मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में जहरीली कफ सिरप पीने से कई बच्चों की मौत हो गई जिसके बाद पूरे देश में इसे लेकर हड़कंप मच गया था। राज्य के हेल्थ सिस्टम पर सवाल उठ रहे थे। अब फिर से एक नया मामला सामने आ गया है। राज्य में शहडोल के जिला मेडिकल कॉलेज में पोविडोन आयोडीन सॉल्यूशन को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इस सॉल्यूशन के इस्तेमाल से लोगों के स्किन पर जलन, फफोले और लाल निशान की शिकायत आ रही है। इससे मरीजों को काफी दिक्कत हो रही है।
पोविडोन आयोडीन सॉल्यूशन ऑपरेशन से पहले इस्तेमाल किया जाने वाला सॉल्यूशन है। यह लोगों के लिए जहर साबित हो रहा है। कॉलेज प्रशासन ने तुरंत मामले की जांच शुरू कर दी है। मेडिकल कॉलेज के डीन डॉक्टर गिरीश बी. रामटेके ने बताया कि यह मामूली एलर्जी थी जिसका इलाज किया जा रहा है। किसी भी मरीज की स्थिति गंभीर नहीं है।
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डीन ने दी जानकारी
डीन ने बताया कि ऑपरेशन से मरीज के स्किन को इंफेक्शन से बचाने के लिए यह सॉल्यूशन लगाया जाता है। उन्होंने कहा, 'कुछ मरीजों को हल्का स्किन रिएक्शन हुआ था। स्किन डिपार्टमेंट में इलाज के बाद सभी को कुछ दिनों के बाद आराम मिल गया। उन्होंने बताया कि महिलाओं में यूट्रस या अन्य सर्जरी के समय ऐसी कोई समस्या नहीं आई। ज्यादातर मामले प्रसव संबंधी ऑपरेशन के समय आए जब महिलाओं की इम्यूनिटी कमजोर होती है।'
पुरानी बैच की दवा
डीन ने कहा, 'इन सभी मामलों में एक ही बैच की बोतल का उपयोग किया गया था। उस बैच को पूरी तरह से वापस ले लिया गया है और इसका इस्तेमाल बंद कर दिया गया है। मेडिसिन के इस्तेमाल से पहले जो रिपोर्ट आती है वो हमारे पास थी और रिपोर्ट ठीक-ठाक थी इसलिए हमने इसका इस्तेमाल किया था। नए बैच की रिपोर्ट आ गई है और वह ठीक है। हम इसकी रिपोर्ट बना चुके हैं। शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी।'
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मरीज के परिवार ने दी जानकारी
सत्येंद्र सेन की पत्नी डिलीवरी के लिए इस कॉलेज में एडमिट हुई थी। डिलीवरी के बाद उनकी स्थिति के बारे में पति ने बताया, 'पत्नी की पीठ में दाने पड़ गए हैं। कमर के ऊपर का हिस्सा काला पड़ गया है। उस हिस्से में हमेशा दर्द रहता है। डॉक्टरों ने पता नहीं ऐसा क्या लगा दिया है कि ये समस्या हो रही है। नर्स को बताया तो कहा कि 2-3 दिन में ठीक हो जाएगा। जब ठीक नहीं हुआ तो डॉक्टर को बताया और उन्होंने दवा लिखी है।'
राज्य के डिप्टी सीएम और हेल्थ मिनिस्टर राजेंद्र शुक्ला के प्रभाव वाला यह जिला है। ऐसे में यहां इस तरह के मामले आना पूरे प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रहा है।