मध्य प्रदेश के सिहोरा को जिला घोषित करने की लंबे समय से चली आ रही मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है। लक्ष्य जिला सिहोरा आंदोलन समिति के नेतृत्व में चल रहा अनोखा 'भूमि समाधि सत्याग्रह' अब जन आंदोलन का रूप ले चुका है। इस अनूठे विरोध प्रदर्शन में सैकड़ों लोग जबलपुर के सिहोरा में अपने शरीर को गर्दन तक मिट्टी में गाड़कर सरकार और प्रशासन से सिहोरा को जिला बनाने की गुहार लगा रहे हैं। आंदोलनकारी पूरी तरह शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से अपना संघर्ष जारी रखने का संकल्प ले चुके हैं।
समिति के पदाधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन तब तक नहीं रुकेगा, जब तक सिहोरा को पूर्ण जिला का दर्जा नहीं मिल जाता। उनका कहना है कि यह लड़ाई न केवल सिहोरा की है, बल्कि उन तमाम ग्रामीण क्षेत्रों की आवाज है जो प्रशासनिक सुविधाओं से वंचित हैं। सिहोरा भौगोलिक स्थिति, जनसंख्या और राजस्व के आधार पर जिला बनने के सभी मानदंडों पर खरा उतरता है।
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प्रशासन ने भरे गड्ढे
शनिवार को सत्याग्रह के लिए खोदे गए गड्ढों को प्रशासन ने भरवा दिया, जिससे आंदोलनकारियों में भारी रोष व्याप्त हो गया। हालांकि, समिति ने हार नहीं मानी और तुरंत नया स्थान चिह्नित कर सत्याग्रह दोबारा शुरू करने की घोषणा कर दी। पदाधिकारियों ने चेतावनी दी, ‘हमारा आंदोलन किसी भी हाल में रद्द नहीं होगा, चाहे प्रशासन कितनी ही बाधाएं क्यों न खड़ी करे।’
जिला आंदोलन समिति के संयोजक विकास दुबे ने कहा, ‘सिहोरा की जनता पिछले कई वर्षों से सिहोरा को जिला का दर्जा दिए जाने की मांग कर रही है। यह कोई राजनीतिक आंदोलन नहीं, बल्कि जनता की सच्ची आवाज है। सरकार को अब लोगों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए और शीघ्र निर्णय लेना चाहिए। जनता के धैर्य की परीक्षा अब और न ली जाए।’
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बढ़ रही भीड़
भूमि समाधि सत्याग्रह को क्षेत्रीय नागरिकों, व्यापारी संगठनों और सामाजिक संस्थाओं का व्यापक समर्थन मिल रहा है। आंदोलन स्थल पर लगातार बढ़ती भीड़ ने माहौल को जोशपूर्ण बना दिया है। लोग नारेबाजी कर रहे हैं और प्रदेश सरकार से त्वरित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। समिति का दावा है कि यह संघर्ष विकास और सुविधाओं की लड़ाई है, जो पूरे क्षेत्र के लिए जरूरी है। आंदोलन की तीव्रता को देखते हुए प्रशासन सतर्क है, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।