उत्तर प्रदेश सरकार ने पावन नगरी अयोध्या में आयोजित दीपोत्सव में इस बार दो विश्व रिकॉर्ड बनाए हैं। पहला विश्व रिकॉर्ड एक साथ 26.17 लाख दीये जलाकर और दूसरा 2,128 लोगों ने आरती करके बनाया है। यूपी सरकार ने बताया कि गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के प्रतिनिधियों ने ड्रोन का इस्तेमाल करके दीयों की गिनती की। इसके बाद विश्व रिकॉर्ड की घोषणा की गई। यूपी के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह और प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने सीएम योगी आदित्यनाथ को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड का प्रमाण पत्र सौंपा।
अयोध्या में रविवार को एक विशाल शोभायात्रा का आयोजन भी हुआ। इसमें कुल 22 झांकियां शामिल थीं। कार्यक्रम का आयोजन अयोध्या विकास प्राधिकरण, सूचना विभाग और पर्यटन एवं संस्कृति विभाग ने किया। इस अवसर पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने सरयू नदी पर आरती भी की। शोभा यात्रा की झांकियों में रामचरित मानस के बालकांड, अयोध्याकांड, अरण्यकांड, किष्किंधाकांड, सुंदरकांड, लंकाकांड और उत्तरकांड के जरिये भगवान श्रीराम की यात्रा को दिखाया गया।
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सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, 'दिव्य एवं भव्य 'दीपोत्सव-2025' के पावन अवसर पर आज धर्मधरा श्री अयोध्या धाम में मां सरयू की आरती का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मां सरयू समस्त जनमानस के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि एवं कल्याण का मार्ग प्रशस्त करें, यही प्रार्थना है। जय मां सरयू!'
- पहला रिकॉर्ड: यूपी सरकार ने रविवार को अयोध्या में दीपोत्सव का आयोजन किया। इसमें मिट्टी के 26,17,215 दीयों को एकसाथ जगमग किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन यूपी पर्यटन विभाग, अयोध्या प्रशासन और राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय ने किया। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के प्रतिनिधि मौके पर मौजूद रहे। ड्रोन की मदद से वीडियो फुटेज तैयार की गई। दीपों की गणना के बाद विश्व रिकॉर्ड का ऐलान किया गया।
- दूसरा रिकॉर्ड: यह रिकॉर्ड एक साथ सबसे ज्यादा लोगों द्वारा आरती करके बनाया गया। सरयू नदी किनारे 2,128 लोगों ने एक साथ महा आरती की। कार्यक्रम का आयोजन पर्यटन विभाग, जिला प्रशासन और सरयू आरती समिति ने किया था।
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भारत की आस्था की राजधानी होगी अयोध्या: योगी
दीपोत्सव पर सीएम योगी ने कहा कि आज लाखों-लाख दीप श्री अयोध्या धाम में प्रज्वलित होते हैं, जो हर भारतवासी के संकल्प के प्रतीक बनते हैं, यह केवल दीप नहीं हैं, 500 वर्षों के अंधकार पर आस्था की विजय के प्रतीक भी हैं। जब श्री रामलला अपने स्वयं के भव्य मंदिर में विराजमान हुए हैं तब कोई भी ऐसा देश या दुनिया का सनातन धर्मावलंबी नहीं होगा, जिसका मन गौरव के साथ आनंदित न हुआ हो, हमारे पूर्वजों का संकल्प पूरा हुआ। श्री अयोध्या जी अब दुनिया की आध्यात्मिक राजधानी और भारत की आस्था की राजधानी के रूप में भी स्थापित होंगी।