कांग्रेस के निशाने पर क्यों आई केरल पुलिस? राज्य में आंदोलन की चेतावनी
राज्य
• THRISSUR 05 Sept 2025, (अपडेटेड 05 Sept 2025, 10:22 PM IST)
केरल में इस समय एक वीडियो ने पूरे राज्य की सियासत में गर्मी पैदा कर दी है। यह वीडियो एक कांग्रेस कार्यकर्ता से जुड़ा हुआ है। कुन्नमकुलम पुलिस द्वारा यूथ कांग्रेस के नेता और चौन्नूर क्षेत्र के अध्यक्ष सुजीत वीएस पर बेरहमी से हमला करने का वीडियो सामने आया है।

हिरासत में कांग्रेस कार्यकर्ता को पिटती पुलिस। Photo Credit (@ShashiTharoor)
केरल में सीपीएम के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) की सरकार है। इसके मुखिया मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन हैं। राज्य में लंबे समय तक शासन करने वाली कांग्रेस मुख्य विपक्षी पार्टी है। कांग्रेस विजयन सरकार पर लगातार विपक्षी नेताओं को पुलिस द्वारा परेशान करने का आरोप लगाती रही है। दरअसल, केरल में इस समय एक वीडियो ने पूरे राज्य की सियासत में गर्मी पैदा कर दी है। यह वीडियो एक कांग्रेस कार्यकर्ता से जुड़ा हुआ है। कुन्नमकुलम पुलिस द्वारा यूथ कांग्रेस के नेता और चौन्नूर क्षेत्र के अध्यक्ष सुजीत वीएस पर बेरहमी से हमला करने का वीडियो सामने आया है। यह वीडियो दो साल पुराना है, जो अब जनता के सामने आ गया है। इस वीडियो में पुलिस वाले सुजीत को हिरासत में लेकर बुरी तरह से मार रहे हैं। वीडियो सामने आने के बाद कांग्रेस विजयन सरकार के ऊपर हमलावर हो गई है।
यह वीडियो 5 अप्रैल, 2023 की है। दो साल के बाद आई यह वीडियो सुजीत ने एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद प्राप्त की है। कुन्नमकुलम पुलिस द्वारा यूथ कांग्रेस नेता सुजीत के साथ हिरासत में की गई हिंसा परेशान करने वाली है। यह घटना कांग्रेस के एक कार्यकर्ता के ऊपर की गई है लेकिन गुरुवार को वीडियो सामने आने के बाद पूरी पार्टी केरल पुलिस और सरकार पर गंभीर सवाल उठा रही है। कांग्रेस इस वीडियो को लेकर आर-पार की लड़ाई लड़ने जा रही है। आखिर यह पूरा मामला क्या है और इसको लेकर केरल में कैसी सियासत हो रही है? आइए इस खबर में जानते हैं...
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वीडी सतीसन ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
इस बीच कांग्रेस ने त्रिशूर जिले में दो साल पहले अपने कार्यकर्ता को हिरासत में प्रताड़ित करने में शामिल पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग तेज कर दी है। वहीं, मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और राज्य का गृह विभाग इस मामले पर बोलने से कतरा रहे हैं। केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीसन ने मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को पत्र लिखकर आरोपी पुलिसवालों को नौकरी से बर्खास्त करने की अपील की है। उन्होंने सीसीटीवी फुटेज का हवाला देते हुए आरोपियों के खिलाफ केस चलाने की भी मांग की है।
सतीसन ने लगाया आरोप
सतीसन ने आरोप लगाया कि हिरासत में प्रताड़ित करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के बावजूद, पुलिस अधिकारियों ने आरोप पत्र से प्रमुख आरोपियों के नामों को हटाकर और रिपोर्ट छिपाकर इसमें शामिल लोगों को बचाने की कोशिश की है। उन्होंने कहा, 'सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत सीसीटीवी फुटेज मिलने के बाद ही यह घटना सामने आई।'
शशि शरूर ने कहा- चुप्पी ढाल नहीं बन सकती
तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि शरूर ने भी इस मामले में कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने घटना का वीडियो शेयर करते हुए कहा, 'कुन्नमकुलम पुलिस द्वारा युवा कांग्रेस नेता सुजीत के साथ हिरासत में की गई हिंसा बेहद परेशान करने वाली है। पुलिस की धमकियों पर सवाल उठाने वाले एक नागरिक पर हमला करना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि अमानवीय भी है। ऐसे अधिकारी, जो न्याय और गरिमा के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं, उनके लिए पुलिस बल में कोई जगह नहीं है। उन्होंने सेवा में बने रहने का नैतिक अधिकार खो दिया है। मुख्यमंत्री और गृह विभाग को कार्रवाई करनी चाहिए। ऐसी क्रूरता के लिए चुप्पी ढाल नहीं बन सकती।'
पीड़ित सुजीत से बड़े नेता मिले
इससे पहले, केरल कांग्रेस के अध्यक्ष सनी जोसेफ, चलाकुडी के सांसद बेनी बेहनन और टीएन प्रतापन सहित वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने अपने कार्यकर्ता सुजीत से उनके घर जाकर मुलाकात की। सनी जोसेफ ने विजयन सरकार से आरोपी पुलिसकर्मियों को तुरंत नौकरी से बर्खास्त करने और आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की।
