चंडीगढ़ पुलिस ने सीनियर आईपीएस अफसर वाई. पूरन कुमार की सुसाइड केस में पुलिस ने FIR में गंभीर धाराएं जोड़ दी हैं। यह FIR उनकी पत्नी अमनीत पी. कुमार की शिकायत पर दर्ज की गई थी। इसमें पहले जो SC-ST ऐक्ट की धारा लगाई गई थी, उसमें अधिकतम 5 साल की सजा का प्रावधान था लेकिन अब चंडीगढ़ पुलिस ने SC/ST ऐक्ट की धारा में सेक्शन 3(2)(v) को FIR में जोड़ा है। इस धारा के तहत उम्र कैद की सजा का प्रावधान है। अमनीत पी. कुमार पहले ही आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग कर चुकी हैं। ऐसे में पुलिस और प्रशासन पर दबाव बन रहा है।
इस FIR में हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारनिया समेत 10 अफसरों के नाम शामिल हैं। चंडीगढ़ पुलिस ने सेक्टर-11 थाने में यह FIR दर्ज की थी। हालांकि, अमनीत पी. कुमार इस FIR में लगाई गई धाराओं से संतुष्ट नहीं थीं और उन्होंने इसमें पुलिस को एप्लीकेशन देकर इस केस में गंभीर धाराएं जोड़ने की मांग की थी। अब पुलिस ने इस केस में SC/ST Act की सेक्शन 3(2)(v) को जोड़ा है। यह धारा तब लागू होती है जब कोई अपराध SC/ST के व्यक्ति के साथ उनकी जाति के कारण किया गया हो और वह गंभीर शारीरिक नुकसान या मौत का कारण बना हो।
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पत्र में क्या लिखा?
मृतक वाई. पूरन कुमार की पत्नी अमनीत पी. कुमार ने पुलिस को पत्र लिख कर SC/ST ऐक्ट की कमजोर धाराएं लगाए जाने की बात कहते हुए धारा 3(2)(v) लागू की जानी चाहिए ताकि उचित कानूनी कार्रवाई हो सके। इसके अलावा उन्होंने पत्र में लिखा था कि मृतक अधिकारी वाई. पूरन कुमार की जेब से बरामद 'फाइनल नोट' की कॉपी भी उन्हें अब तक नहीं दी गई है। उन्होंने मांग की है कि मृतक की जेब और उनके निवास से बरामद दोनों 'फाइनल नोट' की वेरिफाइड कॉपी उन्हें दी जाएं ताकि वह जांच में पारदर्शिता सुनिश्चित कर सकें। उन्होंने FIR में बदलाव की मांग की थी।
पहले इन धाराओं में दर्ज हुआ था केस
अपने सुसाइड नोट में आपीएस वाई. पूरन कुमार ने आठ आईपीएस और दो आईएएस अधिकारियों पर आरोप लगाए थे। उन्होंने जिन पर आरोप लगाया था, उनमें अमिताभ ढिल्लन, मनोज यादव, पीके अग्रवाल, संदीप खीर्वा, शिबाश काबरा, संजय कुमार, पंकज नैन और डॉ. किरण का नाम हैं। इनके अलावा 2 रिटायर्ड आईएएस अधिकारी राजीव अरोड़ा और टीवीएसएन प्रसाद का नाम भी है। चंडीगढ़ पुलिस ने इन सभी के खिलाफ FIR दर्ज कर ली थी। FIR में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 108- 3(5) और SC-ST ऐक्ट की धारा 3(1)(r) के तहत FIR दर्ज की गई थी। अब SC-ST ऐक्ट की धारा 3(2)(v) को जोड़ा गया है।
अब तक नहीं हुआ पोस्टमार्टम
न्याय की मांग कर रहे पीड़ित परिवार ने अब तक वाई. पूरन कुमार के शव का अभी तक पोस्टमार्टम नहीं हुआ है। इस घटना को 6 दिन बीत जाने के बाद भी पीड़ित परिवार ने अभी तक सहमति नहीं दी है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि शव के डिकंपोज होने का खतरा बढ़ रहा है और इससे जांच में सबूत नष्ट हो सकते हैं। पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों समेत बड़े नेता जल्द से जल्द सहमति बनाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि अंतिम पोस्टमार्टम करवाकर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की जा सके
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परिवार को मिली सुरक्षा
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, जब तक वाई. पूरन कुमार को इंसाफ नहीं मिल जाता, तब तक उनका परिवार पोस्टमार्टम की अनुमति नहीं देंगी। गुरुवार को सीएम नायब सैनी ने अमनीत पी. कुमार से मुलाकात की थी। इस दौरान अमनीत पी. कुमार ने मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें उन्होंने आजीवन सुरक्षा देने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि इस मामले में हरियाणा सरकार के हाई रैंकिंग अफसर शामिल हैं, इसलिए उनके परिवार को आजीवन सुरक्षा दी जाए। उनकी इस मांग पर चंडीगढ़ पुलिस ने उन्हें विशेष सुरक्षा मुहैया करवाई है।