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'प्याज-लहसुन' पर टूटी शादी, पत्नी की गुजारा भत्ता बढ़ाने की अपील खारिज

गुजरात हाई कोर्ट में एक महिला ने तलाकशुदा पति से मिलने वाले गुजारा भत्ते को बढ़ाने की मांग की थी। कोर्ट ने महिला की मांग को खारिज कर दिया और गुजारा भत्ते की राशि नहीं बढ़ाई।

Gujrat High Court

सांकेतिक तस्वीर,Photo Credit: PTI

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गुजरात हाई कोर्ट में एक महिला ने तलाक के बाद गुजारा भत्ता बढ़ाने को लेकर एक याचिका दायर की थी। महिला ने शादी टूटने के 23 साल बाद फैमिली कोर्ट की ओर से निर्धारित किए गए गुजारे भत्ते को बढ़ाने की मांग करते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। महिला के पति ने कोर्ट में दलील दी कि उसकी नौकरी से उसे ज्यादा पैसा नहीं मिलता और उस पर अपने माता-पाति के साथ-साथ बेटे की भी जिम्मेदारी है। उसने बताया कि उसका बेटा कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है और बेटे का खर्च उठाने की जिम्मेदारी उस पर ही है। 

 

इस कपल की शादी मार्च 2002 में हुई थी। शादी टूटने का कारण था प्याज-लहसुन का इस्तेमाल करना। पति और पत्नी दोनों में प्याज और लहसुन खाने को लेकर मतभेद होता रहता था। पत्नी किसी गुरु को मानती थी और प्याज-लहसुन का इस्तेमाल करने का विरोध करती थी, जबकि पति और उसका परिवार इस तरह की किसी भी रोक के खिलाफ था। इसके बाद पति ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दायर की। पति ने दलील दी कि उसके साथ क्रूरता की गई है। 

 

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पति को छोड़कर चली गई थी पत्नी

पति ने कोर्ट को बताया कि उसकी पत्नी ने उसके साथ क्रूरता की है। वह अपने बच्चे के साथ घर छोड़कर चली गई थी। फैमिली कोर्ट ने मई 2024 में तलाक का फैसला सुनाया और महिला को गुजारा भत्ता दिया। कोर्ट ने 2013 से 2020 के समय के लिए 8,000 रुपये हर महीने का रखरखाव दिया और इसके पबाद जुलाई 2020 से रखरखाव की राशि को बढ़ाकर 10,000 रुपये हर महीने कर दी थी। इसके बाद अब महिला ने कोर्ट में रखरखाव के लिए दिए जाने वाला पैसा बढ़ाने की मांग की थी। 

पत्नी ने क्या कहा?

पत्नी ने तर्क दिया था कि 18 महीने से उसे रखरखाव का भुगतान नहीं किया गया है। होई कोर्ट में दायर याचिका में महिला ने कहा कि उसे तलाक मंजूर है लेकिन गुजारे भत्ते की राशि को लेकर उसे शिकायत है। महिला ने बताया कि उसके पति के पिता की एक फैब्रिकेशन फैक्ट्री है, जिसमें उसका पति भी हिस्सेदार है। इस फैक्ट्री से उसे हर महीने 80,000 से 1 लाख तक इनकम मिलती है। महिला ने यह भी बताया कि उसके पास इनकम का कोई साधन नहीं है।

 

हालांकि, पति ने कोर्ट में दो दलील दी उसके अनुसार, महिला योग्य थी और वह हर महीने 15,000 रुपये कमा रही थी। पति ने बताया कि कोर्ट में उसकी पत्नी ने इस बात को छिपा कर रखा। कोर्ट ने अपने आदेश में इस बात का जिक्र किया कि फैमिली कोर्ट के सामने महिला ने एक बयान दिया था जिसमें उसने कहा था कि वह काम कर रही है।

 

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पत्नी के लिए मां बनाती थी खाना

पति ने कोर्ट को बताया कि उसकी मां उसकी पत्नी के लिए बिना प्याज और लहसुन के अलग खाना बनाती थी। परिवार के अन्य लोग प्याज और लहसुन से बना खाना खाते थे। पति ने कोर्ट में अपनी इनकम के सबूत भी दिए और बताया कि 2014 से 2019 के बीच उसकी सालाना इनकम 62,718 रुपये थी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, 'इस बात पर कोई विवाद नहीं की पति एक कमरे के मकान में रख रहा है और यह उसकी आर्थिक स्थिति को दिखाता है। इसके अलावा वह अपने माता-पिता का इकलौता बेटा है और माता-पिता की देखभाल की जिम्मेदारी लेता है। पति पर उसके एक जवान बेटे की पढ़ाई की जिम्मेदारी भी है।'

 

हाई कोर्ट ने गुजारा भत्ता बढ़ाने की याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा, 'याचिकाकर्ता के वकील कोई भी ऐसी बात सामने नहीं रख पाए जो फैमिली कोर्ट में ना बताई गई हो और यह साबित करती हो कि फैमिली कोर्ट के फैसले में कोई कमी है। कोर्ट की राय है कि अपीलकर्ता पत्नी को हर महीने 10,000 रुपये का गुजारा भत्ता ही दिया जाए।' कोर्ट ने पति को गुजारा भत्ता की पूरी राशि देने का आदेश दिया। 

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