मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में करोड़ों के कर्ज चुकाने से बचने के लिए एक व्यक्ति ने किसी फिल्म की तरह अपनी ही मौत का ड्रामा रच दिया। यह व्यक्ति कोई आम आदमी नहीं है बल्कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता महेश सोनी का बेटा विशाल सोनी है। इस मामले की जांच में जुटी पुलिस करीब दो हफ्ते तक उलझी रही लेकिन कॉल रिकॉर्ड से पुलिस ने आरोपी महेश सोनी को महाराष्ट्र के संभाजी नगर से गिरफ्तार कर लिया।
 
जब पुलिस ने उसे पकड़ लिया तो उसने फिर से पुलिस को उलझाने की कोशिश की। उसने उसने पुलिस को बरगलाने के लिए फर्डापुर थाने में अपहरण की झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने जब उससे पूछताछ की तो पहले तो विशाल अपने प्लान के अनुसार कहानी गढ़ता रहा लेकिन बाद में उसने अपना सच कबूला और पुलिस को सारी सच्चाई बता दी। उसने बताया कि 1.40 करोड़ रुपये के लोन को चुकाने से बचने के लिए अपनी मौत का नाटक रचा था। बता दें कि पुलिस को नदी में उसकी कार मिली थी, जिसके बाद से पुलिस उसकी तलाश में जुट गई थी। 
 
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10 दिनों तक जारी रही तलाश
5 सितंबर को पुलिस को सूचना मिली थी कि एक कार कालसिंध नदी में गिर गई है। इसके बाद से पुलिस, प्रशासन और एसडीआरएफ की टीम बचाव कार्य में जुट गई। बचाव दल ने कार को तो निकाल लिया लेकिन वह कार खाली थी। पुलिस को पता चला कि यह कार बीजेपी नेता महेश सोनी के बेटे विशाल सोनी की है। महेश सोनी ने प्रशासन पर लापरवाही के आरोप भी लगाए थे। बचाव दल की तीन अलग-अलग टीमों ने लगभग दो हफ्तों तक नदी में 20 किलोमीटर तक तलाश की लेकिन विशाल सोनी उन्हें नहीं मिला। 
कॉल रिकॉर्ड से हुआ खुलासा
इस मामले की जांच कर रही पुलिस अधिकारी अकांक्षा हाडा ने बताया कि जब आठ दिनों के बाद भी विशाल का कोई पता नहीं चला तो उन्हें शक होने लगा।  पुलिस ने विशाल के परिवार से पूछताछ की। पूछताछ करने पर उसके पिता महेश सोनी और भाइयों ने माना कि विशाल मरा नहीं है। वह किसी रिश्तेदार के यहां छिपा हो सकता है। पुलिस ने विशाल के मोबाइल कॉल रिकॉर्ड की जांच की तो पता चला कि वह महाराष्ट्र में है। इसके बाद पुलिस को पूरा मामला समझ आ गया। मध्य प्रदेश पुलिस ने महाराष्ट्र पुलिस की मदद से विशाल को संभाजी नगर जिले के फर्डापुर पुलिस स्टेशन इलाके से उसे गिरफ्तार कर लिया। 
 
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कर्ज चुकाने से बचने के लिए किया ड्रामा
पुलिस की टीम विशाल को गिरफ्तार कर मध्य प्रदेश ले आई। पूछताछ में विशाल ने पुलिस को बताया कि वह ट्रांसपोर्ट का बिजनेस करता है। उसके पास छह ट्रक और दो बसे हैं। बिजनेस के सिलसिले में उसने बैंक से 1.40 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज ले रखा है। उसने पुलिस को बताया कि उसे किसी ने बताया था कि अगर उसे डेथ सर्टिफिकेट मिल गया, तो बैंक उसका कर्ज माफ कर देगा।
मौत का फिल्मी ड्रामा
विशाल ने जो प्लान बनाया वह किसी फिल्म की कहानी की तरह लगता है।  उसने अपना डेथ सर्टिफिकेट बनवाने का मन बना लिया। पांच सितंबर की सुबह 5 बजे विशाल ने गोपालपुरा के पास अपने ट्रक ड्राइवर से पैसे लिए। फिर वह नदी के किनारे गया, अपनी कार की हेडलाइट बंद की। फिर उसने कार को नदी में धकेल दिया और ड्राइवर की बाइक लेकर इंदौर चला गया। अखबारों में अपनी मौत की खबरें पढ़ने के बाद उसने शिरडी और शनि शिंगनापुर में जाकर पूजा की।
 
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इस ड्रामे को 8 दिन हो चुके थे और अब तक विशाल अपने प्लान में पूरी तरह कामयाब हो रहा था लेकिन इसके बाद उसका प्लान पुलिस ने फेल कर दिया। पुलिस ने विशाल की लोकेशन ट्रेस कर ली थी। जब विशाल को पता चला कि पुलिस को उसकी लोकेशन के बारे में पता चल गया है तो उसने अपना प्लान बदला। उसने महाराष्ट्र के फर्डापुर पुलिस स्टेशन में जाकर किडनैपिंग की  झूठी रिपोर्ट दर्ज करा दी। यहां भी उसने अपना ड्रामा जारी रखा। उसने अपने कपड़े फाड़ लिए और मिट्टी से खुद को गंधा कर लिया लेकिन तब तक उसकी पोल खुल चुकी थी और पुलिस ने उसे पकड़ लिया।
 
पुलिस के अनुसार, किसी व्यक्ति को अपनी मौत का नाटक करने के लिए सजा देने का कोई सीधा संवैधानिक प्रावधान नहीं है। इसलिए विशाल को बिना केस दर्ज किए उसके परिवार को सौंप दिया।