हरियाणा के पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह ने बड़ा ऐलान किया है कि राज्य में अब फिरौती या धमकी भरे कॉल की शिकायत करने वालों को निजी सुरक्षा (गनमैन) नहीं दी जाएगी। इसके बजाय व्यक्ति की सुरक्षा की जिम्मेदारी संबंधित जिले के एसपी और थाना प्रभारी (एसएचओ) पर होगी। डीजीपी ने यह बयान पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा।
उन्होंने कहा कि ज्यादातर धमकी भरे कॉल इसलिए आते हैं क्योंकि शिकायतकर्ता खुद गनमैन के साथ घूमते हैं और दिखावा करते रहते हैं। सोशल मीडिया पर रील बनाना, लग्जरी गाड़ियों में घूमना और सार्वजनिक रूप से हथियारों का दिखावा करना जैसे कार्य अपराधियों को उकसाते हैं। डीजीपी के अनुसार, 'तीन-चौथाई कॉल्स फर्जी होते हैं। इनमें कोई वास्तविक खतरा नहीं होता, लेकिन हम हर कॉल को गंभीरता से लेते हैं।'
यह भी पढ़ें: 'आप चुनाव के लिए हैं, हम देश के लिए हैं, बोस के पत्र पर प्रियंका का BJP पर तंज
दिल्ली का दिया उदाहरण
ओम प्रकाश सिंह ने बताया कि दिल्ली में लंबे समय से ऐसी नीति लागू है, जहां धमकी भरे कॉल्स पर गनमैन नहीं दिए जाते। हरियाणा पुलिस भी अब यही मॉडल अपनाने जा रही है। उन्होंने कहा, 'हम जल्द ही इस संबंध में औपचारिक नीति ला रहे हैं। एक जिले में एसपी के पास 700-800 पुलिसकर्मी होते हैं, जो अपराधियों की संख्या से कहीं ज्यादा हैं। इसलिए इलाके में गश्त बढ़ाकर, पेट्रोलिंग मजबूत करके और खुफिया तंत्र को सक्रिय करके सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। निजी गनमैन देने की जरूरत नहीं पड़ेगी।'
सिर्फ फोन पर धमकी काफी नहीं
डीजीपी ने यह भी स्पष्ट किया कि वास्तविक खतरे वाले मामलों में पुलिस पहले की तरह कार्रवाई करेगी, लेकिन सिर्फ फोन पर धमकी आने से कोई भी व्यक्ति सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग कर निजी बॉडीगार्ड की मांग नहीं कर सकेगा। उनका कहना था कि कई लोग सिर्फ स्टेटस दिखाने के लिए गनमैन रखना चाहते हैं, जबकि असल में उन्हें कोई खतरा नहीं होता।
यह भी पढ़ें: कौन हैं जस्टिस स्वामीनाथन, जिनके एक फैसले के चलते महाभियोग लाएगा विपक्ष?
यह नीति लागू होने से पुलिस बल के सीमित गनमैन दूसरे महत्वपूर्ण कार्यों में लगाए जा सकेंगे। साथ ही, आम जनता में यह संदेश भी जाएगा कि सुरक्षा के लिए जिम्मेदारी सिर्फ पुलिस की नहीं, बल्कि स्वयं व्यक्ति की सतर्कता भी जरूरी है।