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कौन हैं विद्या रामराज, जो तोड़ सकती हैं पीटी उषा का रिकॉर्ड?

पीटी उषा ने 1984 लॉस एंजेलिस ओलंपिक में महिलाओं की 400 मीटर बाधा दौड़ में 55.42 सेकंड का समय निकाला था। विद्या रामराज उनके इस रिकॉर्ड की बराबरी कर चुकी हैं।

Vithya Ramraj

विद्या रामराज। (Photo Credit: All India Radio/X)

विद्या रामराज के लिए रिकॉर्ड तोड़ सीजन गुजर रहा है। 26 साल की विद्या ने 23 अप्रैल को 28वें नेशनल फेडरेशन एथलेटिक्स चैंपियनशिप के दौरान 400 मीटर बाधा दौड़ में 56.04 सेकंड का समय निकाल 6 साल पुराना मीट रिकॉर्ड तोड़ दिया। पिछले साल सितंबर में विद्या (56.23 सेकंड) ने नेशनल ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पीटी उषा (56.80) का 39 साल पुराना मीट रिकॉर्ड ध्वस्त किया था। 

 

पीटी उषा की कर चुकी हैं बराबरी

 

दिग्गज एथलीट पीटी उषा ने 1984 लॉस एंजेलिस ओलंपिक में महिलाओं की 400 मीटर बाधा दौड़ में 55.42 सेकंड का समय निकाला था। वह बेहद करीबी अंतर से ब्रॉन्ज अपने नाम कर इतिहास रचने से चूक गई थीं। तमिलनाडु के कोयंबटूर से आने वाली विद्या रामराज ने 2023 हांगझोऊ एशियन गेम्स में उनके इस रिकॉर्ड की बराबरी की थी। जिससे 400 मीटर बाधा दौड़ का नेशनल रिकॉर्ड संयुक्त रूप से पीटी उषा और विद्या के नाम हो गया था। अब विद्या इस 41 साल से चले आ रहे पीटी उषा के रिकॉर्ड को तोड़ने की तैयारी में हैं।

 

विद्या ने कोच्ची में नेशनल फेडरेशन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 56.04 सेकंड में रेस पूरी करने के बाद कहा कि वह और तेज दौड़ सकती थीं। मगर एक दिन पहले 400 मीटर इवेंट में भाग लेने के कारण वह थक गई थीं। विद्या ने कहा, 'अगर कल (22 अप्रैल) बाधा दौड़ होती, तो मैं निश्चित रूप से 54 सेकंड में रेस पूरी कर लेती।' 

 

इससे पता चलता है कि विद्या कितना आत्मविश्वास से भरी हुई हैं। उन्होंने अगले महीने साउथ कोरिया में होने वाले एशियन चैंपियनशिप में 400 मीटर और 400 मीटर बाधा दौड़ दोनों में क्वालिफाई किया है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो वह 400 मीटर बाधा दौड़ में पीटी उषा के रिकॉर्ड को तोड़ सकती हैं। 

 

कभी ऑटो रिक्शा चलाते थे विद्या के पिता

 

विद्या की बहन नित्या रामराज भी एथलीट हैं। विद्या और नित्या जुड़वा बहने हैं। नित्या बहन विद्या सिर्फ 1 मिनट की बड़ी हैं। दोनों जुड़वा बहनों ने हागझोऊ एशियन गेम्स में भाग लिया था। विद्या और नित्या भारत की पहली जुड़वा बहने हैं, जो एक साथ एशियन गेम्स में शामिल हुईं। उनके पिता रामराज ऑटो रिक्शा चलाते थे और उनकी मां मीना गृहणी हैं। कोयंबटूर की गलियों में ऑटो रिक्शा चलाने वाले रामराज ने अपनी बेटियों के सपने को साकार करने के लिए उनका हर कदम पर साथ दिया, जिसका फल उन्हें मिल रहा है।

 

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