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केरल के बाद आंध्र प्रदेश में 8वीं की छात्रा के साथ रैगिंग का मामला

आंध्र प्रदेश के सेंट ऐन्स स्कूल में 10वीं क्लास की छात्राओं ने 8वीं क्लास की छात्रा के साथ मारपीट करने की घटना सामने आई है। जानिए पूरा मामला।

Image of Ragging victim

सांकेतिक चित्र।(Photo Credit: Freepik)

आंध्र प्रदेश के एक स्कूल से 8 वीं क्लास की छात्रा के साथ 10वीं क्लास की छात्राओं द्वारा रैगिंग और मारपीट करने की खबर सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, आंध्र प्रदेश के ASR जिले के सेंट ऐन्स स्कूल में क्लास 10 की तीन छात्राओं ने क्लास 8 की एक छात्रा के साथ कथित रूप से मारपीट और दुर्व्यवहार किया। यह घटना 5 जनवरी को हुई थी लेकिन इसका खुलासा 17 फरवरी को तब हुआ जब इस मारपीट का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

 

वीडियो में 10 वीं क्लास की तीन सीनियर छात्राएं 8 वीं क्लास की छात्रा के साथ मारपीट कर रही थीं और उसे अपशब्द भी कह रही थीं। इसके बाद पीड़ित छात्रा ने हॉस्टल के स्टाफ से इस घटना की शिकायत की। जब वीडियो वायरल हुआ, तो स्कूल प्रबंधन और जिला शिक्षा अधिकारियों ने तत्काल कार्रवाई करते हुए हॉस्टल का दौरा किया और मामले की जांच की।

 

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हॉस्टल वार्डन को किया निष्कासित

ASR जिले के कलेक्टर ए.एस. दिनेश कुमार ने जिला शिक्षा अधिकारी पी. ब्रह्माजी राव को इस मामले की जांच करने का निर्देश दिया। जांच के बाद, छात्रावास वार्डन को भी पद से हटा दिया गया और तीनों आरोपी छात्राओं को स्कूल से घर भेज दिया गया।

 

स्कूल में रैगिंग का यह मामला केरल के नर्सींग कॉलेज में हुए रैगिंग मामले के कुछ ही दिन बाद आया है, जिसमें प्रिन्सपल और असिस्टेंट प्रोफेसर को सस्पेन्ड कर दिया गया था।

स्कूल या कॉलेज में रैगिंग के खिलाफ क्या है कानून?

बता दें कि भारत में रैगिंग के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) धारा 323, 324, 506 के तहत मारपीट और धमकी देने पर कार्रवाई हो सकती है। साथ ही धारा 341, 342 के तहत अवैध रूप से रोकने या बंधक बनाने पर कठोर दंड दिया जा सकता है। इसके साथ धारा 354 के तहत अगर रैगिंग के दौरान महिला छात्रों के साथ छेड़छाड़ होती है, तो आरोपियों पर कठोर कार्रवाई होती है।

 

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UGC ने भी 2009 में रैगिंग रोकथाम के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे। इसमें कोई छात्र यदि रैगिंग करता है और आरोप सिद्ध होते हैं तो उसकी डिग्री रद्द की जा सकती है और उसे यूनिवर्सिटी या कॉलेज से निष्कासित किया जा सकता है। साथ ही 2001 में सुप्रीम कोर्ट ने रैगिंग को पूरी तरह से खत्म करने के लिए सख्त कानून बनाने के निर्देश दिए थे। साथ ही यह भी आदेश थे कि यदि किसी संस्थान में रैगिंग होती है और प्रशासन उचित कदम नहीं उठाता है, तो उसकी मान्यता रद्द की जा सकती है।

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