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पुलिस वालों पर ही 2-2 लाख का इनाम; MP का 'गजब' मामला क्या है?

एमपी में कस्टोडियल डेथ के मामले में आरोपी दो पुलिसकर्मी फरार चल रहे हैं। दोनों पर सीबीआई ने 2-2 लाख रुपये का इनाम रखा गया है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

मध्य प्रदेश में दो पुलिसकर्मी ही फरार हो गए हैं। सीबीआई ने दोनों पर 2-2 लाख रुपये का इनाम रख दिया है। मामला हिरासत में मौत से जुड़ा है। दोनों पुलिसकर्मियों पर हिरासत में रखे एक व्यक्ति की मौत का आरोप है। कई दिनों से दोनों फरार हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को दो दिन में दोनों को गिरफ्तार करने का आदेश दिया है। इसके बाद सीबीआई ने दोनों पर इनाम घोषित किया है। 


यह मामला एमपी के गुना जिले के म्याना थाने का है, जहां पिछले साल हिरासत में लिए गए देव पारधी की मौत हो गई थी। इसका आरोप दो पुलिसकर्मी- संजीत सिंह मावई और उत्तम सिंह कुशवाहा पर लगा है। देव पारधी को चोरी के आरोप में हिरासत में लिया गया था।

 

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क्या है पूरा मामला?

पिछले साल जुलाई में देव पारधी और उसके चाचा गंगाराम पारधी को चोरी के इल्जाम में हिरासत में लिया गया था। उसी रात देवी पारधी के परिवार वालों ने बताया कि उसकी मौत हो गई है। 


पुलिस ने दावा किया था कि हार्ट अटैक से देव की मौत हुई है। हालांकि, परिवार वालों का कहना था कि कस्टडी के दौरान उसे जमकर टॉर्चर किया गया था, जिससे उसकी मौत हो गई। परिवार वालों का आरोप था कि शाम को पुलिस जबरदस्ती देव को उठाकर ले गई थी और रात में बताया गया कि उसकी मौत हो गई।


देव की मौत पर परिजनों ने खूब हंगामा किया था। परिजनों का कहना था कि 25 साल के लड़के को हार्ट अटैक कैसे आ सकता है? देव पारधी की मंगेतर ने आत्मदाह करने की भी कोशिश की थी।

 

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मई में सीबीआई को मिली थी जांच

देव पारधी की मौत की जांच की मांग को लेकर परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। इस साल 15 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी थी। 


सीबीआई को केस ट्रांसफर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्य की पुलिस इस मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच नहीं कर सकती है। इससे पहले अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा था कि एमपी पुलिस अपने अफसरों को बचा रही है।


मई में सीबीआई को सुप्रीम कोर्ट ने एक महीने के भीतर जिम्मेदार पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था। हालांकि, गिरफ्तारी नहीं होने पर देव पारधी की मां ने फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और सीबीआई पर अदालत के आदेश नहीं मानने का आरोप लगाया था।


इस पर दो दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'यह ऐसे नहीं चल सकता। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद आप कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। फिर क्या फायदा है? आप लाचारी का बहाना बना रही हैं। वे फरार हैं और हम उसे ढूंढ नहीं पा रहे हैं।'


सीबीआई की ओर से पेश वकील ने बताया था कि आरोपियों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया है और उन्हें भगोड़ा घोषित किया गया है। इस पर कोर्ट ने कहा था कि 'फरार होने का मतलब है बचाना' और इस बात पर जोर दिया था कि सीबीआई बाकी मामलों में तो कुछ ही सेकंड में गिरफ्तार कर लेती है लेकिन यहां असहाय लग रही है।

 

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सीबीआई ने अब तक क्या किया?

15 मई को सीबीआई को यह केस सौंपा गया था। इस मामले में सीबीआई ने अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें दो पुलिसकर्मी हैं। 


सीबीआई ने जिन्हें गिरफ्तार किया है, उनमें एसआई देवराज सिंह परिहार और टाउन इंस्पेक्टर जुबैर खान भी शामिल हैं। इनके खिलाफ सीबीआई चार्जशीट भी दाखिल कर चुकी है। 


जांच एजेंसी की प्रवक्ता ने बताया कि मामले में दो आरोपी पुलिसकर्मी संजीत सिंह मावई और उत्तम सिंह कुशवाहा अभी फरार चल रहे हैं। दोनों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया है और दोनों को भगोड़ा घोषित किया जा चुका है। दोनों पर 2-2 लाख रुपये का इनाम भी रखा गया है।

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