विधानसभा चुनाव के दो साल बाद भी तेलंगाना में कांग्रेस का जलवा कायम है। हालांकि ग्रामीण इलाकों में भारत राष्ट्र समिति (BRS) की पकड़ मजबूत दिखी। उधर, जुबली हिल्स विधानसभा उपचुनाव में जमानत जब्त होने के बाद भी पंचायत चुनाव में बीजेपी की हालत जस की तस रही। तेलंगाना पंचायत चुनाव में सभी दलों ने बिना चुनाव चिह्न के हिस्सा लिया राजनीतिक पर्यवेक्षकों का दावा है कि अधिकांश सरपंच और वार्ड सदस्य पदों पर कांग्रेस समर्थित प्रत्याशियों को जीत मिली है।
तेलंगाना में सरपंच के करीब 12,700 और 1.12 लाख वार्ड सदस्यों के पदों पर चुनाव संपन्न हो गया है। तेलंगाना राज्य निर्वाचन आयोग के मुताबिक तीन चरणों में 11, 14 और 17 दिसंबर को पंचायत चुनाव की वोटिंग हुई। कुल मतदान 85.30 प्रतिशत रिकॉर्ड किया गया।
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राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पंचायत चुनाव में कांग्रेस के बेहतरीन प्रदर्शन से यह बात साफ है कि तेलंगाना में पार्टी की पकड़ मजबूत है। मगर विपक्षी बीआरएस को पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता है, क्योंकि ग्रामीण इलाकों में उसकी पकड़ बनी हुई है। बीजेपी लंबे समय से तेलंगाना में अपने कदम जमाने की कोशिश में है। मगर पार्टी पंचायत चुनाव में भी कुछ खास नहीं कर पाई।
गांवों में पार्टी का दबदबा कायम: तेलंगाना कांग्रेस
तेलंगाना प्रदेश अध्यक्ष बी महेश कुमार गौड़ ने कहा कि गांवों ने एक बार फिर कांग्रेस को जीत का ताज पहनाया है। गांव के चुनाव में उनकी पार्टी का दबदबा कायम है। चुनाव नतीजे तेलंगाना सरकार के सुशासन पर मुहर लगाते हैं। उधर, बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव ने दावा किया कि गांवों के चुनाव से कांग्रेस के पतन की शुरुआत हो चुकी है। कांग्रेस के सत्ता के दुरुपयोग के बावजूद बीआरएस ने बड़ी संख्या में पंचायत चुनाव में जीत हासिल की है।
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न्यूज एजेंसी पीटीआई से बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार से वकील बने सीआर सुकुमार ने दावा किया,' सभी चरणों के अधिकांश सरपंच पदों पर कांग्रेस समर्थित प्रत्याशियों ने जीत हासिल की। यह नतीजे उस बात की पुष्टि करते हैं कि 2023 के विधानसभा चुनाव के परिणाम अचानक हुई घटना नहीं थे। रेवंत रेड्डी की सरकार को ग्रामीण इलाकों में काफी समर्थन प्राप्त है।' बता दें कि कुछ दिन पहले जुबली हिल्स विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की। उसके बाद पंचायत चुनाव में मिली सफलता से पार्टी गदगद है।