उत्तर प्रदेश सरकार में अब आधार कार्ड को जन्म प्रमाण पत्र या जन्म तारीख के सबूत के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। योजना विभाग ने सभी सरकारी विभागों को इसके निर्देश जारी कर दिए हैं। विभाग का कहना है कि आधार कार्ड के साथ कोई जन्म प्रमाण पत्र संलग्न नहीं होता, इसलिए इसे जन्म तिथि का वैध दस्तावेज नहीं माना जा सकता। यह आदेश योजना विभाग के विशेष सचिव अमित सिंह बंसल ने जारी किया है।
पहले स्कॉलरशिप, सरकारी योजनाओं और नौकरियों के लिए जन्म प्रमाण पत्र के तौर पर आधार कार्ड को स्वीकृत कर लिया जाता है लेकिन अब नहीं माना जाएगा। अब वहां आधार कार्ड काम नहीं आएगा। इसके लिए अलग से जन्म प्रमाण पत्र दिखाना जरूरी होगा। यूपी और महाराष्ट्र में अब लोग अब बर्थ सर्टिफिकेट बनवाने के लिए अपने आधार कार्ड का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे क्योंकि उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में अब इस डॉक्यूमेंट को जन्म के सबूत के तौर पर नहीं माना जाएगा।
यूपी में योजना आयोग और महाराष्ट्र में राजस्व विभाग ने शुक्रवार को ऑर्डर जारी करके साफ किया कि आधार कार्ड सिर्फ पहचान के डॉक्यूमेंट के तौर पर वैलिड होंगे, जन्म के सबूत के तौर पर नहीं। उत्तर प्रदेश योजना आयोग ने कहा कि वह आधार कार्ड को बर्थ सर्टिफिकेट या जन्म की तारीख के सबूत के तौर पर नहीं मानेगा।
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यूपी सरकार ने इस फैसले पर क्या कहा है?
उत्तर प्रदेश के डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, 'इससे फ्रॉड रुकेगा। सबसे जरूरी बात यह है कि अपने बेटे को MLA बनाने के लिए आजम खान जैसे लोग पैन कार्ड बदलवाकर उसकी उम्र कम करवाते हैं, इससे एक मैसेज जाता है। यह एक अच्छा फैसला है, और सभी को इसका स्वागत करना चाहिए।'
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विपक्ष के विरोध पर अखिलेश यादव ने क्या कहा?
केशव प्रसाद मौर्य, डिप्टी सीएम:-
समाजवादी पार्टी, अखिलेश यादव और सैफई परिवार का पॉलिटिकल भविष्य अंधेरे में है। इसलिए, अपनी फ्रस्ट्रेशन में वे बिहार गए और भाषण देकर कहा कि उन्होंने अवध जीत लिया है और मगध में उन्हें हरा देंगे। जब उन्होंने वहां ऐसे भाषण दिए तो सीता मां ने उन्हें सबक सिखाया कि उन्हें न केवल मगध में हार का सामना करना पड़ा, बल्कि जहां भी वे प्रचार करने गए, वहां भी हार का सामना करना पड़ा। अब, वे 2027 में अवध और उत्तर प्रदेश भी बुरी तरह हारेंगे।
क्या यह आदेश SIR से जुड़ा है?
यह साफ नहीं है कि ऑर्डर वोटर लिस्ट के चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) से जुड़े हैं या नहीं, लेकिन दोनों राज्यों में SIR चल रहा है। चुनाव आयोग से विपक्ष ने सवाल भी किया है कि अगर आधार किसी काम का नहीं है तो फिर इसकी जरूरत क्यों है। चुनाव आयोग ने बिहार में SIR की प्रक्रिया के दौरान कहा था कि यह नागरिकता साबित करने का वैध दस्तावेज नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के सुझाव पर, पोल पैनल ने इसे शामिल किया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद इसका इस्तेमाल सिर्फ पहचान के सबूत के तौर पर किया गया था। दूसरे राज्यों में SIR को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। राज्य सरकारें भी आधार कार्ड को आइडेंटिटी कार्ड के तौर पर देख रहीं हैं।