केरल कांग्रेस के अध्यक्ष ने कहा, 'केरल की जनता राज्य में उचित कानून-व्यवस्था चाहती है। सुजीत अकेले नहीं हैं। कांग्रेस और केरल की जनता उनके साथ है। मुख्यमंत्री और गृह विभाग आरोपियों का पक्ष ले रहे हैं और उनको बचा रहे हैं।'
CCTV footage lays bare the savage custodial torture of #YouthCongress Chovannur President Sujith by #KunnamkulamPolice. Criminals in uniform cannot be protected. They must face dismissal & prosecution. Congress will fight relentlessly until Sujith gets justice. pic.twitter.com/kpzKXmjj9a
— V D Satheesan (@vdsatheesan) September 4, 2025
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20 लाख रुपये देने की पेशकश
वहीं, सुजीत ने दावा किया कि बाद में जब पुलिस पर दबाव बढ़ने लगा तो पुलिसकर्मियों ने केस को निपटाने के लिए उन्हें 20 लाख रुपये देने की पेशकश की थी। उन्होंने कहा कि सीसीटीवी फुटेज आरटीआई अधिनियम के तहत लंबी कानूनी लड़ाई के बाद ही जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि आरोपी पुलिस वाले आरोपों का सामना करने के बावजूद सेवा में बने हुए हैं।
कांग्रेस का विरोध मार्च
इस बीच, मलप्पुरम में यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने आरोपी पुलिसकर्मियों में से एक सब इंस्पेक्टर नुहमान के घर के बाहर तक विरोध मार्च निकाला। इस दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की। मगर, यह विरोध बाद में हिंसक हो गया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के ऊपर लाठीचार्ज कर ली, जिसमें कई कांग्रेसी घायल हो गए। जब यह प्रदर्शन चल रहा था तब उस वक्त नुहमान घर पर नहीं था। एहतियातन नुहमान को फिलहाल त्रिशूर के पुलिस क्वार्टर में रखा गया है।
वीडी सतीसन ने केरल सरकार को चेतावनी दी कि अगर आरोपियों को सजा नहीं मिली तो कांग्रेस राज्यव्यापी विरोध-प्रदर्शन करेंगी। इसी दौरान सतीसन ने त्रिशूर के डीआईजी के उस दावे को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि आरोपियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई पहले ही की जा चुकी है। विपक्ष के नेता ने कहा, 'ये कदम केवल आरोपियों को बचाने के लिए था। पुलिस को मुख्यमंत्री कार्यालय का एक समूह नियंत्रित कर रहा है। डीआईजी को उनके प्रवक्ता के रूप में काम नहीं करना चाहिए।'
पूरा मामला क्या है?
खबरों के मुताबिक, दो साल पहले 2023 में सुजीत के दोस्तों के साथ कुन्नमकुलम पुलिस ने बदसलूकी की थी और सड़क किनारे खड़े होकर सभी को गालियां दी थीं। यह सब देखने के बाद सुजीत बीच-बचाव किया था। इसपर पुलिस की सुजीत के साथ कहासुनी हो गई। कहासुनी होने के बाद पुलिस ने सभी को छोड़कर सुजीत हिसारत में लेते हुए उनको जीप में बिठा लिया और पुलिस स्टेशन ले गए। पुलिस स्टेशन में चार पुलिसकर्मियों- एसआई नुहमान और सीपीओ शशिधरन, संदीप और सजीवन ने सुजीत के साथ बुरी तरह से मारपीट की थी।
सुजीत ने बताया है कि पहले पुलिसकर्मियों ने मिलकर उसे एक कमरे में पीटा और फिर बाद में दूसरे कमरे में ले जाकर वहां भी मारपीट की। पुलिस स्टेशन में मारपीट करने के बाद पुलिस ने सुजीत के खिलाफ केस दर्ज कर लिया था। सुजीत के ऊपर नशे में पुलिस पर हमला करने और सरकारी काम में बाधा डालने का आरोप लगाया गया। इसके साथ ही पुलिस ने उसके ऊपर गैर-जमानती धाराएं लगा दीं और कोर्ट में भी एक एफआईआर दर्ज की गई।
मेडिकल जांच में सच्चाई आई सामने
हालांकि, बाद में चावक्कड़ मजिस्ट्रेट कोर्ट ने मेडिकल जांच के आधार पर पाया कि उस वक्त सुजीत नशे में नहीं था। सच्चाई सामने आने के बाद कोर्ट ने उसे जमानत दे दी। कोर्ट में दाखिल सुजीत की मेडिकल रिपोर्ट से पता चला कि पुलिस की मारपीट की वजह से सुजीत की सुनने की क्षमता कम हो गई। उसके कान के पर्दों पर गहरे घाव हो गए थे।
सुजीत ने बाद में आरोपी पुलिस अधिकारियों और मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई। मगर, यहां कोई कार्रवाई नहीं हुई। फिर उसने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने सुजीत की शिकायत पर सीधे केस दर्ज कर लिया।
सुजीत ने पुलिस थाने से सीसीटीवी फुटेज मांगी लेकिन पुलिस ने शुरू में देने से बार-बार मना किया। बाद में राज्य सूचना अधिकार आयोग ने दोनों पक्षों को बुलाकर उनकी दलीलें सुनने के बाद सीसीटीवी फुटेज जारी करने का आदेश दिया। कोर्ट ने इसमें शामिल चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज करने का भी निर्देश दिया है।
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