गोवा से महाराष्ट्र के पुणे जा रही स्पाइसजेट की फ्लाइट में व्यापारी अभिजीत भोसले के साथ ऐसा कुछ हुआ जिससे वह सीधे अस्पताल पहुंच गए। फ्लाइट में अभिजीत को कोल्ड ड्रिंक में किसी धातु का टुकड़ा मिला जिसे पीने के बाद उनको गले में इंफेक्शन और पेट दर्द की समस्या हो गई। इसके बाद इनके इलाज के लिए फ्लाइट की इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी।
अभिजीत ने बताया कि कोल्ड ड्रिंक पीने के बाद से उनको गले में दर्द होने लगा था। अभिजीत ने कहा, 'एक दो बार पीने के बाद ही तकलीफ बढ़ने लगी। पेट और गले में दर्द होने लगा। दर्द इतना ज्यादा था कि इसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था।' अभिजीत ने बताया कि उनके साथ ट्रैवल कर रहे महेश गुप्ता और राज कुमार अग्रवाल ने समय रहते उनकी बहुत मदद की।
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महेश गुप्ता ने बताया कि उन लोगों ने पूरे खाने की पड़ताल की। जांच में इन लोगों को कोल्ड ड्रिंक में कुछ धातु के टुकड़े मिले जो फ्लाइट के स्टाफ के सामने ही खाली करके दिखाया। महेश ने आगे बताया, 'हम कैन को अपने साथ सबूत के तौर पर रखना चाहते थे पर केबिन क्रू के लोगों ने हमसे कैन ले लिया।' स्टाफ ने हमसे कहा, 'यह फ्लाइट की संपत्ति है, इसे बाहर लेकर नहीं जा सकते।'
पूरा मामला
गोवा से पुणे जा रही स्पाइसजेट की फ्लाइट 9सी (एसजी-1080) ने करीब 7 बजे गोवा एयरपोर्ट से उड़ान भरी। उड़ान भरने के 15- 20 मिनट के बाद सभी को खाने के लिए नाश्ता दिया जाने लगा। अभिजीत ने अपने लिए मखाना और कोल्ड ड्रिंक ऑर्डर किया। कोल्ड ड्रिंक पीने के बाद ही अभिजीत ने गले में दर्द की शिकायत की थी। इस घटना की शिकायत के बाद फ्लाइट को करीब 7:50 बजे इमरजेंसी लैडिंग करनी पड़ी। एयरलाइन ने एम्बुलेंस का इंतजाम करके अभिजीत को पुणे स्टेशन के पास के रूबी हॉल क्लीनिक में भर्ती कराया।
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अभिजीत करीब 3 घंटे अस्पताल में भर्ती रहे। जहां उनका एक्स-रे और संबंधित टेस्ट कराया गया है। डॉक्टर ने कुछ दिनों बाद फिर से अभिजीत को मिलने के लिए बुलाया है। अभिजीत के दोस्त महेश गुप्ता ने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए बयान में ये सारी बातें बताई हैं।
स्पाइसजेट का बयान
स्पाइसजेट एयरलाइन ने जारी बयान में कहा गया है कि यात्री की शिकायत के बाद जल्द ही उन्हें मेडिकल सुविधाएं मुहैया कराई गईं। अस्पताल में हुई जांच में किसी भी तरह का टुकड़ा नहीं मिला है। जांच का खर्च पूरी तरह से एयरलाइन की ओर से दिया गया है। कैन रखने पर एयरलाइन ने सफाई दी है कि तय नियमों के हिसाब से जांच के लिए इसे संबंधित वेंडर को भेजा जाना है।