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हाई कोर्ट ने आसाराम के बेटे नारायण साईं को दी अस्थायी जमानत, वजह जानें

गुजरात हाई कोर्ट ने सोमवार को दुष्कर्म के एक मामले में दोषी ठहराए गए नारायण साईं को मानवीय आधार अस्थायी जमानत दी है।

Narayan Sai bail

नारायण साईं और आसाराम। Photo Credit- Social Media

गुजरात हाई कोर्ट ने सोमवार को दुष्कर्म के एक मामले में दोषी ठहराए गए नारायण साईं को 'मानवीय आधार' अस्थायी जमानत दी है। दुष्कर्म मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद नारायण साईं आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। हाई कोर्ट ने नारायण साईं को अपने पिता आसाराम बापू से मिलने के लिए पांच दिन की अस्थायी जमानत दी है।

 

दरअसल, फिलहाल आसाराम का स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा है। कोर्ट ने इसको देखते हुए इसपर विचार किया कि एक बेटे को अपने पिता से व्यक्तिगत रूप से मिलना चाहिए। इसी को लेकर न्यायालय ने साईं को मानवीय आधार पर जमानत दी।

आसाराम का स्वास्थ्य खराब

बता दें कि आसाराम भी दुष्कर्म के एक अलग मामले में दोषी ठहराया गया है, जिसके बाद उसे आजीवन कारावास की सजा काट सुनाई गई थी। जेल की सजा काट रहे आसाराम स्वास्थ्य कारणों से वर्तमान में अस्थायी जमानत पर बाहर है। जस्टिस इलेश जे वोरा और जस्टिस पीएम रावल की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है। 

 

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हाई कोर्ट ने फैसले में क्या कहा?

खंडपीठ ने फैसले में कहा, 'नारायण साईं साल 2013 से जेल में है। पहले भी जब उसे पुलिस निगरानी में अस्थायी जमानत पर रिहा किया गया था, तब किसी भी तरह की अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली थी। इसलिए मानवीय आधार पर नारायण साईं के पिता के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए, जो वर्तमान में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। नारायण साईं और उसके पिता की गिरफ्तारी के बाद से दोनों के अलग-अलग जेलों रहे, जिसकी वजह से दोनों को व्यक्तिगत रूप से मिलने का कोई अवसर नहीं था। हम अपने न्यायिक विवेक का इस्तेमाल करते हुए दोषी नारायण साईं को पुलिस निगरानी में उसकी रिहाई की तिथि से पांच दिनों के लिए अस्थायी जमानत पर रिहा करने के लिए इच्छुक हैं।'

अनुयायियों से मिलने की अनुमति

हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए साफ किया कि नारायण साईं को अपने अनुयायियों या अपने पिता के अनुयायियों से मिलने की अनुमति है। साईं को सूरत के सत्र न्यायालय ने 30 अप्रैल, 2019 को भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)(एफ), 376(के) सहित कई धाराओं में दोषी माना था।

 

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साईं किस मामले में दोषी?

नारायण साईं के ऊपर एक युवती ने 2001 में आरोप लगाया था कि वह गुजरात के सूरत आश्रम में आयोजित एक धार्मिक समारोह में शामिल हुई थी। उस दौरान वह साईं से मिली थी, तब उसकी उम्र 18-20 साल थी। साईं से मिलने के बाद वह आश्रम में 'सेविका' के रूप में शामिल हो गई। पीड़िता ने आरोप लगाया थे कि उसे नारायण साईं के कमरे में बुलाया गया, जहां उसने उसके साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया और उसके साथ दुष्कर्म किया।

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