तमिलनाडु के कोयंबटूर के एक निजी स्कूल का वीडियो इस समय खूब चर्चा का विषय बना हुआ है। यहां 8वीं क्लास की एक छात्रा को क्लास के बाहर सीढ़ियों पर बैठकर परीक्षा देने के लिए मजबूर किया गया। बताया जा रहा है कि बच्ची के पीरियड्स चल रहे थे जिसकी वजह से उसे क्लास के बाहर परीक्षा देना पड़ा। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें छात्रा अपनी मां से कहती दिख रही है कि प्रिंसिपल ने उसे बाहर बैठने के लिए कहा था। छात्रा ने यह भी बताया कि यह पहली बार नहीं है। पहले भी उसे अलग स्थान पर परीक्षा देने के लिए कहा गया था।
इस वीडियो के वायरल होने के बाद, स्कूल शिक्षा विभाग ने कार्रवाई करते हुए स्कूल की प्रिंसिपल को संस्पेंड कर दिया है। शिक्षा मंत्री अंबिल महेश पोय्यामोझी ने कहा, 'बच्चों पर किसी भी प्रकार का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।' छात्रा के माता-पिता ने स्कूल प्रशासन से अनुरोध किया था कि उनकी बेटी के लिए परीक्षा के दौरान अलग से बैठने की व्यवस्था की जाए लेकिन स्कूल ने उसे क्लास के बाहर ही बैठा दिया।
यह भी पढे़ं: बारिश बनी आफत! UP-बिहार में 60 मौत; सरकार ने 4 लाख मुआवजे का किया ऐलान
देखें वीडियो
मासिक धर्म को लेकर अब भी लोगों की रुढिवादी सोच क्यों?
कई पुरानी धार्मिक मान्यताओं में पीरियड्स को अशुद्ध माना जाता रहा है। महिलाओं को मंदिरों, रसोई, पूजा से भी दूर रखा जाता है। यह सोच सदियों से परंपरा के नाम पर पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। दरअसल, मासिक धर्म को लेकर आज भी स्कूलों और घरों में खुलकर बात नहीं की जाती है। लड़कियों को भी अक्सर इसे छिपाने, शर्माने या चुप रहने की सलाह दी जाती है। इसकी बारे में लड़कों को तो बिल्कुल भी जानकारी नहीं है। कई घरों में आज भी लड़कियों को पीरियड्स के दौरान अलग कमरे में बैठाना, खास बर्तनों में खाना, या नहाने तक से रोकना आम बात है। जो महिलाएं इस सोच से अलग जाती हैं, उन्हें अक्सर 'बेअदब' या 'धर्मविरोधी' कहकर चुप कराया जाता है।