हत्या और बलात्कार के केस में उम्रकैद की सजा काट रहा गुरमीत राम रहीम सिंह एक बार फिर जेल से बाहर आ गया है। अदालत ने उसे 21 दिनों की फरलो दी है। वह 21 दिन सिरसा के डेरे में रहेगा। बुधवार सुबह 6.30 पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में उसे लेकर पुलिस डेरा पहुंची। राम रहीम जिस डेरे का प्रमुख है, उसका 77वां स्थापना समारोह 29 अप्रैल को है। 29 अप्रैल 1948 को शाह मस्ताना ने इसकी स्थापना की थी। राम रहीम इसी कार्यक्रम के लिए फरलो पर बाहर आया है।
राम रहीम को सजा 2017 में हुई थी, 2020 में पहली बार पैरोल पर बाहर आया था, तब से लेकर अब तक 13 बार बाहर आ चुका है। 28 जनवरी 2025 को ही वह 30 दिनों के लिए पैरोल पर बाहर आया था। अब उसने फिर फरलो ले लिया है। 28 जनवरी 2025 को उसे 30 दिनों की पैरोल मिली थी, 10 दिन वह सिरसा डेरा, 20 दिन यूपी के बरनावा में काटे थे। राम रहीम अब तक 8 पैरोल, 5 फरलो की वजह से 265 दिनों तक जेल से बाहर रहा है।
कब से जेल में है राम रहीम?
यौन शोषण केस में राम रहीम को 25 अगस्त 2017 को सजा सुनाई गई थी। 17 जनवरी 2019 को पत्रकार राम चंद्र छत्रपति हत्याकांड में उम्रकैद मिली। डेरा मैनेजर रणजीत सिंह की हत्या के केस में 2021 में ही CBI कोर्ट ने इस सजा को उम्रकैद में बदल दिया। वह पैरोल और फरलो लेकर अब तक 12 बार जेल से बाहर आ चुका है।
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कब-कब जेल से बाहर आया राम रहीम?
24 अक्टूबर 2020 को राम रहीम 1 दिन की पैरोल पर अपनी बीमार मां से मिलने जेल से बाहर आया था। 21 मई 2021 को फिर उसे 1 दिन की पैरोल मिली। फिर उसने मां से मुलाकात की। 7 फरवरी 2022 को उसे 21 दिन की फरलो मिली। इस बार भी वजह परिवार रहा। यह सबसे लंबी फरलो थी।
17 जून 2022 को फिर 30 दिन की पैरोल पर बाहर आया। 14 अक्टूबर 2022 को उसे 40 दिनों की पैरोल मिल गई। वह बागपत के बरनावा आश्रम में रहा। 21 जनवरी 2023 को वह फिर 40 दिन की पैरोल पर बाहर आया। 20 जुलाई 2023 को उसे 30 दिनों की पैरोल मिली।
21 नवंबर 2023 को वह 21 दिन की फरलो मिली। 19 जनवरी 2024 को 50 दिनों की पैरोल पर बाहर आया। 19 जनवरी 2024 को 50 दिनों की पैरोल मिल गई। 13 अगस्त 2024 को उसे 21 दिन की फरलो मिली।
2 अक्टूबर 2024 को 20 दिन की पैरोल मिली। 28 जनवरी 2025 को 30 दिन की पैरोल पर वह बाहर आया। 9 अप्रैल 2025 को उसे 21 दिन की फरलो मिली।
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पैरोल और फरलो का अंतर समझिए
अगर कैदी अपनी सजा का एक हिस्सा काट ले तो उसे पैरोल मिलती है। यह रेगुलर और कस्टडी के आधार पर मिलती है। रेगुलर में उसे आजाद छोड़ा जाता है, कस्टडी में पुलिस भी रहती है। फरलो, पैरोल से अलग होता है। पैरोल किसी खास वजह से, जैसे परिवार में मृत्यु या बीमारी के लिए दी जाती है। फरलो पर राज्य सरकारें अपने-अपने नियमों के हिसाब से चलती हैं।