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कैदियों को भगाने का प्लान बनाया, खुद जेल पहुंच गए पुलिसकर्मी

गाजियाबाद में दो पुलिसकर्मियों ने कैदियों को जेल से भगाने की साजिश रची, लेकिन अधिकारियों की सतर्कता से उनका प्लान फेल हो गया।

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प्रतीकात्मक तस्वीर, AI Generated Image

पुलिस हमारी सुरक्षा के लिए तैनात रहती है। जब भी कोई अपराध होता है तो पुलिस अलर्ट हो जाती है और अपराधी को पकड़ लेती है। अपराधियों से समाज को बचाने के लिए उन्हें जेल में डाला जाता है। लेकिन, तब क्या हो जब पुलिस आरोपियों को जेल में डालने की जगह उन्हें जेल से भगाने लगे। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से कुछ ऐसी ही घटना सामने आई है। यहां दो पुलिसकर्मियों ने दो कैदियों को भागने में पूरी मदद की। दोनों कॉन्स्टेबल ने तो पूरा प्लान तैयार कर लिया था लेकिन अधिकारियों की समझदारी से वे नाकाम रहे।

 

अधिकारियों के अनुसार दोनों ही कॉन्स्टेबल डासना जेल पहुंचे और कैदियों को कोर्ट ले जाने वाले स्टाफ के रूप में गए। जब संदेह हुआ तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। दोनों ही कॉन्स्टेबल को निलंबित कर दिया गया है। पुलिस ने बताया कि गाजियाबाद पुलिस लाइन थाने में तैनात कॉन्स्टेबल सचिन कुमार और राहुल कुमार 4 अक्टूबर दोपहर करीब 12 बजे डासना जेल पहुंचे। अपनी दिल्ली की रजिस्टर्ड सफेद हैचबैक कार से परिसर में दाखिल हुए। अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि दोनों वर्दी में पेशी वारंट के साथ आए थे। 

 

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इस वारंट में दावा किया गया था कि उन्हें कैदी को अदालती सुनवाई के लिए नोएडा ले जाने के लिए भेजा गया है। यह भी बताया गया कि जेल में जाने से पहले दोनों ने केवल दो कैदियों- बिजेंद्र और वंश को ले जाने पर जोर दिया, जबकि वारंट में उस दिन पेशी के लिए 6 कैदियों की लिस्ट थी।

 

केवल दो कैदियों को ले जाने पर जोर

पुलिस ने बताया कि जब उन्हें यह बोला गया कि सभी 6 को एक साथ ही भेजा जाएगा, तो दोनों केवल दो को ही ले जाने पर अड़े रहे। अधिकारियों ने बताया कि जब जांच तुरंत की गई तो पता चला कि उस दिन गौतम बुद्ध नगर में कैदियों की पेशी के लिए गाजियाबाद पुलिस लाइन से कोई सरकारी गाड़ी या स्टाफ को स्वीकृत नहीं किया गया था। कवि नगर के एसीपी भास्कर वर्मा ने बताया, 'उस दिन वे खुद ड्यूटी पर नहीं थे। उनके साथ कोई सब-इंस्पेक्टर भी नहीं था। जबकि हमारा होना अदालती सुनवाई के लिए कैदियों को ले जाने के लिए जरूरी होता है।'

 

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किसी गड़बड़ी का शक होने पर जिला जेल इंचार्ज ने तुरंत अपने सीनियर अधिकारी को इसके बारे में बताया। जिसके बाद यह सामने आया कि कॉन्स्टेबल को ऐसी कोई ड्यूटी नहीं सौंपी गई थी। यह दोनों ही निलंबित कांस्टेबल पैसों के लिए कैदियों को भगाने में मदद कर रहे थे।

 

पुलिस ने बताया कि पूरी साजिश वंश ने रची थी। वंश बिसरख का रहने वाला है और कई महीनों से जेल से भागने का प्लान बना रहा था। इसे नोएडा और गाजियाबाद में चोरी से लेकर हत्या के प्रयास के मामलों में गिरफ्तार किया गया है। वहीं, बिजेंद्र धोखाधड़ी के एक मामले में जेल में बंद है।

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