हरियाणा कैडर के आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार के कथित आत्महत्या के मामले में अब पोस्टमॉर्टम को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। चंडीगढ़ पुलिस ने दावा किया है कि अधिकारी के परिजनों का सहयोग न मिलने के कारण उसे मजबूर होकर स्थानीय अदालत में याचिका दाखिल करनी पड़ी है, ताकि पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जा सके। पुलिस का कहना है कि यह कदम न्यायहित में जरूरी है क्योंकि विलंब से फॉरेंसिक साक्ष्य नष्ट हो सकते हैं।
चंडीगढ़ पुलिस की ओर से जारी बयान के मुताबिक, जांच अधिकारी (IO), वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) और पुलिस महानिरीक्षक (IGP), तीनों स्तरों से मृतक के परिवार को लगातार अनुरोध भेजे गए थे कि वे शव की पहचान कर पोस्टमॉर्टम (PME) प्रक्रिया में सहयोग करें। लेकिन परिवार की ओर से समय पर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर पुलिस को कोर्ट की शरण लेनी पड़ी।
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कोर्ट से अपील
पुलिस ने अदालत से यह निवेदन किया है कि परिवार को निर्देश दिया जाए कि वे आगे आकर शव की पहचान करें, ताकि पोस्टमॉर्टम जल्द से जल्द किया जा सके। पुलिस का तर्क है कि ‘इस स्तर पर पोस्टमॉर्टम कराया जाना अत्यंत आवश्यक है, ताकि महत्वपूर्ण फॉरेंसिक सबूत सुरक्षित रह सकें और न्याय की दिशा में जांच को ठोस आधार मिल सके।’
इसके अलावा, चंडीगढ़ पुलिस ने अदालत से यह भी मांग की है कि मृतक अधिकारी का लैपटॉप जांच के लिए उपलब्ध कराया जाए। अधिकारियों का कहना है कि लैपटॉप में पूरन सिंह से जुड़े महत्वपूर्ण डिजिटल रिकॉर्ड जैसे कि ईमेल, पर्सनल नोट्स या अन्य इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य मौजूद हो सकते हैं, जो आत्महत्या के कारणों को समझने में मदद करेंगे।
हरियाणा सरकार को भी पत्र
पुलिस ने इस प्रकरण में हरियाणा सरकार को भी पत्र लिखा है, ताकि पूरन सिंह से संबंधित कुछ आवश्यक आधिकारिक दस्तावेज जैसे कि सेवा रिकॉर्ड, विभागीय पत्राचार या हाल की रिपोर्टें, जांच में शामिल की जा सकें। पुलिस के अनुसार, इन दस्तावेज़ों से यह स्पष्ट किया जा सकेगा कि क्या अधिकारी किसी प्रोफेशनल या पर्सनल दबाव में थे।
मृतक आईपीएस अधिकारी वाई पूरन सिंह हरियाणा पुलिस सेवा में एक वरिष्ठ अधिकारी माने जाते थे। उनकी मौत ने राज्य पुलिस महकमे में सनसनी फैला दी है। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि उन्होंने आत्महत्या क्यों की, हालांकि शुरुआती संकेत इसे ‘सुसाइड केस’ बताते हैं।
परिजनों ने नहीं दिया जवाब
इस बीच, परिजनों की ओर से पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया में देरी की कोई आधिकारिक वजह सार्वजनिक नहीं की गई है। कुछ सूत्रों का कहना है कि परिवार ‘कुछ परिस्थितियों को लेकर असंतुष्ट’ है और जांच की दिशा को लेकर उनकी अपनी चिंताएं हैं। वहीं, पुलिस का कहना है कि बिना पोस्टमॉर्टम के मृत्यु के कारणों की पुष्टि नहीं की जा सकती और सच्चाई सामने लाना
न्यायिक प्रक्रिया का अनिवार्य हिस्सा है।
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एक्सपर्ट्स का मानना है कि, आत्महत्या के मामलों में शव परीक्षण के जरिए कई बार यह स्पष्ट होता है कि मौत किन परिस्थितियों में हुई? क्या उसमें किसी तरह का बाहरी दबाव में किया गया या यह पूरी तरह स्वैच्छिक कदम था। इसलिए पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट इस पूरे मामले की जांच का सबसे अहम आधार बनेगी।