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आंध्र के वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर के निर्माता ने भगदड़ को ‘एक्ट ऑफ गॉड’ बताया

आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले में श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में भगदड़ से 10 लोगों की मौत हुई। वहीं मंदिर बनाने वाले हरिमुकुंद पांडा ने कहा कि यह घटना एक्ट ऑफ गॉड हैं।

Srikakulam Stampede

श्रीकाकुलम भगदड़, Photo Credit- Social Media

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आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में हुई भगदड़ में अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है। इस घटना के बाद मंदिर का निर्माण करने वाले 95 साल के हरिमुकुंद पांडा ने कहा है कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि इतने सारे लोग वहां आएंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से उन्होंने कहा कि मंदिर में पहले कभी इतनी भीड़ नहीं देखी गई थी। उन्होंने कहा कि यह घटना भगवान की मर्जी से हुआ है।

 

शुरुआती रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया है कि एकादशी के मौके पर भीड़ बढ़ने से भगदड़ मची। आंध्र के मंत्री नारा लोकेश ने भी मंदिर में भगदड़ का कारण 'अचानक बहुत ज्यादा भीड़' और 'बहुत ज्यादा घुटन' बताया। नारा लोकेश ने कहा कि मंदिर में एंट्री और एग्जिट दोनों गेट थे। भीड़ के कारण एंट्री पॉइंट बंद कर दिया गया था। लोगों को लगा कि वे एग्जिट रूट का इस्तेमाल कर सकते हैं पर ऐसा हुआ नहीं।

 

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'एक्ट ऑफ गॉड'

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, चार साल पहले मंदिर बनाने वाले हरिमुकुंद ने कहा, 'कोई जिम्मेदार नहीं है, यह भगवान की मर्जी थी।' भगदड़ मामले में जांच जारी होने के कारण उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया है। तेलुगु मीडिया से उन्होंने कहा, 'हर दिन, भक्त आते हैं। वे दर्शन करते हैं और चले जाते हैं। मुझे लगा कि आज भी ऐसा ही होगा। अचानक, बहुत ज्यादा भीड़ आ गई। उन्होंने गेट धकेल दिए और चले गए।'

 

आगे उन्होंने कहा, 'हर दिन 3,000 से 4,000 भक्त मंदिर आते हैं। वे आराम से दर्शन करते हैं। कोई कुछ नहीं कहता। सब लाइन में जाते हैं। वे प्रसाद लेते हैं, खाते हैं और चले जाते हैं। आज ऐसा नहीं हुआ। एक साथ बहुत ज्यादा भीड़ आ गई। मुझे नहीं पता कि ये सब लोग कहां से आए। मैं अकेले ही उन सबका ध्यान रखता था। मैं सबको ध्यान से जाने के लिए कहता था। जो लोग जाते थे, वे दर्शन करके चले जाते थे। पुलिस ने उन्हें नहीं बताया, किसी ने उन्हें नहीं बताया। लोग एक साथ आ गए।'

 

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'पुलिस को इन्फॉर्म क्यों करना चाहिए?'

हरिमुकुंद ने बताया कि उन्होंने एकादशी के कार्यक्रम के बारे में लोकल एडमिनिस्ट्रेशन को इन्फॉर्म नहीं किया था। उन्होंने पूछा, 'मैंने मंदिर अपनी प्राइवेट जमीन पर बनवाया है। मुझे पुलिस या एडमिनिस्ट्रेशन को इन्फॉर्म क्यों करना चाहिए?' उन्होंने जोर देकर कहा, 'आप कई केस बुक कर सकते हैं। मुझे कोई दिक्कत नहीं है।' हादसे के बाद मंदिर बंद कर दिया गया है। अब इसके गेट पर ताला लगा हुआ है, और पुलिस अभी भी मंदिर परिसर में तैनात है।

 

तिरुमाला के भव्य वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर की तरह बने इस मंदिर को स्थानीय लोग 'चिन्ना तिरुपति' या 'मिनी तिरुपति' के नाम से जानते हैं। हरि मुकुंद ने सिर्फ चार महीने पहले आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले में इस मंदिर को बनवाया था। ऐसा बताया गया है कि इस मंदिर की लागत लगभग 10 करोड़ रुपये है। 

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