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50 लाख तक फाइन और उम्रकैद; राजस्थान में धर्मांतरण पर कितनी सजा होगी?

राजस्थान की भजनलाल शर्मा की सरकार ने जबरन धर्मांतरण पर नकेल कसने के मकसद से एक नया बिल पास किया है। इस बिल में जबरन धर्मांतरण पर सख्त सजा का प्रावधान किया गया है।

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राजस्थान के सीएम भजन लाल शर्मा। (Photo Credit: X@BhajanlalBjp)

राजस्थान विधानसभा ने मंगलवार को जबरन धर्मांतरण पर रोक लगाने वाला बिल पास कर दिया। इस बिल को 3 सितंबर को विधानसभा में पेश किया गया था। विपक्षी कांग्रेस ने इसे लेकर खूब हंगामा किया। आखिरकार यह बिल बिना चर्चा के ही पास हो गया। इस बिल में धर्मांतरण पर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान किया गया है। 


राजस्थान में धर्मांतरण रोकने के लिए पहले से ही कानून था। इसे अब और सख्त कर दिया गया है। नए बिल में अपनी मर्जी से धर्मांतरण करवाने वालों के लिए सख्ती की गई है, जबकि 'वापस लौटने' वालों को इससे छूट दी गई है।


गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेधम ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 25 धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है लेकिन यह डरा-धमकाकर, लालच देकर या धोखाधड़ी से धर्मांतरण की इजाजत नहीं देता। 

 

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क्यों लाया गया यह बिल?

संवैधानिक प्रावधानों और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए जवाहर सिंह बेधम ने कहा कि जबरन धर्मांतरण गैरकानूनी है और सामाजिक सद्भाव और राष्ट्रीय पहचान के लिए खतरा है। उन्होंने दावा किया कि धर्मांतरण में शामिल लोग अक्सर अनुसूचित जातियों, जनजातियों, गरीबों और महिलाओं को निशाना बनाते हैं।


उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, कर्नाटक, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्यों में इस तरह के कानून बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान ने भी 2008 में ऐसा ही एक कानून बनाया था और अब भजनलाल शर्मा की सरकार ने गैरकानूनी धर्मांतरण को रोकने के लिए कड़े प्रावधान किए हैं।

 

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कितने सख्त हैं प्रावधान?

  • धर्मांतरण करवाने पर: अगर कोई व्यक्ति किसी का भी धोखे से धर्मांतरण करवाता है तो दोषी पाए जाने पर 7 से 14 साल की जेल की सजा का प्रावधान है। 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगेगा।
  • नाबालिग- SC/ST के मामलों में: अगर कोई व्यक्ति नाबालिग, महिला, अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) या दिव्यांग का धर्मांतरण करवाने का दोषी पाया जाता है तो उसे 10 से 20 साल की जेल और 10 लाख रुपये तक के जुर्माना लिया जाएगा।
  • सामूहिक धर्म परिवर्तन: अगर कोई व्यक्ति धोखाधड़ी से सामूहिक धर्मांतरण करवाता है तो दोषी पाए जाने पर 20 साल से उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। 25 लाख तक के जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है।
  • धर्म छिपाकर शादी: डरा-धमकाकर या झांसे में रखकर शादी करने के बाद धर्मांतरण करवाने पर 20 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान किया गया है। ऐसे मामलों में 30 लाख तक का जुर्माना लगेगा।
  • बार-बार करवाने पर: अगर कोई व्यक्ति जबरन धर्मांतरण करने के अपराध में बार-बार शामिल होता है तो दोषी पाए जाने पर 20 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। इसमें 50 लाख तक का जुर्माना प्रस्तावित है।

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कोई मर्जी से धर्म परिवर्तन करवाना चाहे तो?

बिल में प्रावधान है कि अगर धर्म परिवर्तन के मकसद से शादी करता है तो उस शादी को कोर्ट से शून्य घोषित किया जा सकेगा। नए बिल में बर्डन ऑफ प्रूफ आरोपी पर है। यानी उसे साबित करना होगा कि उस पर जो आरोप लगे हैं, वह झूठे हैं। 


ऐसे में सवाल उठता है कि अगर कोई अपनी मर्जी से धर्म बदलना चाहता है तो क्या करना होगा? अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन करवा सकते हैं लेकिन इसकी प्रक्रिया को पहले से थोड़ा सख्त कर दिया है। मर्जी से धर्म बदलने के लिए 90 दिन पहले डीएम के पास डिक्लेरेशन जमा करना होगा। अगर ऐसा नहीं किया तो 7 से 10 साल की कैद और 3 लाख तक के जुर्माने की सजा का प्रावधान है। पुराने कानून में 60 दिन पहले बताना होता था।


इसके बाद धर्म परिवर्तन करवाने वाले व्यक्ति को डीएम या एडीएम को दो महीने पहले बताना होगा। उल्लंघन करने पर 10 से 14 साल की जेल और 5 लाख तक के जुर्माने की सजा का प्रावधान है।


डीएम, डीएम ऑफिस या तहसीलदार धर्म परिवर्तन करने वाले प्रस्ताव का पब्लिक नोटिस जारी करेंगे। अगर कोई आपत्ति आती है तो इसकी जांच की जाएगी।


अगर धर्म बदलने के बाद डिक्लेरेशन किया जाता है तो व्यक्ति को 72 घंटों के भीतर फॉर्म भरना होगा। पहले यह सीमा 60 दिन की थी। इस फॉर्म में व्यक्ति को अपना आईडी कार्ड, आधार और जरूरी डिटेल्स भरनी होंगी। डिक्लेरेशन के बाद 10 दिन के भीतर व्यक्ति को डीएम के सामने पेश होना होगा। इतना ही नहीं, व्यक्ति की सारी जानकारी को पब्लिक नोटिस बोर्ड पर लगाया जाएगा और आपत्ति आने पर जांच की जाएगी।

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