कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु की पुलिस ने ओला इलेक्ट्रिक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) भाविश अग्रवाल और कंपनी के एक और सीनियर ऑफिसर सुब्रत कुमार दास के खिलाफ केस दर्ज किया है। दोनों पर ऐसा आरोप है कि उन्होंने कंपनी के एक कर्मचारी का कथित तौर पर मानसिक उत्पीड़न किया था। इससे परेशान होकर उसने सुसाइड कर लिया। पीड़ित 28 सितंबर को अपने घर में रहस्यमय परिस्थितियों में मृत पाया गया था।
कंपनी ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए मामले की जांच में पूरा सहयोग करने का भरोसा जताया है। कंपनी ने मामले में राहत के लिए कर्नाटक हाई कोर्ट का रुख किया है।
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पीड़ित के परिवार का दावा
ओला कंपनी और अधिकारियों के खिलाफ 26 अक्टूबर को बेंगलुरु के सुब्रमण्यपुरा पुलिस स्टेशन में मृतक के परिवार ने केस दर्ज कराया। शिकायत के आधार पर FIR में परिवार ने दावा किया है कि उन्हें घर से एक नोट मिला है जिसमें दोनों का नाम है। लेटर में मेंटल टॉर्चर और काम को लेकर जबरजस्ती मानसिक दबाव का जिक्र किया गया है।
मृतक ओला इलेक्ट्रिक के होमोलोगेशन इंजीनियरिंग डिवीजन में इंजीनियर के रूप में काम करते थे। उनकी मृत्यु के बाद, शुरुआत में पुलिस ने किसी गड़बड़ी की आशंका जताते हुए एक अप्राकृतिक मृत्यु रिपोर्ट (UDR) दर्ज की थी। हालांकि, बाद के घटनाक्रम ने मामले की दिशा बदल दी।
28 पन्नों का सुसाइड नोट
कुछ लोगों ने बताया कि उनकी मृत्यु के दो दिन बाद कंपनी ने उनके बैंक खाते में 17.46 लाख रुपये जमा किए थे। खाते में पैसे आने के बाद परिवार को इस संबंध में शक हुआ। मामले की पड़ताल के लिए परिवार ने कंपनी के HR डिपार्टमेंट में पूछताछ की, जिसका जवाब परिवार को सही तरीके से नहीं मिला। इसके बाद परिवार ने उनके सामानों की जांच की जिसमें परिवार को 28 पेज का सुसाइड नोट मिला।
पुलिस ने दी जानकारी
सुब्रमण्यपुरा के थाना इंजार्ज एम राजू ने बताया, 'हमें मृतक के परिवार से नोट की कॉपी मिली है, जिसके बाद हमने 6 अक्टूबर को केस दर्ज किया है।' उन्होंने आगे कहा, 'आरोपी ने हाई कोर्ट में FIR रद्द करने का अनुरोध किया है। कोर्ट में यह दावा किया गया है कि इसमें किसी भी तरह की कोई सच्चाई नहीं है। कोर्ट ने 18 अक्टूबर को हमें निर्देश दिया था कि हम आरोपियों के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई न करें। हमने आरोपियों को पहले ही नोटिस दे दिया है कि कोर्ट के निर्देंश के आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी।'
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लेटर में आरोप
लेटर में अरविंद ने लिखा था कि उन्हें वर्क प्लेस पर बहुत तनाव का सामना करना पड़ता था। वेतन और अन्य किसी तरह के फायदों से भी उन्हें दूर रखा जाता था। बार-बार सीनियर उन्हें अपमानित करते थे। लगातार टॉर्चर होना उनसे सहन नहीं हो रहा था जिसके चलते वह अपनी जान दे रहे हैं।
पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और आने वाले दिनों में कंपनी के अधिकारियों से पूछताछ की उम्मीद है। एफआईआर में आत्महत्या के लिए उकसाने और मानसिक उत्पीड़न से संबंधित धाराएं जोड़ी गई हैं।
इस बीच ओला इलेक्ट्रिक ने एक बयान जारी कर अपने कर्मचारी की मौत पर दुख जताया है। कंपनी ने कहा, 'हम अरविंद की मौत पर गहरा दुख जताते हैं। इस समय में परिवार के साथ हमारी संवेदनाएं हैं। वह साढ़े तीन साल से ओला इलेक्ट्रिक से जुड़े थे और बेंगलुरु में हमारे मुख्यालय में काम करते थे। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने किसी भी तरह के टॉर्चर के बारे में शिकायत नहीं की थी। उनकी भूमिका में कंपनी के सीनियर से कोई भी संपर्क नहीं किया था।'
ओला ने बताया कि उसने कोर्ट में राहत के लिए अपील की है। कंपनी ने कहा कि परिवार को उनके बैंक खाते में फाइनल पेमेंट तुरंत एकाउंट में ट्रासंफर कर दिया है। ओला इलेक्ट्रिक के अधिकारी उनके साथ चल रहे जांच में पूरा सहयोग कर रही है।