हरियाणा पुलिस ने एक बार फिर 'डिजिटल पुलिंसिंग रैंकिंग' में टॉप कर लिया है। 20 महीने में यह 17वीं बार है जब हरियाणा पुलिस इसमें पहले नंबर पर आई है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) हर महीने क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (CCTNS) की रैंकिंग जारी करता है। पिछले हफ्ते NCRB ने जून महीने की रैंकिंग जारी की थी, जिसमें हरियाणा पहले नंबर पर है।
इस पर हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर ने कहा कि तकनीक आधारित स्मार्ट पुलिसिंग ही सफलता की कुंजी है। आधुनिक प्लेटफॉर्म्स जैसे CCTNS और NAFIS से पारदर्शिता और न्याय की प्रक्रिया में तेजी आई है।
20 महीने में यह 17वीं बार है जब हरियाणा को डिजिटल पुलिसिंग रैंकिंग में 100% स्कोर मिला है। वहीं, अगस्त और सितंबर 2024 में हरियाणा पुलिस 99.99% के साथ तीसरे नंबर पर रही थी।
क्या है यह रैंकिंग?
NCRB हर महीने डिजिटल पुलिसिंग रैंकिंग जारी करता है। यह रैंकिंग राज्य और जिले के हिसाब से जारी की जाती है। इसमें यह देखा जाता है कि किस राज्य और किस जिले की पुलिस कितनी डिजिटल है?
यह CCTNS की रैंकिंग होती है। यह एक यूनिफाइड सिस्टम है। CCTNS को 2009 में 2 हजार करोड़ रुपये की लागत से शुरू किया गया था। इसका मकसद अपराध की जांच और अपराधियों की ट्रैकिंग को आसान बनाना है।
यह पुलिस को अपराध और अपराधियों का डिजिटल डेटाबेस बनाने में मदद करता है। इस प्लेटफॉर्म पर FIR, चार्जशीट और जांच रिपोर्ट फाइल की जाती है। दिसंबर 2024 तक देशभर के सभी 17,130 पुलिस थाने CCTNS से जुड़ गए थे।
हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर ने अपनी CCTNS टीम को बधाई देते हुए कहा है कि यह कामयाबी हरियाणा पुलिस की नई सोच, काम करने का बेहतर तरीका और आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल का नतीजा है।
यह भी पढ़ें--10 में 8 जंग अमेरिका ने शुरू की! खुद 'लड़ाकू' रहा US अब ज्ञान दे रहा
हरियाणा क्यों आ रहा पहले नंबर पर?
CCTNS की रैंकिंग कई पैमाने पर तय होती है। देखा जाता है कि अपराध और अपराधियों का डेटा कितनी तेजी से CCTNS पर अपलोड किया जा रहा है?
हरियाणा पहले नंबर पर क्यों है? इस बारे में SCRB के डायरेक्टर सिबाश कबिराज ने बताया कि बीते दो साल में कई बड़े बदलाव लागू किए हैं। इसी कारण हरियाणा पुलिस ने पिछले 20 महीनों में 17 बार पहला नंबर हासिल किया है।
उन्होंने कहा कि हरियणा पुलिस ने CCTNS की मंथली रैंकिंग में अलग-अलग पैमानों पर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा, 'आज राज्य के सभी पुलिस स्टेशन CCTNS से जुड़े हैं और सभी काम FIR, मेडिको-लीगल मामले, गुमशुदा लोग, खोई हुई संपत्ति, लावारिस चीजें, अज्ञात शव, विदेशी रजिस्ट्रेसन, जांच, शिकायतें और प्रोग्रेस रिपोर्ट पूरी तरह से डिजिटल रूप में दर्ज और निगरानी की जाती है।'
उन्होंने बताया कि 2022 से अब तक NAFIS सॉफ्टवेयर पर लाखों फिंगरप्रिंट अपलोड किए जा चुके हैं और उनका मिलान गिरफ्तार आरोपियों और अज्ञात शवों के रिकॉर्ड से किया जा चुका है।
यह भी पढ़ें-- मजबूरी या जरूरत! रूस का तेल भारत के लिए फायदे का सौदा क्यों?

इससे फायदा क्या होता है?
अपराध, अपराधियों और फिंगरप्रिंट का सारा रिकॉर्ड डिजिटल होने से जांच में तेजी आती है। कबिराज ने बताया कि बड़ी संख्या में फिंगरप्रिंट और आपराधिक रिकॉर्ड का मैच हुआ है।
उन्होंने बताया कि क्राइम सीन से जुटाए फिंगरप्रिंट को NAFIS पर अपलोड किया गया है। इससे 22 मर्डर से समेत 93 गंभीर आपराधिक मामले सुलझाए गए हैं। इसके अलावा, NAFIS के जरिए 29 अज्ञात शवों की पहचान भी की गई है।