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बंगाल चुनाव में कुछ महीने बाकी, बीजेपी की स्क्रिप्ट तैयार; जमीन पर काम शुरू

पश्चिम बंगाल में बीजेपी इस बार हुमायूं कबीर के मस्जिद बनवाने की बात और धीरेंद्र शास्त्री के कोलकाता में गीता पाठ के कार्यक्रमों को लेकर जनता के बीच जा रही है।

Bengal Assembly Election

बंगाल विधानसभा चुनाव। Photo Credit- PTI

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पश्चिम बंगाल के 294 सीट के लिए मार्च 2026 को विधानसभा चुनाव होना है। यह चुनाव राजनीतिक लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है। यह चुनाव बंगाल के साथ में देश की राजनीति को आकार देगा। आगामी बंगाल चुनाव को जीतकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राज्य में चौथी बार सत्ता पर कब्जा जमाने की कोशिश कर रही हैं। दूसरी तरफ बीजेपी सालों से मेहनत करके बंगाल में अपने पक्ष में सियासी माहौल बनाने की कोशिश में जुटी है। भगवा पार्टी राज्य में हर उस मुद्दे को हवा दे रही है, जो उसके लिए विधानसभा चुनाव में फायदेमंद साबित हो सकते हैं।

 

ऐसे में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी दलों के लिए आगामी चुनाव निर्णायक जंग के तौर पर देखा जा रहा है। सीएम ममता के कदमों से यह तय है कि टीएमसी चुनाव में अकेले उतरेगी, जबकि बीजेपी, वाम दल और कांग्रेस नए गठबंधनों और रणनीतियों पर काम कर रही हैं। बीजेपी ने राज्य में अभी से माहौल बनाना शुरू कर दिया है। पार्टी ने करीब-करीब तस्वीर भी साफ कर दी है कि राज्य में वो मुद्दा कौन सा होगा, जिसपर बीजेपी चुनाव लड़ेगी। ऐसे में आइए जानते हैं कि बीजेपी की बंगाल को लेकर स्किप्ट क्या है...

मस्जिद और गीता की स्किप्ट

विधानसभा चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल का सियासी पारा बीजेपी ने चढ़ाया हुआ है। 7 दिसंबर को टीएमसी के निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने मुर्शिदाबाद में एक नई बाबरी मस्जिद की बुनियाद रखी। इसके एक दिन बाद यानी 8 दिसंबर को कोलकाता के फेमस परेड ग्राउंड में लाखों की संख्या में लोगों ने एक साथ गीता का पाठ किया। इस कार्यक्रम में बंगाल के अलावा अन्य राज्यों के लोगों और साधु-संतों को हिस्सा लेने के लिए बुलाया गया था।

 

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ऐसा की कार्यक्रम लोकसभा चुनाव से ठीक पहले दिसंबर 2023 में भी किया गया था। इस कार्यक्रम का नाम 'एक लाख आवाजों' वाले गीता था। इसी कार्यक्रम की दूसरी सालगिरह पर 8 दिसंबर 2025 को लगभग लीख लाख लोगों ने गीता पाठ किया। इस कार्यक्रम के बाद से पश्चिम बंगाल में सियासी पारा चढ़ा हुआ है। कार्यक्रम का आयोजन सनातन संस्कृति संसद ने किया है। इसका नाम 'पांच लाख आवाजों से गीता पाठ' रखा गया। इस कार्यक्रम का मकसद बंगाल की आध्यात्मिक विरासत को जगाना और सामाजिक मेलजोल को बढ़ावा देना बताया गया।

धीरेंद्र शास्त्री का सांप्रदायिक बयान

इस कार्यक्रम में बागेश्वर धाम सरकार आचार्य धीरेंद्र शास्त्री भी शामिल हुए। इस मौके पर बागेश्वर धाम ने कहा, 'पश्चिम बंगाल की पवित्र धरती कोलकाता में एक साथ पांच लाख लोगों ने गीता का पाठ किया। आस्था का जोश और सैलाब देखकर ऐसा लगा जैसे कोलकाता में महाकुंभ मेला लगा हो। हम पश्चिम बंगाल और कोलकाता व देश के लोगों का दिल से शुक्रिया अदा करते हैं। सनातन एकता ही इस देश और दुनिया के लिए शांति का सबसे बड़ा माध्यम है। भारत में हम सनातनी चाहते हैं, तनातनी नहीं। भारत में हम 'भगवा-ए-हिंद' चाहते हैं, 'गजवा-ए-हिंद' नहीं।'

