते हैं। प्रत्येक प्रोडक्ट समूह को एक विशिष्ट छह-अंकीय कोड दिया जाता है, जिसे देश अपने हिसाब से और विस्तृत करने के लिए अतिरिक्त अंक जोड़ सकते हैं। भारत में जो एचएस कोड जारी किया जाता है वह 8 अंकों का होता है।
भारत में यह कोड वाणिज्य मंत्रालय के अंतर्गत डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (DGFT) और सीबीआईसी (CBIC) द्वारा जारी किए जाते हैं। भारत, विश्व कस्टम संगठन (WCO) का सदस्य होने के नाते वैश्विक एचएस प्रणाली का पालन करता है, जो हर 5 वर्षों में अपडेट होती है।
मखाने को हाल ही में तीन विशिष्ट कोड आवंटित किए गए हैं- पॉप्ड मखाना, मखाना आटा/पाउडर और अन्य मखाना प्रोडक्ट। यह पहली बार है कि मखाने को इस तरह का विशिष्ट कोड मिला है, जो इसे अन्य सामान्य कृषि प्रोडक्ट से अलग करता है। इससे पहले, मखाने को सामान्य नट्स या बीजों की श्रेणी में रखा जाता था, जिसके कारण इसके निर्यात का सटीक आकलन मुश्किल था।
भारत में भी हजारों प्रोडक्ट को एचएस कोड आवंटित किए गए हैं, जिसमें चावल, मसाले, चाय, और कपास जैसे प्रमुख कृषि प्रोडक्ट शामिल हैं। मखाने का विशिष्ट कोड प्राप्त करना बिहार के लिए एक अनूठी उपलब्धि है, क्योंकि यह इसके स्थानीय महत्व और वैश्विक मांग को दर्शाता है।
मखाना बोर्ड कैसे मददगार?
मखाना बोर्ड का गठन बिहार के मखाना उद्योग को संगठित और सशक्त बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। केंद्रीय बजट 2025-26 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मखाना बोर्ड के गठन की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य मखाना प्रोडक्टशन, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन, और मार्केटिंग में सुधार लाना है। मखाना बोर्ड का मुख्य लक्ष्य किसानों को उचित मूल्य दिलाना, नई तकनीकों को बढ़ावा देना, और मखाने की वैश्विक ब्रांडिंग को बढ़ाना है।
मखाना बोर्ड रिसर्च और विकास के माध्यम से उच्च प्रोडक्शन वाली मखाना किस्मों को विकसित करने में सहयोग करेगा। यह किसानों को प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से आधुनिक कृषि पद्धतियों और तकनीकों से अवगत कराएगा। इसके अलावा, बोर्ड गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित करेगा, जिससे मखाने की विश्वसनीयता बढ़ेगी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी मांग बढ़ेगी।
मखाना बोर्ड बिचौलियों की भूमिका को कम करने और किसानों को सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचाने में भी मदद करेगा। इससे किसानों को उनके प्रोडक्ट का उचित मूल्य मिलेगा, जो वर्तमान में केवल 27% लाभ के रूप में प्राप्त होता है। बोर्ड के गठन से मखाना उद्योग में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, खासकर मिथिलांचल और कोसी क्षेत्रों में। यह बिहार की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और मखाने को वैश्विक सुपरफूड के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
क्या है आर्थिक स्थिति?
मखाने की आर्थिक स्थिति बिहार में तेजी से मजबूत हो रही है और तेजी से बढ़ रही है। वर्तमान में, मखाना उद्योग का कारोबार पिछले 10 वर्षों में 5,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। बिहार में मखाने की खेती लगभग 35,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में की जाती है, और प्रोडक्टशन 56,000 टन से अधिक हो गया है। यह प्रोडक्टशन 2006 से 2021 के बीच पांच गुना बढ़ा है, जो बिहार सरकार की 'मखाना विकास योजना' और बेहतर बीजों के उपयोग का परिणाम है।
मखाने की बिक्री मुख्य रूप से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में होती है। भारत में मखाना त्योहारों, व्रत इत्यादि में खूब प्रयोग किया जाता है और स्नैक्स के रूप में भी काफी लोकप्रिय है, जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी सुपरफूड के रूप में मांग बढ़ रही है। मखाना का 80-90% प्रोडक्टशन मिथिलांचल और कोसी क्षेत्रों में होता है, और यह विश्व के 90 से 100 देशों में निर्यात किया जाता है।
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लाखों लोगों की आजीविका
मखाने की खेती और प्रसंस्करण से लाखों लोग जुड़े हैं, जिनमें से ज्यादातर मछुआरा समुदाय के लोग हैं। मखाना उद्योग से 50,000 से अधिक परिवार प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित हो रहे हैं। हालांकि, बिचौलियों और असंगठित बाजार व्यवस्था के कारण किसानों को उनके प्रोडक्ट का केवल 27% लाभ मिलता है। मखाना बोर्ड और एचएस कोड के आवंटन से इस स्थिति में सुधार होने की उम्मीद है।
मखाने को एचएस कोड मिलना और मखाना बोर्ड का गठन बिहार के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह न केवल मखाना उद्योग को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाएगा, बल्कि बिहार के किसानों और उद्यमियों को आर्थिक रूप से सशक्त भी बनाएगा।
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