तीन साल से चल रहा हत्या का एक केस पांच साल के एक लड़के की गवाही के बाद सुलझ गया और दोषी का पता चल गया। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के गभाना इलाके में तीन साल पहले एक महिला की लाश उनके घर से मिली थी। उसके भाई को शक था कि महिला की मौत प्राकृतिक मौत नहीं है बल्कि उसकी हत्या की गई है। भाई की शिकायत पर पुलिस ने महिला का शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था और रिपोर्ट में गला घोंटकर हत्या की बात सामने आई थी। महिला के शरीर पर चोट के कई निशान भी मिले थे। इस मामले में पुलिस ने उसके पति को गिरफ्तार कर लिया था और उसके पांच साल के बेटे की गवाही के बाद उसे दोषी ठहराया गया है।
पांच साल के बच्चे ने कोर्ट में कहा, 'मुझे पता है कि सच बोलना चाहिए, झूठ नहीं बोलना चाहिए। झूठ बोलने से भगवान नाराज होते हैं।' बेटे ने कोर्ट को बताया कि जिस दिन उसकी मां की मौत हुई थी उस दिन उसके पिता घर पर ही मौजूद थे। बच्चे की इस गवाही के बाद उसके पिता को हत्या का दोषी मान लिया गया। कोर्ट ने कहा कि बच्चे की गवाही को खारिज करने के लिए बचाव पक्ष कोई भी सबूत पेश नहीं कर पाया है।
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क्या है पूरा मामला?
यह मामला 10 फरवरी 2022 का है। 32 साल की सावित्री की लाश उसके अलीगढ़ के गभाना स्थित घर से मिली थी। उसके भाई राम अवतार ने महिला की हत्या के शक में शिकायत दर्ज करवाई थी और ससुराल वालों पर हत्या का आरोप लगाया था। ससुराल वालों ने कहा था कि महिला ने आत्महत्या की है। जब तक पुलिस घर पर पहुंची तब तक महिला की लाश जमीन पर पड़ी मिली।
राम अवतार ने बताया कि उसकी बहन की शादी को 12 साल हो चुके थे और उसके तीन बच्चे भी थे। उसके ससुराल वाले और उसका पति उसे दहेज के लिए प्रताड़ित करते थे। उसने आरोप लगाया कि उसकी बहन की हत्या की गई है तो पुलिस ने लाश को अपने कब्जे में ले लिया और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि महिला के शरीर पर घाव थे और उसकी गला घोंटकर हत्या की गई है। महिला के पति अखिलेश को गिरफ्तार कर लिया गया था लेकिन बाद में वह जमानत पर बाहर आ गया था।
अखिलेश ने क्या कहा था?
कोर्ट में जिरह के दौरान आरोपी अखिलेश अपने बचाव में तर्क दे रहा था कि जिस दिन उसकी पत्नी की मौत हुई थी, उस दिन वह अपने घर पर नहीं था और वह मध्यप्रदेश में था। उसकी मौत की खबर सुनने के बाद ही वह घर पर लौटा। अखिलेश के वकील ने कोर्ट में कहा कि सावित्री एक जिद्दी महिला थी। वह इस बात से नाराज थी कि अखिलेश उसे अपने साथ मध्य प्रदेश लेकर नहीं गया था। कोर्ट में सुनवाई के दौरान 13 गवाहों में से पांच अपने बयानों से पलट गए। सावित्री के भाई तक भी अपने बयान से मुकर गए थे।
इन 13 गवाहों में एक गवाह मृत महिला का बेटा भी था और वह अपने बयान पर अड़ा रहा। उसने कोर्ट को बताया, 'मेरे पिता रोज गभाना में पेंट बेचने जाते हैं। वह हर रोज सुबह पांच बजे घर से निकलते हैं और 10 बजे तक वापस घर लौट आते हैं। जिस दिन मेरी मां की मौत हुई थी उस दिन भी पापा पेंट बेचने गए थे। मेरी मां ने पिछली रात भिंडी की सब्जी बनाई थी और हम सबने वह खाई थी लेकिन मां ने खाना नहीं खाया था। सुबह मैं खाना खाकर खेलने चला गया था। जब दोपहर पुलिस आई तो मुझे पता चला कि मेरी मां की मौत हो गई है। '
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कोर्ट ने क्या आदेश दिया?
बच्चे के बयान पर कोर्ट ने अमल किया और अपने आदेश में कहा, 'मृतक का बेटा गवाह गवाह के तौर पर पेश हुआ और गवाही दी। उन्हें साफ तौर पर कहा कि जिस रात उसकी मां की मौत हुई, उसने भिंडी की सब्जी खाई थी, जिसे उसके पिता और भाई ने भी खाया था। गवाह ने कहा कि मां की मृत्यु वाले दिन भी उसके पिता रोज की तरह गभाना में पेंट बेचने गए थे। बचाव पक्ष गवाह को खारिज करने के लिए कोई सबूत पेश नहीं कर पाया।' इसके बाद कोर्ट ने आरोपी अखिलेश को हत्या के जुर्म में उम्र कैद की सजा और 20,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।