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फुंत्सोग तांजिन सेपाग कौन हैं, जिन पर लगे लद्दाख को सुलगाने के आरोप?

लद्दाख हिंसा में फुंत्सोग तांजिन सेपाग का नाम सामने आ रहा है। भारतीय जनता पार्टी का आरोप है कि इनकी वजह से दंगे भड़के हैं। कौन है यह शख्स, आइए जानते हैं।

Phuntsog Stanzin Tsepak

अपर लद्दाख के पार्षद फुंत्सोग तांजिन सेपाग। (Photo Credit: Amit Malviya/X)

लद्दाख सुलग रहा है। वहां की एक बड़ी आबादी पूर्ण राज्य का दर्जा मांग रही है। बुधवार को वहां हुए हिंसक प्रदर्शनों में 4 लोगों की मौत हो गई, 80 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए हैं। आक्रोशित भीड़ ने भारतीय जनता पार्टी का दफ्तर फूंक दिया। लद्दाख में 15 दिनों से पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक भूख हड़ताल पर थे। लेह में हिंसा भड़कने के बाद उन्होंने अपना आमरण अनशन खत्म कर दिया। उन्होंने लोगों से अपील की है कि शांति बरतें। इस हिंसा में एक शख्स का नाम छा गया है, वह नाम है कांग्रेस पार्षद फुंत्सोग तांजिन सेपाग का।

बीजेपी नेता अमित मालवीय ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्षद फुंत्सोग तांजिन सेपाग की वजह से लेह में बीजेपी कार्यालय को जलाया गया है। जब सोनम वांगचुक से इस पर सवाल किया गया कि क्या यहां हिंसा  फुंत्सोग तांजिन सेपाग ने भड़काई है, उन्होंने कहा कि नहीं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का यहां इतना प्रभाव नहीं है कि वह 5000 युवाओं को सड़कों पर ला सके। उन्होंने बताया कि एक कांग्रेस पार्षद कल गुस्से में अस्पताल पहुंचे थे, क्योंकि उनके गांव के दो लोग घायल होकर अस्पताल लाए गए थे।

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आखिर हैं कौन फुंत्सोग तांजिन सेपाग?

फुंत्सोग तांजिन सेपाग का नाम लद्दाख हिंसा में आया है। लद्दाख में पूर्ण राज्य के दर्जे और छठवीं अनुसूची में शामिल होने की मांग जोर पकड़ रही है। बुधवार को एक उग्र भीड़ ने बीजेपी कार्यालय को जला दिया। आरोप लगे कि फुंत्सोग तांजिन सेपाग ने इसे उकसाया है। बीजेपी कार्यालय में आग लगाने और हिल काउंसिल पर हमले से जुड़े कुछ वीडियो वायरल हो रहे हैं। कांग्रेसी पार्षद फुंत्सोग तांजिन सेपाग भीड़ को उकसाते नजर आ रहे हैं। यह भी दावा किया जा रहा है कि उन्होंने ही भीड़ को उकसाया है। भारतीय जनता पार्टी, पूरे हिंसा को कांग्रेस की साजिश करार दे रही है। सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक इसे युवाओं का गुस्सा बता रहे हैं। 



फुंत्सोग तांजिन सेपाग लद्दाख ऑटोनॉमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल (AAHDC) के अपर लेह वार्ड से काउंसलर हैं। यह काउंसिल 1995 में बनी थी, जो लेह जिले का प्रशासन संभालती है। सदस्यों का चुनाव हर पांच साल में सीधे वोटिंग से होता है। उन्होंने 2020 के लेह चुनाव में कांग्रेसी उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की थी।

पुलिस ने उनके खिलाफ हिंसा भड़काने के मामले में केस दर्ज किया है। वीडियो में उन्हें भीड़ को भड़काते और बीजेपी दफ्तर की ओर हथियार लेकर जाते दिखाया गया है। फुंत्सोग तांजिन सेपाग का यह पहला विवाद नहीं है। साल 2020 में उन्होंने एक महिला के नाम से फेक सोशल मीडिया अकाउंट बनाया था। अश्लील तस्वीरें पोस्ट की थीं और उसका नंबर शेयर कर दिया था। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था। वह जमानत पर रिहा हैं।

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लद्दाख हिंसा में अब तक क्या पता चला?

लद्दाख में हिंसा भड़कने के बाद 4 लोगों की मौत हो गई थी, 80 से ज्यादा लोग घायल हैं। लद्दाख में धारा 163 लागू है। लद्दाख में स्थितियां तनावपूर्ण हैं। पुलिस चप्पे-चप्पे पर नजर रख रही है। 
 

अमित मालवीय, हेड, IT सेल, BJP:-
लद्दाख में दंगा भड़काने वाला यह शख्स फुंत्सोग तांजिन सेपाग है। यह अपर लेह वार्ड से कांग्रेस का पार्षद है। वह भीड़ को भड़काते और बीजेपी ऑफिस और हिल काउंसिल पर हमला करते साफ नजर आ रहा है। क्या यही वह अशांति है जिसका सपना राहुल गांधी देख रहे थे?


भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और सांसद संबित पात्रा ने भी कांग्रेस और राहुल गांधी पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस देश तोड़ने की साजिश कर रही है। उन्होंने कहा, 'लद्दाख में Gen-Z के नाम से कुछ विरोध प्रदर्शन दिखाने की कोशिश की गई। जब जांच की गई तो पता चला कि यह Gen-Z का नहीं, कांग्रेस का ही विरोध प्रदर्शन था। इस विरोध प्रदर्शन में हिंसा की जो फुटेज सामने आई है, उसमें अपर लेह वार्ड से कांग्रेस के पार्षद फुंत्सोग तांजिन सेपाग दिखाई दे रहे हैं जो इस हिंसा में शामिल लोगों का नेतृत्व कर रहे हैं। जो वीडियो सामने आए हैं, उससे पता चलता है कि यही इस हिंसात्मक प्रदर्शन के मुख्य साजिशकर्ता हैं जो अपने कार्यकर्ताओं द्वारा हिंसा भड़काने का काम कर रहे हैं। वह राहुल गांधी के साथ भी नजर आए हैं।'

लद्दाख के लोग क्या चाहते हैं, प्रदर्शन क्यों हो रहा है?

  • लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देना
  • छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग
  • स्थानीय लोगों के लिए नौकरी आरक्षण
  • भाषाई मान्यता
  • लेह और कारगिल के लिए अलग लोकसभा सीटें
  • भूमि और कृषि पर स्वायत्तता की मांग

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