संजय सिंह, पटना। एमआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल ईमान को एक बार फिर निराशा हाथ लगी है। अपनी बात रखने के लिए वे आरजेडी सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव से मिलना चाहते थे। उन्हें घर के भीतर जाने की एंट्री नहीं मिली। उन्हें गेट पर से ही आक्रोश जताकर लौटना पड़ा। असफलता के बाद अब अपने बूते चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैं। आरजेडी और एमआईएमआईएम के बीच टकराव के कारण इसका प्रतिकूल प्रभाव सीमांचल की राजनीति पर पड़ेगा।
सीमांचल के 24 विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम वोटरों की संख्या अच्छी है। अगर मुस्लिम वोटों का विखराव हुआ तो इसका फायदा एनडीए को मिलेगा। एमआईएमआईएम शुरू से ही वोटों के बिखराव को रोकने का पक्षधर है। पार्टी ने जुलाई महीने में ही महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा जताई थी। इस मुद्दे को लेकर पार्टी के हाईकमान असद्दुदीन ओवैसी ने महागठबंधन के शीर्ष नेताओं से बात भी की, लेकिन आरजेडी के हठधर्मिता के कारण ओवैसी की पार्टी को महागठबंधन में शामिल होने का मौका नहीं मिला।
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महागठबंधन में शामिल होने को पत्र लिखा
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि उन्होंने महागठबंधन में शामिल होने के लिए पत्र भी लिखा था। उनका कहना है कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव सामाजिक न्याय के पक्षधर रहे हैं। इस कारण वे चाहते थे कि लालू प्रसाद यादव से मिलकर ही पूरी बात की जाय, लेकिन उन्हें घर के भीतर जाने का मौका नहीं मिला। यह सब सोची समझी साजिश के तहत की जा रही है।
आरजेडी के वोट बैंक में सेंधमारी
दरअसल आरजेडी और एआईएमआईएम दोनों मुसलमानों को अपना वोट बैंक समझती हैं। 2020 के चुनाव में मुसलमानों ने आरजेडी को छोड़कर ओवैसी का साथ दिया। परिणाम स्वरूप ओवैसी के पार्टी के पांच लोग विधायक बन गए। आरजेडी के वोट बैंक में जबरदस्त सेंधमारी हुई। आरजेडी के साथ-साथ कांग्रेस भी नहीं चाहती है कि ओवैसी के साथ कोई तालमेल हो। वैसे भी महागठबंधन में भी सीट शेयरिंग को लेकर खींचतान जारी है। हालांकि चुनाव के कुछ महीनों बाद ही ओवैसी के चार विधायक पाला बदलकर आरजेडी के साथ चले गए थे।
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चारों विधायकों को टिकट मिलना तय
एमआईएमआईएम के एक मात्र विधायक अख्तरुल ईमान बचे। उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। पाला बदलकर आरजेडी में गए चारों विधायकों को टिकट मिलना तय है। ईमान को इस बात का डर है कि यदि चुनाव में राजद की हवा चली तो उनकी कुर्सी भी खतरे में पड़ सकती है।
ईमान का कहना है कि आरजेडी की हठधर्मिता के कारण ही बीजेपी सत्ता में आई। वर्ष 2005 में लोजपा नेता रामविलास पासवान इस शर्त पर आरजेडी को समर्थन देने को तैयार थे कि किसी मुस्लिम चेहरे को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया जाय, लेकिन उस वक्त आरजेडी ने पासवान के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। यही कारण है कि बीजेपी सत्ता में आ गई। ईमान को 2005 वाली राजनीतिक स्थिति दिखती है। उनका कहना है कि आरजेडी अब भी नहीं संभली तो इसका राजनीतिक परिणाम भयावह होगा ।