मुंबई में बच्चों सहित 17 लोगों को बंधक बनाने की घटना में पूर्व शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर से मुंबई क्राइम ब्रांच पूछताछ करने वाली है। पुलिस उनका बयान दर्ज करने की तैयारी कर रही है। दरअसल, घटना के दौरान पुलिस ने केसरकर से आरोपी रोहित आर्य से बात करने की अपील की थी, लेकिन उन्होंने मना कर दिया था। अब उन्होंने अपनी स्थिति स्पष्ट की है।
केसरकर का कहना है कि पुलिस ने उनसे संपर्क किया, लेकिन चूंकि वह अब मंत्री नहीं हैं, इसलिए वह कोई ठोस आश्वासन नहीं दे सकते थे। आरोपी ने बच्चों को बंधक बनाया हुआ था और स्थिति गंभीर थी। किसी को नहीं पता था कि उसका एनकाउंटर हो जाएगा। उन्होंने पुलिस को सलाह दी थी कि वे मौजूदा मंत्री या सक्षम अधिकारी से संपर्क करें, जो आश्वासन दे सकें।
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बात करने में कोई आपत्ति नहीं थी
केसरकर ने कहा कि अगर पुलिस केवल बात करने के लिए कहती, तो वे जरूर विचार करते। उन्हें आरोपी से बात करने में कोई परहेज नहीं था। लेकिन पुलिस को ठोस आश्वासन चाहिए था, जो सिर्फ विभागीय मंत्री या अधिकारी ही दे सकते थे। उन्होंने पुलिस से कहा था कि यह उनका काम है कि वे सही व्यक्ति से संपर्क करें।
पुलिस ने पूरी स्थिति नहीं बताई
पूर्व मंत्री के अनुसार, पुलिस ने उन्हें बताया था कि वे मंत्रियों से संपर्क कर रहे हैं। अगर पुलिस ने स्पष्ट कहा होता कि मंत्री से बात नहीं हो पाई और वे खुद आरोपी से बात करें, तो शायद वे सहमत हो जाते। उस वक्त बच्चों की जान खतरे में थी और ज्वलनशील पदार्थ भी वहां मौजूद थे। ऐसे में बिना ठोस आश्वासन के कुछ भी अनहोनी हो सकती थी।
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मुख्य मकसद था बच्चों की रिहाई
केसरकर ने जोर दिया कि मुख्य उद्देश्य बच्चों को सुरक्षित छुड़ाना था। किसी के एनकाउंटर किए जाने की उम्मीद नहीं थी। पुलिस ने उनसे सिर्फ एक बार संपर्क किया, जो रिकॉर्ड पर है। अगर सिर्फ मदद या बातचीत की जरूरत होती और यह स्पष्ट बताया जाता, तो स्थिति अलग होती, लेकिन आश्वासन का अधिकार उनके पास नहीं था।
इस पूरे मामले में केसरकर ने अपनी सीमा और जिम्मेदारी को लेकर सफाई दी है, जबकि पुलिस अब उनके बयान की औपचारिक जांच करेगी।