संजय सिंह, पटनाः आरजेडी के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने गृह मंत्री सम्राट चौधरी की प्रशंसा की है। इसको लेकर आरजेडी में बबाल मच गया है। तेजस्वी और सम्राट के बीच कई बार विधानसभा में जोरदार बहस हो चुकी है। दोनों के बीच राजनीतिक रिश्ते बेहतर नहीं हैं।
इसके पहले भी तिवारी तेजस्वी यादव की विदेश यात्रा को लेकर कटाक्ष कर चुके हैं। राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि शिवानंद या तो राष्ट्रीय जनता दल से निकाले जाएंगे, या फिर किसी दूसरे दल का दामन थामेंगे विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर शिवानंद तेजस्वी से नाराज हैं।
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तिवारी ने क्यों की तारीफ
अपने एक्स हैंडल पर तिवारी ने लिखा है कि प्रदेश के गृह मंत्री सम्राट चौधरी बिहार में अपराध नियंत्रण के लिए बेहतर काम कर रहे हैं। कानून व्यवस्था में सुधार के लिए उन्होंने जरूरी कदम उठाया है। वे कर्मठ और जुझारू नेता हैं। कानून व्यवस्था में सुधार का असर भी दिखने लगा है। पुलिस के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत हुई। ऐसे में उनसे अनुरोध है कि पूर्व गृह मंत्री रामानंद तिवारी के नाम पर गृह विभाग कोई ऐसी योजना की शुरुआत करे, ताकि लोग उनके नामों को याद रखें। मालूम हो कि पूर्व गृह मंत्री रामानंद तिवारी शिवानंद तिवारी के पिता थे।
कौन थे रामानंद तिवारी
रामानंद तिवारी की गिनती भोजपुर के महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानियों में की जाती है। उनका प्रारंभिक जीवन संघर्ष में बीता। ब्रिटिश हुकूमत में ही उन्होंने सिपाही की नौकरी ज्वाइन की। सिपाहियों को संगठित कर उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों पर गोली चलाने से इंकार कर दिया। इस कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा। जेल से छूटने के बाद वे समाजवाद की राजनीति से जुड़ गए। सोशलिस्ट पार्टी ने 1952 में शाहपुर विधानसभा से चुनाव लड़ने का मौका दिया।
वे लगातार चुनाव जीतते रहे। पूर्व मुख्यमंत्री महामाया प्रसाद सिन्हा और कर्पूरी ठाकुर के शासनकाल में उन्हें गृह मंत्री बनने का मौका दिया। 1972 में वे चुनाव हार गए, लेकिन 1977 में जनता दल ने उन्हें बक्सर लोकसभा से टिकट दिया। वे बक्सर के सांसद बन गए। तब तक अपने पिता के राजनीतिक विरासत को बढ़ाने के लिए शिवानंद तिवारी भी राजनीति में आए। वे कई महत्वपूर्ण राजनीतिक पदों पर रहे, लेकिन अपने पिता के लिए वे कुछ नहीं कर पाए।
आरजेडी में नही मिल रहा महत्व
जब तक आरजेडी की कमान सीधे तौर पर लालू यादव के हाथ थी, तब तक शिवानंद तिवारी का महत्व आरजेडी में बना रहा। तेजस्वी यादव के कमान संभालते ही उनकी उपेक्षा शुरू हो गई। उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से हटाया गया। तेजस्वी ने ब्राह्मण चेहरे के रूप में मनोज झा को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया। विधानसभा के टिकट बंटवारे के दौरान भी शिवानंद तिवारी को दूर रखा गया।
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अपने घटते महत्व के कारण शिवानंद तिवारी तेजस्वी से नाराज रहते हैं। राजनीतिक हलके में चर्चा है कि शिवानंद तिवारी कुछ वर्ष पूर्व आरजेडी छोड़कर जेडीयू में गए थे। जेडीयू ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य बनाया था, लेकिन दूसरी बार उन्हें राज्यसभा नहीं भेजा गया। उससे नाराज होकर जेडीयू छोड़ आरजेडी में आ गए अब चर्चा यह है कि वह गृह मंत्री सम्राट चौधरी के जरिए बीजेपी का दामन थामेंगे।