 

 

धीरेंद्र शास्त्री ने आगे कहा, 'गीता एकमात्र ऐसा ग्रंथ है, जिसके माध्यम से पूरे विश्व में सामाजिक समरसता एकता और एकत्व का भाव जागृत किया जा सकता है। गीता ग्रंथ महान है, गीता भारत की शान और स्वाभिमान है। जिस घर में गीता होती है, वह घर देवालय से कम नहीं है।' कार्यक्रम में स्वामी प्रदीप्तानंद महाराज और बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री समेत कई मठों से जुड़े साधु-संत और साध्वियों ने हिस्सा लिया। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री और बंगाल बीजेपी अध्यक्ष सुकांत मजूमदार, नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी, लॉकेट चटर्जी और बीजेपी विधायक अग्निमित्रा पॉल समेत कई दिग्गज नेता भी पहुंचे।

पश्चिम बंगाल में अगले साल चुनाव

अगले साल 2026 में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं। यह चुनाव टीएमसी चौथी बार सत्ता में वापसी के लिए लड़ेगी, जबकि राज्य में अपनी जमीन तलाश रही बीजेपी राज्य में सरकार बनाने के इरादे से तैयारी कर रही है। 2016 के विधानसभा में महज 6 सीटों पर सिमटने वाली बीजेपी ने 2021 चुनाव में हिदुत्व के मुद्दे पर चुनाव लड़ा। इस चुनाव में बीजेपी ने अभूतपूर्व रूप से बंगाल विधानसभा की 294 सीटों में से 77 सीटें जीत लीं। अपने पिछले प्रदर्शन को देखते हुए बीजेपी आगामी 2026 के विधानसभा चुनाव में हिदुत्व के मुद्दे पर ही केंद्रित होकर चुनावी माहौल अपने पक्ष में करना चाहती है।

 

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हुमायूं कबीर की मस्जिद से किसे फायदा?

बंगाल में एक तरफ गीता का पाठ आयोजित करवाकर हिंदूत्व के पक्ष में माहौल बना रही है तो दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस से निकाले गए विधायक हुमायूं कबीर ने 6 दिसंबर को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के रेजीनगर में अयोध्या की 'बाबरी मस्जिद' के मॉडल पर आधारित मस्जिद की नींव रख दी। इस मस्जिद का शिलान्यास हुमायूं ने तमाम विरोधों के बावजूद रखी है। जब मस्जिद की नींव रखी जा रही थी, तब हूमायूं कबीर के साथ मौलवी और मुस्लिम धार्मिक गुरु साथ थे। कबीर ने मंच पर मौजूद धर्मगुरुओं के साथ मिलकर फीता काटा। इस दौरान नारा-ए-तकबीर, अल्लाहु अकबर के नारे लगे।

 

हजारों लोग सुबह से ही कार्यक्रम स्थल पर जमा थे। लोग स्वेछा से अपने साथ ईंट लेकर आए, मस्जिद के लिए पैसे दान किए। भारी सुरक्षा के बीच शिलान्यास समारोह आयोजित किया गया। टीएमसी ने इसको लेकर हुमायूं कबीर के ऊपर सांप्रदायिक राजनीति में लिप्त होने के आरोप लगाया। कबीर ने शिलान्यास समारोह के लिए छह दिसंबर का दिन तय किया, क्योंकि इसी दिन 1992 में उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहा दी गई थी।

बीजेपी की रणनीति

बंगाल में हुमायूं कबीर जो राजनीति कर रहे हैं, बीजेपी उसे लेकर हुमायूं पर कम लेकिन ममता बनर्जी और उनकी पार्टी पर ज्यादा हमलावर है। कबीर और मस्जिद को लेकर बीजेपी कह रही है कि ममता बनर्जी राज्य के माहौल को सांप्रदायिक बना रही हैं। बीजेपी हुमायूं कबीर पर सीधे हमले करने से किनारा कर रही है, जबकि कोलकाता में गीता पाठ के पीछे बीजेपी की रणनीति काम कर रही है।

 

इन कार्यक्रमों से साफ हो गया है कि बीजेपी इस बार बंगाल में चुनाव सिर्फ हिंदू-मुस्लिम के नाम लड़ने जा रही है। यह भी सही है कि बीजेपी बंगाल में सोची-समझी रणनीति के तहत और स्किप्ट के अनुसार जमीन पर काम कर रही है।

 

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