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लापता बेटे की तलाश में जासूस बन गई मां, दो मर्डर का किया खुलासा

मां फरीदा खातून को पता चला कि उनका बेटा सोहेल जिस दिन से लापता है, उसी दिन से सोहेल का दोस्त शब्बीर भी लापता है।

Farida Khatoon son

प्रतीकात्मक तस्वीर। Photo Credit- Meta-AI

साल 2015 में ठाणे जिले के उपनगर मुंब्रा की रहने वाली फरीदा खातून का 17 साल का बेटा सोहेल कुरैशी 10 मिनट में वापस आने का वादा करके घर से निकला था। मगर, फरीदा का बेटा इसके बाद कभी नहीं लौटा, वह लापता हो गया। जवानी की दहलीज पर खड़े बेटे के लापता होने के बाद मां फरीदा का कलेजा फट उठा, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। उसने लापता बेटे का वापस लाने की कसम खाई।  

 

परेशान फरीदा शिकायत दर्ज कराने पुलिस स्टेशन पहुंची, लेकिन पुलिस में उनकी सुनवाई नहीं हुई। पुलिस ने फरीदा से हा कि उसका बेटा अन्य लड़कों की तरह अजमेर दरगाह चला गया होगा, लेकिन खातून को पता था कि कुछ गड़बड़ है। इसके बाद से ही वह खुद से ही बेटे की खोजबीन में जुट गईं। मां फरीदा ने बेटे को खोजने के लिए गली, चौराहों और इलाकों में सुरागों के लिए छानबीन शुरू कर दी। 

 

संदिग्धों से पूछताछ

 

उन्हें जिसपर शक होता था वह संदिग्धों से पूछताछ करती थीं। अंत में उन्होंने बेटे के लापता होने की गुत्थी सुलझा ली। इसके साथ फरीदा ने बेटे तलाश में एक और लापता शख्स के केस को सुलझा दिया। 38 साल की फरीदा खातून अपने पति से अलग रह रही हैं।

 

दरअसल, फरीदा ने स्थानीय पत्रकार मुबीन शेख की मदद से बेटे की तलाश और जांच शुरू की। बेटे सोहेल कुरैशी के के ज्यादातर दोस्त पास के इलाके रबाले में रहते थे। इसके बाद दोनों रबाले पुलिस स्टेशन गए। रबाले के पुलिस अधिकारियों ने फरीदा खातून से आस-पास की जेलों की जांच करने के लिए कहा।

 

अजमेर में रहने वाले रिश्तेदारों को फोन किया

 

मां फरीदा खातून ने इसके बाद अजमेर में रहने वाले अपने रिश्तेदारों को फोन किया, लेकिन बेटे का कोई सुराग नहीं मिला। उन्होंने ठाणे, कल्याण और तलोजा की जेलों में जाकर बेटे की तलाश की। इसके लिए वह कई बार जेलों के बाहर पूरे-पूरे दिन इंतजार किया करती थीं। पूरे दिन इंतजार करने के बाद वह निराश होकर वापस आ जाती थीं।

 

इसके बाद उन्होंने इलाके के बच्चों के निगरानी गृहों की कोजबीन शुरू कर दी, लेकिन यहां भी उन्हें निराशा हाथ लगी। दिन बीतने के साथ में कोई रास्ता ना देख उन्होंने मुर्दाघरों में जाकर भी बेटे की तलाश की, लेकिन यहां भी सोहेल का कोई सुराग नहीं मिला। फरीदा मुंबई के जेजे अस्पताल अस्पताल में नर्स का काम करती थीं। कुछ महीनों तक बेटे की तलाश करने के बाद उन्होंने अस्पताल में जाकर दोबारा से काम करने लगीं। काम के साथ-साथ फरीदा ने अपने लापता बेटे की तलाश जारी रखी।

 

सोहेल का दोस्त शब्बीर भी लापता था

 

इस बीच फरीदा को पता चला कि उनका बेटा सोहेल जिस दिन से लापता है, उसी दिन से सोहेल का दोस्त शब्बीर भी लापता है। इसके बाद वह शब्बीर की मां हसीना से मिलने गईं तो मामले की पुष्टि हो गई। यह खबर पता चलने के बाद फरीदा को डर सताने लगा कि दोनों बच्चों की हत्या कर दी गई है।

 

मगर, फरीदा खातून ने अपने बेटो सोहेल कुरैशी के दोस्तों से बात की और सोहेल और शब्बीर के एक कॉमन दोस्त के बारे में जानकारी हासिल की। जब वह बेटे के दोस्त से मिलीं और उससे पूछताछ की, तो उस दोस्त ने उन्हें इस मामले में दीपक वाल्मिकि उर्फ सैम और मोहम्मद चौधरी के जुड़े होने के बारे में बताया।

 

मुंबई क्राइम ब्रांच ने कमान संभाली

 

फरीदा ने ये सारी जानकारी मुंबई क्राइम ब्रांच को दी। इसके बाद क्राइम ब्रांच ने मामले को अपने हाथ में लेते हुए जांच शुरू कर दी। पुलिस की जांच में पता चला कि सोहेल कुरैशी और शब्बीर की दीपक वाल्मिकि और मोहम्मद चौधरी ने हत्या कर दी है।

 

पुलिस ने बताया कि दोनों ने पहले शब्बीर की हत्या की क्योंकि दीपक वाल्मिकि और शब्बीर की बहन के बीच संबंध था। शब्बीर को इसके बारे में मालूम था और वह इस रिश्ते का विरोध कर रहा था। पुलिस ने आगे बताया कि सोहेल कुरैशी की हत्या इसलिए हुई क्योंकि इन दोनों को शक था कि कुरैशी ने ही शब्बीर को इस रिश्ते के बारे में बताया था। पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर सोहेल और शब्बीर के शव के अवशेष को बरामद किया है। इस तरह से फरीदा खातून का बेटे की तलाश करते हुए दर्दनाक अंत हुआ।

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