उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बादल फटने की वजह से कई मजदूर लापता हो गए हैं। बाड़कोट-यमुनोत्री मार्ग पर सिलाई बैंड के पास अचानक बादल फटा, जिसकी वजह से एक निर्माणाधीन होटल साइट क्षतिग्रस्त हो गई। यहां काम कर रहे 8 से 9 मजदूर लापता हो गए हैं। उत्तर काशी के डीएम प्रशांत आर्य ने कहा है कि बादल फटने की वजह से यमुनोत्री रूट पर अभी असर पड़ा है।
मजदूरों की तलाश के लिए आनन-फानन में रेस्क्यू टीमें बुलाई गई हैं। एसडीआरएफ की एक टीम तलाश में जुटी है। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि यमुनोत्री हाइवे पर कई जगह मलबा और पानी की वजह से सड़क बाधित हो गई है। राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग के अधिकारी मलबा हटाने के लिए अब सामने आ रहे हैं, जिससे ट्रैफिक दोबारा बहाल हो सके।
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9 मजदूर लापता हो गए
बड़कोट पुलिस का कहना है कि यमुनोत्री हाइवे पर बादल फटने की सूचना देर रात 12 बजे के आसपास मिली थी। वहां सड़क के पास कुछ लोग टेंट बनाकर रह रहे थे। तेज सैलाब आने की वजह से वे अचानक बह गए। अभी तक 8 से 9 लोगों के लापता होने की खबर सामने आई है। मजदूर नेपाली मूल के बताए जा रहे हैं। उनकी तलाश में जांच टीम जुट गई है।
बादल फटने से कितना नुकसान हुआ?
बादल फठने की वजह से यमुनोत्री हाइवे सिलाई बैंड और उसके आसपास की सड़कें बंद हो गई हैं। रास्ता भी बाधित है। ओजरी के पास सड़क ही क्षतिग्रस्त हो गई है। हर तरफ मलबा भर गया है। स्यानाचट्टी में कुपड़ा कुंशाला त्रिखिली मोटर पुल पर भी बाढ़ की आशंका है। यमुना नदी का जल स्तर बढ़ गया है।
सड़कें तालाब में बदलीं
यमुनोत्री हाइवे के पास स्याना चट्टी इलाके में कुछ जगह सड़कों पर पानी जमा हो गया है। ऊपर से मलबा गिरने की वजह से पानी का बहाव रुका तो सड़कें तालाब होने लगीं। लोगों का कहना है कि घरों के भीतर तक पानी पहुंच गया। तटवर्ती इलाके में रहने वाले लोगों का कहना है कि घरों में पानी घुस आया है।
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अभी कैसा रहेगा उत्तराखंड का मौसम?
मौसम विभाग (IMD) ने अनुमान जताया है कि उत्तराखंड में अगले 7 दिनों तक तेज बारिश होगी। टिहरी, पौड़ी, चम्पावत, हरिद्वार, नैनीताल और ऊधम सिंह नगर में बारिश का रेड अलर्ट है।
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बारिश का असर क्या होगा?
रुद्र प्रयाग, चमोली, पिथौरागड़, बागेश्वर और उत्तरकाशी में भीषण बारिश होगी, असर तटवर्ती इलाकों में पड़ेगा। पहाड़ों पर भूस्खलन के आशार हैं। नदी-नालों का जलस्तर भी बढ़ सकता है।
बादल कैसे फटते हैं?
बादल आमतौर पर पहाड़ी इलाकों में फटते हैं। किसी छोटे से हिस्से पर अचानक नमी से भरे बादल ठहर जाते हैं और तेजी से नीचे की ओर गिरने लगते हैं। बारिश 100 मिलीमीटर से ज्यादा होने लगती है, जिसके बाद तबाही मचती है। वजह यह है कि मूसलाधार बारिश की वजह से पहाड़ों का मलबा भी पानी के साथ बहने लगता है। पहाड़ी इलाकों में बादल फटना ज्यादा तबाही मचाता है।