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बिल्डर की बहानेबाजी से तंग आए बायर्स, सालभर बाद भी कब्जे के लिए परेशान

ग्रेटर नोएडा में कमर्शियल शॉप खरीदने वाले कुछ खरीदार लगभग एक साल से कब्जे के लिए परेशान हैं। हैरानी की बात यह है कि बिल्डर को अभी तक अथॉरिटी की ओर से OC ही नहीं मिला है। 

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बिल्डर के साथ मीटिंग करते खरीदार, Photo Credit: Special Arrangement

उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले के नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बिल्डरों की वादाखिलाफी और लेटलतीफी कोई नई बात नहीं है। ऐसा ही एक मामला अब ग्रेटर नोएडा के सेक्टर गामा-1 से सामने आया है। रॉयल वॉकवे नाम के प्रोजेक्ट में कमर्शियल शॉप खरीदने वाले कई लोगों ने रविवार को बिल्डर के सामने फिर से अपनी समस्याएं रखीं और पुलिस भी बुला ली। इन लोगों की शिकायत है कि पिछले कई महीनों से बार-बार वादा किया जा रहा है लेकिन कब्जा नहीं दिया जा रहा है। रविवार को दबाव बनाने के बाद बिल्डर ने लिखित में दिया है कि एक साल का किराया चुकाया जाएगा और इसी महीने के आखिर तक आक्युपेंसी सर्टिफिकेट (OC) मिल जाएगा।

 

फिलहाल, स्थिति यह है कि लंबे समय से यह कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स तैयार है, लोगों ने 90 से 95 प्रतिशत पैसे भी चुका दिए हैं लेकिन अभी तक उन्हें कब्जा नहीं मिल पाया है। इस प्रोजेक्ट को बनाने वाले विधि इन्फ्रा के अधिकारियों का कहना है कि वे पूरी कोशिश कर रहे हैं कि उऩ्हें जल्द से जल्द OC मिल जाए। उन्होंने लिखित में दिया भी है कि वे 30 अप्रैल तक OC हासिल कर लेंगे। 

खरीदारों के क्या आरोप हैं?

 

इस बारे में एक खरीदार ने अपना नाम न छापने की शर्त पर खबरगांव को बताया, 'यह प्रोजेक्ट 2019 में शुरू हुआ था और इसका पजेशन 2022 में होना था। फिलहाल विधि इन्फ्रा ने अथॉरिटी को पैसे नहीं चुकाए हैं जिसके चलते OC नहीं मिल पा रहा है। इसमें किसी ने 30 लाख में, किसी ने 50 लाख में तो किसी ने 1 करोड़ में दुकान खरीदी है। लोगों ने इसके लिए अपनी जमा-पूंजी खर्च की है, किसी ने गहने बेचे हैं तो किसी ने दूसरी संपत्ति बेचकर इसे खरीदा है। अब एक तरफ वे ईएमआई चुका रहे हैं, दूसरी तरफ उन्हें कब्जा ही नहीं मिल पा रहा है। बिल्डर ने कई बार कहा कि पजेशन अब मिल जाएगा, तब मिल जाएगा लेकिन मिल नहीं पाया। हाल ही में कहा था कि 9 अप्रैल तक OC मिल जाएगा, अब लिखित में दिया है कि 30 अप्रैल तक OC मिल जाएगा।'

 

 

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उन्होंने आगे बताया, 'रविवार को जब हम लोग बात करने गए तो हमने खुद ही पुलिस को भी बुला लिया था ताकि कानून व्यवस्था का कोई मसला न आए। हालांकि, हम लोगों की संख्या देखकर पुलिस ने 10-15 बाउंसर भी भेज दिए थे। अब हम चाहते हैं कि हमें एक साल का किराया दिया जाए और जल्द से जल्द हमें कब्जा दिया जाए।' हालांकि, विधि इन्फ्रा के डायरेक्टर विपुल शर्मा ने बताया कि फिलहाल उन्हें यह नहीं पता है कि उन्हें कितने पैसे देने होंगे। इस बारे में खरीदारों का दावा है कि विधि इन्फ्रा को कम से कम 25 करोड़ रुपये चुकाने हैं और ये लोग पैसे नहीं देना चाहते हैं, इसी वजह से पजेशन मिलने में देरी हो रही है।


बिल्डर ने क्या जवाब दिया?

 

प्रोजेक्ट में हो रही देरी के बारे में खबरगांव ने विधि इन्फ्रा के डायरेक्टर विपुल शर्मा से बात की। उन्होंने कहा, 'हमने OC के लिए आवेदन कर रखा है और इस प्रोजेक्ट के पजेशन की तारीफ 2022 नहीं जुलाई 2024 थी। कई बार एनजीटी की ओर से कंस्ट्रक्शन पर रोक लग जाती है, कई बार लेबर कहीं और चले जाते हैं इस वजह से काम में देरी होती है। हमें पैसे देने हैं लेकिन अभी इसका पता नहीं है। जो भी बकाया होगा, हम उसे देंगे और जल्दी ही OC हासिल कर लेंगे। OC मिलने के बाद हम पजेशन ऑफर करेंगे। हम जानबूझकर कोई देरी नहीं कर रहे हैं।'

 

 

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कमोबेश ऐसी ही बात उस एफिडेविट पर भी लिखी है जो विधि इन्फ्रा के विपुल शर्मा ने साइन किया है। उन्होंने लिखा है, 'मैं स्वीकार करता हूं कि इस प्रोजेक्ट में शामिल शॉप ओनर्स को उनकी दुकानों का पजेशन देने में 12 महीने की देरी हो चुकी है, जो अप्रैल 2025 तक की स्थिति में मान्य है। मैं लिखित स्वीकृति देता हूं कि सभी शॉप ओनर्स को BBA के तहत 150 रुपये प्रति वर्ग फुट प्रति महीने की दर से कुल 12 महीनों का किराया भुगतान के रूप में समायोजित किया जाएगा।' फिलहाल इन खरीदारों को इंतजार है कि 30 अप्रैल तक बिल्डर विधि इन्फ्रा को OC मिल जाए और सबको कब्जा भी मिल जाए।

 

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