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बाढ़ के बीच पंजाब के किसानों को मिली खेत में रेत खनन कराने की अनुमति

पंजाब में सरकार इस दिशा में तैयारी कर रही है कि बाढ़ की वजह से किसानों के खेतों में बालू आ गया है उसका खनन करके वे खुले बाजार में बेच सकें।

Bhagwant Mann । Photo Credit: PTI

भगवंत मान । Photo Credit: PTI

पंजाब में आई बाढ़ में पंजाब के किसानों का काफी नुकसान हुआ है, ऐसे में पंजाब सरकार ने किसानों को न सिर्फ प्रति एकड़ 20 हजार रुपये मुआवजा देने के लिए कहा है बल्कि किसानों के खेत में जमी रेत का भी खनन करने की भी अनुमति दे दी है। आम आदमी पार्टी के पंजाब के प्रभारी मनीष सिसोदिया ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि पंजाब के किसानों को बाढ़ के जरिए खेत में आई रेत का खनन करने की अनुमति होगी।

 

यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब रावी,ब्यास और सतलुज जैसी नदियों से लाखों एकड़ जमीन पर ढेर सारी रेत आ गई है खासकर तब जब वे पहले से ही बाढ की वजह से काफी नुकसान का सामना कर रहे हैं। इसके पहले जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रदेश का दौरा करने वाले हैं, उसके पहले कैबिनेट मीटिंग की गई।

 

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फसलें हुईं बर्बाद

मनीष सिसोदिया ने कहा, 'किसानों की न सिर्फ खरीफ की फसल खराब हो गई बल्कि अत्यधिक बालू के डिपॉजिट की वजह से उन्हें फसल पाना भी उनके लिए असंभव हो गया है।' आंकड़ों के मुताबिक बाढ़ के कारण धान,मक्का, गन्ने इत्यादि की करीब साढ़े चार लाख एकड़ जमीन बर्बाद हो गई है।


सिसोदिया ने कहा कि जब उन्होंने तरन तारन और गुरदासपुर के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया तो किसानों ने उन्हें बताया कि अगर बालू को नहीं हटाया गया तो उन्हें काफी नुकसान होगा। उन्होंने कहा, 'जब यह बात मुख्यमंत्री की जानकारी में आई तो उन्होंने कहा कि इसके लिए तुरंत नीतियों में बदलाव करना होगा ताकि वे अपने खेतों से बालू को निकालकर बेच सकें।'

पहले भी बनी थीं नीतियां

बता दें कि इससे पहले अप्रैल में कैबिनेट ने इसी तरह की पॉलिसी की घोषणा की थी जिसमें माइनिंग साइट को चिह्नित करके मालिकों को खनन का अधिकार देना था। इस पॉलिसी के तहत खेत के मालिकों बालू को खुले बाजार में बेचने का अधिकार देना था। इसके तहत खेत के मालिकों को अप्लाई करना था और बाद में अनुमति मिलने के बाद उसे खुले मार्केट में सरकारी रेट पर बेचना था।

 

इससे पहले, कई माइनिंग साइट जमीन मालिकों की सहमति के अभाव में बंद पड़े थे, क्योंकि वे अज्ञात लोगों को अपनी ज़मीन पर खनन करने की अनुमति देने के लिए तैयार नहीं थे। एलएमएस की शुरुआत का उद्देश् माइनिंग साइट्स की संख्या को बढ़ाना था, जिससे बाज़ार में पैसे की आपूर्ति और राज्य के राजस्व में वृद्धि होगी। यह कदम खनन क्षेत्र में एकाधिकार को रोकने के लिए भी उठाया गया था।

 

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डिप्टी कमिश्नर को अधिकार

इसके अतिरिक्त, डिप्टी कमिश्नर को सरकारी और पंचायती ज़मीनों के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी करने का अधिकार दिया गया, क्योंकि वे इन ज़मीनों के संरक्षक हैं। यह बदलाव प्रक्रिया को बेहतर बनाने और  सरकारी ज़मीनों पर माइनिंग साइट्स के संचालन में तेज़ी लाने के लिए किया गया था। मंज़ूरी की आवश्यकता नहीं होगी।'

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