उत्तर प्रदेश के संभल जिले में मतदाता सूची के स्पेशल इंटेसिव रिवीज़न (SIR) के दौरान एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। असमोली थाना क्षेत्र के बिलालपत गांव में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मतदाता पहचान पत्र बनवाने का मामला उजागर हुआ है। जांच में 48 लोगों को दोषी पाया गया, जिन्होंने कथित तौर पर बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) को गुमराह कर फर्जी आधार कार्ड और अन्य जाली दस्तावेज सौंपकर वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाए थे।
यह मामला तब प्रकाश में आया जब जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पेंसिया गांव में SIR कार्यों का निरीक्षण करने पहुंचे। निरीक्षण के दौरान गांव निवासियों मोहम्मद कमर और मोहम्मद फारूक ने फर्जी मतदाताओं के शामिल होने की शिकायत की। शिकायत पर तुरंत कार्रवाई करते हुए डीएम ने एक जांच समिति गठित की। समिति की रिपोर्ट (आख्या संख्या-228/शि.लि.) में पुष्टि हुई कि कई व्यक्तियों ने फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेकर वोटर आईडी बनवाई। रिपोर्ट के आधार पर हल्का लेखपाल गुन्नू बाबू की तहरीर पर असमोली थाने में 48 आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई।
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क्या बोले एसपी
पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार बिश्नोई ने बताया, ‘बिलालपत गांव में 48 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने झूठे डेटा प्रदान कर वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने की कोशिश की। कुछ ने दो-दो आधार कार्ड और पैन कार्ड बनवाए थे। संबंधित धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है।’ मुकदमा भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धोखाधड़ी व जालसाजी संबंधी गंभीर धाराओं तथा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 31 के तहत दर्ज हुआ है।
हुआ था फर्जीवाड़ा
जांच में यह भी सामने आया कि BLO की मिलीभगत से यह फर्जीवाड़ा हुआ, जिसके चलते जिलाधिकारी ने बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) को संबंधित BLO के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। अधिकारियों का कहना है कि आधार कार्ड के दुरुपयोग की गहरी आशंका है और इस नेटवर्क में और नाम शामिल होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
होने वाले हैं चुनाव
यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब देश भर में SIR प्रक्रिया को लेकर चर्चा चल रही है। उत्तर प्रदेश में आगामी पंचायत चुनावों से पहले मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए यह अभियान चल रहा है। प्रशासन ने स्पष्ट किया कि पूरे जिले में मतदाता सूची की सघन जांच जारी रहेगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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इलाके में इस खुलासे से हड़कंप मच गया है। स्थानीय लोग इसे लोकतंत्र की प्रक्रिया पर हमला बता रहे हैं, जबकि प्रशासन इसे SIR की सफलता मान रहा है। मामले की उच्च स्तरीय जांच जारी है और आगे और खुलासे होने की उम्मीद है।