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बैंक अकाउंट में हुए लेन-देन पर हुआ शक, साइबर क्राइम का शिकार होने से बचा बुजुर्ग

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में बैंक कर्मचारियों और साइबर क्राइम विंग की मदद से एक रिटायर्ड बैंक कर्मचारी को साइबर ठगी का शिकार होने से बचा लिया गया।

CYBER CRIME

सांकेतिक तस्वीर, Photo Credit: Freepik

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डिजिटल युग के इस दौर में साइबर क्राइम का शिकार हजारों लोग हो रहे हैं। साइबर ठग करोड़ों रुपये लोगों से ठग रहे हैं। लोगों को पता भी नहीं चलता और ठग उनके अकाउंट खाली कर देते हैं। साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों पर कई लोग चिंता जता चुके हैं। इस बढ़ते खतरे से बचने के लिए लोगों को जागरूक होना होगा। जागरूकरता से साइबर क्राइम के मामलों को कम किया जा सकता है। ऐसा ही एक मामला पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से सामने आया है, जहां एक पब्लिक सेक्टर बैंक और साइबर क्राइम विंग के कर्मचारियों ने ऑलाइन निवेश धोखाधड़ी को रोक दिया। 

 

साइबर अपराधी एक रिटायर्ड बैंक कर्मचारी को एक फर्जी ट्रेडिंग प्लान में 16.6 लाख रुपये का निवेश करने के लिए कह रहे थे। इससे पहले पिछले कुछ हफ्तों में वह 26 लाख रुपये का निवेश कर चुके थे लेकिन उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि उनके साथ धोखाधड़ी हो रही है। इसके बाद बैंक को एक ग्राहक के खाते मं संदिग्ध लेने देन का पता चला और बैंक ने साइबर क्राइम विंग को इसकी सूचना दी। 

 

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साइबर क्राइम विंग ने की कार्रवाई

संदिग्ध लेन-देन की सूचना मिलने के बाद साइबर क्राइम विंग ने इस मामले में कार्रवाई की। 22 दिसंबर को बंगाल की साइबर क्राइम विंग को इस मामले की जानकारी मिली थी और इसके बाद साइबर क्राइम विंग ने कोलकाता में ही रहने वाले पीड़ित से संपर्क किया। अधिकारियों ने पीड़ित को चेतावनी दी की यह फर्जी निवेश है और वह अब कोई ट्रांजेक्शन ना करें। पुलिस ने कहा कि समय पर सूचना मिलने से पीड़ित व्यक्ति को निवेश करने से रोक दिया और 16 लाख से ज्यादा की धोखाधड़ी बचा ली। 

करीब 26 लाख की ठगी

पुलिस ने बताया कि साइबर क्राइम विंग को सूचना मिलने से पहले पीड़ित व्यक्ति ने करीब 26 लाख रुपये का निवेश कर दिया था। ऑनलाइन निवेश के इस जाल में फंसने के बाद पीड़ित ने लाखों गंवा दिए और अभी भी साइबर अपराधी उसे निवेश करने के लिए कह रहे थे। साइबर क्राइम विंग के अधिकारियों ने उस व्यक्ति को साइबक क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर पोन कर इस मामले में शिकायत दर्ज करवाने के लिए कहा। अधिकारियों ने कहा कि शिकायत दर्ज होने के बाद मामले की तेजी से जांच हो पाएगी और ठगों का पता लगाया जा सकेगा।

सोशल मीडिया के जरिए बहकाया

पुलिस ने बताया कि पीड़ित को सोशल मीडिया के तहत निशाना बनाया गया। पीड़ित ने इंस्टाग्राम के जरिए एक व्हाट्सऐप ग्रुप ज्वाइन किया। यह ग्रुप ट्रेडिंग से जुड़ा था। इस ग्रुप के माध्यम से 'PZENA' नामक एक मोबाइल अप्लीकेशन के जरिए निवेश करने के लिए कहा गया। पुलिस ने बताया कि कानूनी प्रक्रिया के तहत संदिग्ध के बैंक अकाउंट को फ्रीज कर दिया गया है और आगे इस मामले की जांच की जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि धोखाधड़ी से हड़पी गई राशि की वसूली के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। 

 

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क्या बोले अधिकारी?

साइबर क्राइम विंग के अधिकारियों ने कहा कि इस मामले से पता चलता है कि साइबर क्राइम को शुरुआती चरण में रोकरना कितना जरूरी है। पैसे का नुकसान होने के बाद इस तरह के मामलों को हल करना मुश्किल हो जाता है। अधिकारियों का कहना है कि साइबर क्राइम के पीछे जो नेटवर्क काम कर रहा है उसे नष्ट करने की कोशिश की जा रही है। साइबर क्राइम के लिए ज्यादातर म्यूल अकाउंट का इस्तेमाल किया जाता है। पुलिस अधिकारी ने कहा कि बैंकों को केवाईसी और उचित जांच में हुई कमियों के बारे में बताया गया। बैंक की केवाईसी में कमियों के कारण धोखाधड़ी आसान हो जाती है। 

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